4 घण्टे पड़ा रहा शव नही आई एम्बुलेंस नही आया शव वाहन रिश्तेदार पीएम के लिए धूप में इंतजार करते रहे
मर गई मानवता एक टेम्पों चालक तैयार नही हुआ शव ले जाने के लिए
थांदला। थांदला रोड़ रेल्वें स्टेशन पर प्रातः 9:30 पर थांदला लक्ष्मीबाई मार्ग निवासी 59 वर्षीय मुन्नालाल सौलंकी के मालगाड़ी की चपेट में आ जाने से घटना स्थल पर ही मौत हो गई। मौत की सूचना सोशल मीडिया व मोबाइल के जरिये पूरे जिलें में आग की तरह फैल गई वही थांदला रोड़ स्थित आरपीएफ के जवानों ने इसकी सूचना जीआरपी पुलिस थाने पर दी वही स्टेशन मास्टर द्वारा एमओ बनाकर जीआरपी थाना भिजवा दिया वही जीआरपी थाना प्रभारी संजय एक्का के निर्देश पर प्रधान आरक्षक जोगेंद्रसिंह, प्रादीप भूरिया, वर्दीचन्द खंडेला व आरपीएफ जवान वीरेन्द्रसिंह ने घटना स्थल पर पहुँच कर पंचनामा बनाते हुए मर्म कायम किया। इस दौरान रेल्वें सुरक्षा समिति के थाना संयोजक पवन नाहर, उपाध्यक्ष कमला डामोर, आतमराम शर्मा, अशोक डामोर आदि ने पहुँच कर जीआरपी पुलिस का सहयोग करते हुए अन्य यात्रियों को आराम से व ध्यान पूर्वक यात्रा करने की सलाह दी। थांदला रोड़ सरपंच रूपसिंह सिंगोड़ ने सफेद धोती बुलवाकर लाश को ढकवाया व अन्य लोगों को सहायता के लिए प्रेरित भी किया।
पीएम के लिए बॉडी ले जाने में लगा 4 घण्टे का समय
थांदला रोड़ पर खड़े अवैध रूप से संचालित हो रहे टेम्पों व अन्य वाहन की मानवता मरी हुई दिखाई दी। रेल्वें परिसर में ही खड़े करीब 4 से 5 टेम्पों में से एक भी बॉडी को ले जाने के लिए तैयार नही हुआ इधर थांदला सिविल अस्पताल में शव वाहन उपलब्ध ही नही है तो एम्बुलेंस में शव को लाने ले जाने की सुविधा नही है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी व जिला प्रभारी के अनुसार जिलें में शव वाहन तो उपलब्ध है लेकिन वह सिविल अस्पताल में ही मरने वालों को घर छोड़ने के लिए है ऐसे में स्टेशन पर करीब 9:30 पर दुर्घटना के शिकार मुन्नालाल की लाश लावारिस की तरह करीब 4 घण्टे तक धूप में ही पड़ी रही। इस दौरान रेल्वें सुरक्षा समिति मेघनगर रोटरी क्लब संचालक भरत मिस्त्री से सम्पर्क साधा तो उन्होंनें तत्काल मोक्ष वाहन को भेज दिया जिससे चार घण्टे के बाद थांदला पीएम रूम पर परिजन व जीआरपी के जवान शव को लेकर आये। जहाँ ड्यूटी डॉक्टर चंचल ने पीएम कर शव को परिजनों के हवाले कर दिया।
बदहाल व्यवस्था की खुली पोल
थांदला के वार्ड क्रमांक 9 में रहने वालें मुन्नालाल सौलंकी अकेले ही रहते थे व टेलर का कार्य करते थे। शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद अपना काम स्वयं ही कर लेते थे ऐसे में वे अकेले ही रतलाम जाने के लिए निकले व दुर्घटना का शिकार हो गए। ऐसे में उनके परिवार की मदद के लिए वार्ड पार्षद राजू धानक, मोहनलाल मेहते, तुलसी मेहते, पवन नाहर, आत्माराम शर्मा आदि आगे आये तब प्रशासनिक अव्यवस्थओं की पोल खुल गई। जिलें में शव वाहन है पर उपलब्ध नही, एम्बुलेंस से लाश उठाने की परमिशन नही, तहसील स्तर पर इस तरह की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नही, पोस्टमार्टम रूम की जर्जर हालत, किसी अधिकारी के पास ठीक से जवाब देने की फुर्सत तक नही ऐसे में सामान्य व्यक्ति को किस तरह परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। प्रदेश के मुखिया कितने भी बड़े बड़े दावें कर ले लेकिन हकीकत की तस्वीरें सब कुछ बया कर रही है। जिला कलेक्टर व जिला स्वास्थ्य अधिकारी को बदहाल व्यवस्थाओं पर जल्द कोई न कोई निर्णय लेने की आवश्यकता है।