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चिकित्सक बचाओं चिकित्सा बचाओं का गूंजा नारा

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चिकित्सक बचाओं चिकित्सा बचाओं का गूंजा नारा

रतलाम। शासन के द्वारा जो भी नीतियां चिकित्सकों, मरीजों के लिए बनाई जा रही है, इससे सभी चिकित्सा से संबंधित संगठन असंतुष्ट है और वे अब एक प्लेटफार्म पर आ चुके है। अपनी असंतुष्टी को एक आवाज के रूप में सरकार के सामने पहुंचाने के लिए शासकीय-स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले चिकित्सक सम्पर्क यात्रा चिकित्सक बचाओं चिकित्सा बचाओं का नारा लिए सोमवार को रतलाम मेडिकल कॉलेज पहुंची है।

बिल्डिंग बनाने से विकास नहीं होता
यह बात मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय, संयोजक डॉय सुनील अग्रवाल, डॉ. माधव हासानी और डॉ. गजेंद्र कौशल ने कही। यात्रा में शामिल चिकित्सकों ने कहा कि बिल्डिंग बनाने से विकास नहीं होता, मेडिकल कॉलेज तो बहुत खोले जा रहे हैं, लेकिन उसमें कार्य करने के लिए चिकित्सकों सारे मेडिकल कॉलेज जिला चिकित्सालय में खोल देंगे, और उसमें अगर नियुक्ति नहीं होगी तो वैसे ही स्थिति हो जाएगी जो प्राथमिकी पीएचई की है।

30-35 प्रतिशत चिकित्सकों के पद खाली है

हम सब सरकार से सवाल पूछेंगे कि जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है तो मरीज परेशान, मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की कमी है तो स्टूडेंट्स परेशान है। अब मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं और चिकित्सक है नहीं तो अब कैसे चिकित्सक बना रहे हैं। आप दुनिया को ये सुनहरा और झूठा सपना क्यों दिखा रहे हैं, कि हम 200 मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं। आप कुछ नहीं कर रहे हैं केवल बिल्डिंल बना रहे और कमीशन खा रहे हैं। आप रतलाम और मुख्यमंत्री का गृहक्षेत्र विदिशा के मेडिकल कॉलेज में 30-35 प्रतिशत चिकित्सक पद खाली है, क्योंकि खाली है क्या है आपकी यह नीतियां है।

शासन के रवैये से परेशान चिकित्सक

डॉ,. मालवीय ने बताया कि शासन का जो रवैया चिकित्सकों के प्रति है हम उससे परेशान है। कोई भी योजना बनाने से पहले ना तो वे हम से बात करते हैं, ना चिकित्सकों और ना ही हमारी समस्याओं को समझती है, ना ही निवारण करती है। पिछले पांच सालों से हम शासन बात करना चाहते है वे हमसे बात तक नहीं कर रहे हैं। अब हमारा संगठन उनसे एक आंदोलन के रूप में बात करना चाहता है। हमारी अगर बाते नहीं सुनी गई तो स्पष्ट विचार है कि हम भी अपने सभी अधिकारों को उपयोग कर आगे आंदोलन, धरना प्रदर्शन जो भी करना पड़े करेंगे। इस महासंघ के माध्यम से हर चिकित्सकीय क्षेत्र में चाहे वह हेल्थ हो, स्वास्थ्य हो प्रायवेट हो वहां हम प्रशासनिक दखल अंदाजी का विरोध करेंगे। पांच साल में हमने हजारों बार मेल और पत्र के माध्यम से अपनी बाते रखी, लेकिन आज तक कोई निराकरण नहीं हुआ। चिफ सेकट््री मध्यप्रदेश ने हमको बुलाया दो घंटे बैठक की सात दिन का आश्वासन दिया, लेकिन इसके बाद आज तक कोई हलचल नहीं।

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