व्यक्ति जैसा व्यवहार करता है, वैसा ही उसके संस्कारों का प्रदर्शन होता है-श्रीमती सुरज डामोर ।
राष्ट्र के निर्माण या उत्थान के लिए एक मां की भूमिका अहम होती है-रेखा देवी खंडेलवाल
विश्वमाँगल्य सभा द्वारा महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद जी के सानिध्य में मातृ शक्ति द्वारा नर्मदा अष्टक का पाठ किया ।
झाबुआ । महिलाओं एवं देश को मजबूत बनाने के लिए विश्व मांगल्य सभा द्वारा बालीराजपुर जिलेके सोंडव विकासखंड के ककराना में महाममडलेश्वर प्रणवानन्द जी महाराज के सानिध्य में मातृशक्ति द्वारा सामुहिक नर्मदा अष्टक का सामुहिक पाठ किया गया । इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मध्य प्रदेश विश्वमाँगल्य सभा की अध्यक्षा श्रीमती सूरज डामोर ने कहा कि संस्कार हमारे जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इसके बिना जीवन अधूरा है। साहित्य व संस्कृति के बारे में बच्चों को समय -समय पर बताया जाना हमारा दायित्व है। इससे उन्हें कुछ अच्छे गुण सीखने का अवसर मिलेगा। समाज में सम्मान से जीने का हक दिलाते हैं। व्यक्ति जैसा व्यवहार करता है, वैसा ही उसके संस्कारों का प्रदर्शन होता है। उन्होने कहा कि मां की तुलना कभी नहीं किसी से नहीं की जा सकती है, वह तो अपने आप नें नारी शक्ति है। विश्व मांगल्य सभा का उद्देश्य संस्कारों में ईमानदारी, त्याग, अनुशासन, साहस, परिश्रम आदि गुण हैं। उन्होंने कहा कि इसके अभाव में हम सुखी व उन्नत जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। श्रीमती डामोर ने आगे कहा कि सशक्त राष्ट्र के लिए सक्षम मातृत्व का होना बहुत आवश्यक है। जब माता सक्षम और संस्कारवान होगी तो उससे उत्पन्न संतान निश्चित रूप से सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बनेगी। भारतीय संस्कृति में मां का बड़ा महत्व है।
इस अवसर पर विश्वमाँगल्य सभा की राष्ट्रीय अध्यक्षा सौ. रेखा देवी खंडेलवाल ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जितने भी वीर महापुरुषों के उदाहरण हम सबके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं उनके मूल में एक मां की त्याग तपस्या व संस्कार सहित लालन-पालन छिपा होता है. हमारी संताने राष्ट्रवादी-राष्ट्रीय समाज के विचार वाली हों, इसके लिए एक मां का दायित्व अहम हो जाता है। विश्वमांगल्य सभा मातृ निर्माण के देव-देश कार्य में लगा हुआ है। एक संस्कारित राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत माता निश्चित ही महापुरुष की जन्मदात्री होती है। भारत में राष्ट्र की मूल संस्था परिवार होती है, परिवार माता पर निर्भर करता है अर्थात इस राष्ट्र के निर्माण या उत्थान के लिए एक मां की भूमिका अहम होती है।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि विश्वमाँगल्य सभा द्वारा मानव सेवा माधव सेवा, जीव सेवा शिव सेवा, जन सेवा जनार्दन सेवा के क्षेत्र में जो कार्य किया जारहा है, मातृशक्ति में जागृति के साथ ही सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिये जो कदम उठाये जारहे है वे स्तुत्य है । उन्हाने आशीर्वाद देते हुए उत्तरोत्तर प्रगति की अभिलाषा व्यक्त की । स्वामीजी ने मां नर्मदा के तट पर हुए इस आयोजन को आदिवासी अंचल में एक नवविहान बताते हुए इसके कार्यो की भूरी भूरीप्रसंशा की ।
विश्वमाँगल्य सभा द्वारा अलीराजपुर जिले के सोंडवा विकासखंड के ककराना में महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद जी के सानिध्य में मातृ शक्ति द्वारा सामूहिक नर्मदा अष्टक का पाठ किया गया। मातृशक्ति द्वारा आयोजित इस अद्भुत कार्यक्रम में सम्मिलित होकर महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद जी का शुभाशीष प्राप्त किया। विश्वमाँगल्य सभा की राष्ट्रीय अध्यक्षा सौ. रेखा देवी खंडेलवाल जी, प्रमुख संगठिका म.प्र छत्तीसगढ़ पूजा पाठक जी, मध्य प्रदेश विश्वमाँगल्य सभा की अध्यक्षा श्रीमती सूरज डामोर, जिला पंचायत अध्यक्षा श्रीमती अनीता चौहान, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष नागर सिंह चौहान, मध्यप्रदेश वन निगम के अध्यक्ष व जोबट से पूर्व विधायक माधोसिंह डावर सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति उपस्थित रही।
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