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जीवन में गुरु का मार्गदर्शन, वृद्धों एवं शास्त्रों का ज्ञान जरूरी – आचार्य ब्रह्मर्षि – तुलसी परिवार ने मनाया गुरु पूर्णिमा उत्सव

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जीवन में गुरु का मार्गदर्शन, वृद्धों एवं शास्त्रों का ज्ञान जरूरी – आचार्य ब्रह्मर्षि
– तुलसी परिवार ने मनाया गुरु पूर्णिमा उत्सव
रतलाम। परमात्मा ने हर एक के लिए पहले से व्यवस्था कर रखी है। किसी को ज्यादा मिला है तो किसी को कम। गाड़ी, मकान, पैसे से सुख नहीं मिलेगा, सुख मन की प्रसन्नता से मिलता है। जो मिला है उसे ही अपना समझें। जिस प्रकार जीवन में अच्छे दोस्तों की संगती होना जरूरी है उस प्रकार जीवन में मार्गदर्शक के रूप में अच्छे सद्गुरु का होना जरुरी है। जीवन में माता-पिता, परिवार से बढक़र कोई नहीं है। अपने बच्चों को गुरु का मार्गदर्शन, वृद्धों एवं शास्त्रों का ज्ञान देना शुरू कर दे। संगती अच्छी रहेगी तो उसे समझने की जरुरत नहीं होगी, वह कभी नहीं गिरेगा।
उक्त विचार आचार्य ब्रह्र्षि परम पूज्य श्री किरीट भाई ने तुलसी परिवार रतलाम द्वारा आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव में मंगलवार को सज्जनप्रभा अजंता पैलेस में व्यक्त किए। कार्यक्रम की शुरुआत के पहले कन्या महाविद्यालय की संगीत विभाग की छात्राओं ने भजनों की सुमधुर प्रस्तुति दी। दीप प्रज्जवलन मोहनलाल भट्ट, अनिल झालानी, डॉ. राजकुमार कटारे, तुलसी परिवार अध्यक्ष बाबूलाल चौधरी ने किया। ब्रहर्षि का स्वागत तुलसी परिवार सचिव डॉ. सुषमा राजकुमार कटारे, निर्मला चौधरी, राजेश व्यास, कैलाश व्यास, राजेंद्र कीर्ति व्यास, हरिश मधु रत्नावत, धर्मेंद्र सुषमा श्रीवास्तव, अचला व्यास, डॉ. सुलोचना शर्मा, प्रशांत प्रीति व्यास, आरएन केरावत, कुसुम गजेंद्र चाहर आदि ने किया। आचार्य श्री ने आशीर्वचन के बाद लड्डू गोपाल जी का अभिषेक कर प्रसादी का भोग लगाया। मंत्र दीक्षा भी आचार्य श्री द्वारा दी गई। जिज्ञासा समाधान में ऋषिवर श्री किरीट भाई जी द्वारा शिष्यों के प्रश्नों का भी दिया गया। आचार्य ब्रह्मर्षि श्री कीरिट भाई ने कहा कि जिन बच्चों ने हितोपदेश एवं पंचतंत्र पढ़ा है वह कभी जीवन में असफल नहीं होंगे। ज्यादा पढ़े लिखे भी विवेकहीन होते हैं। उन्हें भी विषयों के अध्ययन की जररूत होती है। जीवन में सफल होने के लिए जेब में गांधी (रुपए) नहीं आपके हद्य में आंधी होना चाहिए, वहीं जीवन की सफलता है। जीवन सद्गुरु के बिना अधूरा है। हर एक के जीवन में एक अच्छे सद्गुरु का होना जरूरी है, चाहे वह आपके माता-पिता या घर के वृद्ध हो। आप भले कितने पढ़ लिख लो, ऊंचे पद पर बैठ जाओ लेकिन कभी इश्र्या ना करो। अपने घर परिवार के वृद्धों एवं माता-पिता की कभी उपेक्षा नहीं करो। संपूर्ण तरीके से किसी को कुछ नहीं मिलता है। जो मिले उसमें खुश रहो। एक अच्छा दोस्त दोषों को दूर करने वाला होता है। सुसंगति से सुविचार मिलते हैं। परमात्मा की संगति के बिना आप कुछ नहीं कर सकते। जवानी में संपत्ति, ईश्र्या, क्रोध आ गया तो जीवन में खुशहाली नहीं हो सकती है। प्रभु से रोज प्रार्थना करों। कन्हैया का हाथ पकड़ लो, कन्हैया साथ था, साथ है और साथ में रहेगा, बस आप उसका हाथ ना छोड़ो। संचालन प्रोफेसर डॉ. अनामिका सारस्वत ने किया।
जो हौंसला बढ़ाए उसकी संगती करो

आचार्य श्री ने कहा कि मति को शुद्ध करने के लिए एक ही उपाय है कि आप किसकी संगती कर रहे हो। जिनकी करनी और विचार ना मिले आप आपकी अशुद्धि कर रहे हो। तुम्हारा हौंसला जो बढ़ाए, मार्ग दिखाए, उसकी संगती करो। घर में क्लेश का कारण यह होता कि सामने वाला आपके मुताबिक हो, जो हो जैसा है उसे भी स्वीकार करो। पहले माताएं एक साथ बैठती थी तो कीर्तन करती थी लेकिन आज की माताएं किटी पार्टी और सेल फोन से फुर्सत नहीं है। अपने बच्चों को हाथों में मोबाइल पकड़ाकर खेलकूद से दूर कर दिया है।  छोटे-छोटे बच्चों को आप करके बोलो। बच्चों को धार्मिक शिक्षा देना चाहिए। हम जैसा करेंगे वैसा ही हमारे बच्चे करेंगे। राम राज्य का सूत्र है पहले सेवा करो फिर स्वीकारो। अपने परिवार का साथ कभी ना छोड़ो, प्रथम सेवा परिवार की सेवा है।

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