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जया किशोरी ने भागवत कथा को बताया ‘ट्यूशन क्लास’, पहुंचे हजारों भक्त,

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जया किशोरी ने भागवत कथा को बताया ‘ट्यूशन क्लास’, पहुंचे हजारों भक्त,

जया किशोरी ने कहा- ’चाहत तो रस्सगुल्ले पाने की है, लेकिन गुण देखकर कोई गुड़ भी न दे..

रतलाम. रतलाम के कनेरी गांव में बुधवार से शुरु हुई प्रसिद्ध भागवत वक्ता जयाकिशोरी की भागवत कथा का आज दूसरा दिन है। सात दिनों तक चलने वाली इस भागवत कथा में शुरुआती दिनों में ही हजारों की संख्या में भक्त भागवत कथा सुनने के लिए पहुंच रहे हैं और भगवान की भक्ति में लीन नजर आ रहे हैं। पंडाल लगभग पूरी तरह से भरे हुए हैं और लोगों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है।

जया किशोरी ने कहा ये सात दिन की ट्यूशन है..
भागवत कथा के पहले दिन जया किशोरी ने अपने चित परिचित अंदाज में भागवत कथा का शुभारंभ किया। जया किशोरी ने कहा कि काफी लोग हैं जो पहली बार कथा सुन रहे हैं, ये कथा कुछ अलग होगी। क्योंकि जब भी आप कथा सुनकर जाते हैं और घर पर सब भूलकर अपने कामों में लग जाते हैं और फिर दूसरे दिन आकर यहां आकर कथा सुनने बैठ जाते हैं ये यहां नहीं चलेगा। ये सात दिन आपकी ट्यूशन रहेगी, यहां से आप कथा सुनकर जाएंगे और जब दूसरे दिन वापस आएंगे तो मैं आपसे पूछूंगी की पहले दिन कौन-कौन सी कथाएं सुनी थीं और जब आप बताएंगे तभी आगे की कथा आरंभ होगी नहीं तो नहीं होगी।

‘चाहत तो रसगुल्ले की है पर गुण देखकर कोई गुड़ भी न दे’

इससे पहले जया किशोरी ने कथा शुरु करने से पहले आराध्य देवों के साथ लड्डू गोपाल को वंदन किया और कहा कि सात दिनों में मुझसे कोई गलती हो जाए, कोई बात अच्छी न लगे तो घर का बच्चा समझकर माफ कर दीजिएगा। उन्होंने कहा कि आप सब जब यहां आए तो कोई न कोई उम्मीद लेकर तो आएं होंगे कि जो कथा कर रहे है, बड़े ज्ञान होंगे..? नहीं। पहले ही बता देना अच्छा सात दिन बाद आप कहें तो नहीं है भाई। कोई कहे चलो अपने अनुभव सुना देंगी, उम्र को देखकर समझ सकते हो अनुभव नाम की भी कोई खास चीज नहीं मेरे पास है। कोई कहे वाणी अच्छी मधुर होगी, सात दिन निकल जाएंगे तो स्वीकार करती हूं कि वाणी में भी कोई माधुर्यभाव नहीं है। कोई कहें की भक्ति होगी मुझे तो नहीं दिखती। पर भी बैठ गए कथा करने। ये वही बात है कि ’चाहत तो रस्सगुल्ले पाने की है, लेकिन गुण देखकर कोई गुड़ भी न दे… पर मैने कहा कि फिर भी अगर बैठे है तो किस कारण, केवल एक विश्वास और भरोसा है…कि अपने बुजुर्गों से सुना है। भला संग हो तो सबभले ही भले होता है।(पत्रिका से साभार)

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