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RATLAM

अस्पताल में नहीं नाक-कान-गले के डॉक्टर, मरीज परेशान

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अस्पताल में नहीं नाक-कान-गले के डॉक्टर, मरीज परेशान

रतलाम। मौसम परिवर्तन के साथ ही अस्पतालों में सर्दी जुकाम और खासी के साथ ही नाक, कान, गले के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है, मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के जावरा सिविल अस्पताल में पिछले 15-20 साल से ईएनटी के डाक्टर ही नहीं है।

हर दिन आते 10-12 मरीजसिविल अस्पताल में कान, नाक व गला का एक भी डॉक्टर नहीं है। सिविल अस्पताल को डॉक्टरों की कमी से निजात ही नहीं मिल पा रही है। नाक-कान-गले के हर रोज तकरीबन 10 से 12 मरीज आते है और मायूस होकर निजी अस्पताल का सहारा लेने चले जाते हैं। सोमवार के दिन तो इनकी मरीजों की संख्या बढ़ जाती है

रतलाम या फिर अन्य कही जाओईएनटी के डॉक्टर आज से 15 से 20 साल पहले सिविल अस्पताल में हुआ करते थे, लेकिन अब नहीं है। डॉक्टर की कमी से गरीब मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। निजी अस्पतालों में महंगा इलाज होने से इलाज नहीं करवा पाते। ऐसा नहीं कि इस अस्पताल में कोई आला अधिकारी या मंत्री नहीं आते। मौके मौके पर सभी पिछले सालों निरीक्षण किया लेकिन इसके बाद भी डॉक्टरों की समस्या से निजात नहीं मिल पा रहा है। मेडिकल ऑफिसर की कमी के चलते अपातकाल में और रात में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बाद डॉक्टर अगले दिन ओपीडी नहीं संभाल पाते।

इनका कहना
हर दिन 10 से 12 मरीज नाक कान गले के ओपीडी पर आते है। मरीज के ओपीडी पर आने के मुताबिक डॉक्टर होना चाहिए।
दीपक पलडिय़ा, प्रभारी, सिविल अस्पताल 

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