पहल:बोर्ड की परीक्षा में 16 कैदी होंगे शामिल, 16 बेड का हॉस्पिटल बनकर तैयार, जल्द 15 बेड का नशा मुक्ति केंद्र शुरू होगा
रतलाम~~सर्किल जेल में बंदियों को शिक्षा के साथ-साथ चिकित्सा सुविधा भी पर्याप्त मिलने लगी है। जल्द ही यहां नशा मुक्ति केंद्र खोला जाएगा। नशा करने वाले बंदियों का नशा छुड़ाने का प्रयास किया जाएगा। सर्किल जेल में 3 पुराने बैरक का जीर्णोद्धार कर उन्हें आधुनिक लुक दिया गया है। वर्तमान में यहां कुल 596 बंदी हैं जिसमें से 22 महिलाएं हैं।
सर्किल जेल में जो सजायाफ्ता बंदी पढ़ने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। उन्हें जेल प्रशासन पढ़ा रहा है। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के माध्यम से कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा बंदियों को दिलाई जाएगी। इसमें कक्षा 10वीं में 11 और कक्षा 12वीं में 6 बंदी शामिल हैं। इनकी उम्र 18 से 55 साल की है। यह परीक्षा 17 अप्रैल से शुरू होकर 8 मई तक चलेगी।
सभी पेपर सर्किल जेल में होंगे। बंदियों को पढ़ाने के लिए विभाग की ओर से एक शिक्षक भी नियुक्त है। जो इन्हें पढ़ा रहा है। वहीं साक्षरता मिशन के तहत 225 बंदी यहां पढ़ रहे हैं। बंदियों के पढ़ने के लिए लाइब्रेरी भी है जिसमें धार्मिक, ज्ञानवर्धक, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता परीक्षा सहित अन्य विषयों की कुल 945 पुस्तकें हैं।
मरीजों को जिला अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं रहेगी
जेल में बंदी की तबीयत खराब होने पर बाॅटल चढ़ाने, खून व अन्य जांच के लिए उन्हें जिला अस्पताल ले जाना पड़ता था, लेकिन अब यह स्थिति नहीं बनेगी। क्योंकि सर्किल जेल में 16 बेड का अस्पताल तैयार कर लिया है। यहां विभाग द्वारा एक नर्स की स्थाई नियुक्ति कर दी गई है और जल्द एक डॉक्टर की भी नियुक्ति हो जाएगी। वर्तमान में जिला अस्पताल से पहुंचने वाले डॉक्टर मरीजों का चेकअप कर रहे हैं।
बाॅटल चढ़ाने के साथ ही छोटी-बड़ी बीमारी का उपचार यहीं किया जा रहा है। जिनकी देखरेख नर्स कर रही हैं। खून की जांच व अन्य जांच के लिए नर्स द्वारा ही सेंपल लेकर जिला अस्पताल भिजवाए जा रहे हैं। ताकि मरीजों को वहां तक नहीं जाना पड़े और अलग से वार्ड बनने के कारण मरीजों को यहीं रखा जा रहा है। ज्यादा गंभीर होने पर उन्हें जिला अस्पताल भेजा जाएगा।
सर्किल जेल के नशामुक्ति केंद्र में रहेंगी सभी सुविधाएं
सर्किल जेल में एक नशा मुक्ति केंद्र भी बनाया गया है, इसमें 15 बेड लगाए गए हैं। इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। नशा नहीं मिलने के कारण जेल में आने वाले बंदियों की स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है। उन्हें नशे से दूर रखने के साथ समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। इन बंदियों के मनोरंजन के लिए एलईडी टीवी लगाने के साथ ही इंडोर गेम्स भी रहेंगे।
साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थाओं द्वारा यहां शिविर लगवाया जाएगा। बंदियों को अपराध से दूर रखने के लिए पूर्व में भी आर्ट ऑफ लिविंग, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा 15-15 दिन का शिविर लगाया गया था जिसमें 70 से ज्यादा बंदी शामिल हुए थे। वहीं गायत्री परिवार द्वारा भी समय-समय पर हवन के साथ ही आध्यात्मिक प्रवचन दिए गए हैं।
आईएसओ प्रमाण- पत्र से नवाजा गया सर्किल जेल को
जेल के अंदर साफ-सफाई, कार्यालयीन कार्य व्यवस्था, अभिलेखों व उपकरणों के रख रखाव, जेल के अंदर सुरक्षा व्यवस्था के उचित प्रबंधन सहित अन्य कार्यों में स्टार रेटिंग आने पर चार आईएसओ (ISO) प्रमाण-पत्र से नवाजा गया है। यह प्रमाण-पत्र जेल अधीक्षक लक्ष्मणसिंह भदौरिया को मैग्नीट्यूड मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नोएडा की ओर से दिया गया।
जेल में आने वाला बंदी दूसरी बार नहीं आए यही मेरा प्रयास रहता है। इसके लिए उन्हें समझाने के साथ-साथ उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, खान-पान का पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है। तीन पुराने बैरकों का नवीनीकरण कर उनमें स्कूल, अस्पताल बनाया गया है साथ ही एक बैरक में जल्द ही नशा मुक्ति केंद्र भी शुरू किया जाने वाला है। जेल में हर समय 10 से 20 ऐसे बंदी रहते हैं जो नशे के आदी रहते हैं। अस्पताल के लिए एक स्थाई डॉक्टर की आवश्यकता है जिसके लिए विभाग को पत्र लिखा है। बंदियों का ध्यान दूसरी ओर लगाने के लिए विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से प्रवचन, योगा, हवन, मेडिटेशन समय-समय पर कराया जाता है।
लक्ष्मणसिंह सिसौदिया, अधीक्षक, सर्किल जेल
(भास्कर से साभार)