झाबुआ – झाबुआ जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑनलाइन टेंडर पद्धति को नकारते हुए अब भी ऑफलाइन या जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी की जा रही है जबकि शासन के कई विभागों द्वारा या इस ऑनलाइन टेंडर पद्धति के माध्यम से खरीदी कर, कम दामों में उच्च गुणवत्ता युक्त सामग्री की खरीदी की जा रही है व शासन को लाभ पहुचाया जा रहा हैं ।लेकिन स्वास्थ्य विभाग मनमानी कर…..कही वर्तमान कलेक्टर के कार्यकाल को कहीं दागदार न कर दें….?
जानकारी अनुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामग्री खरीदी या निर्माण कार्यों के लिए ऑनलाइन टेंडर पद्धति को नहीं अपनाया जा रहा है । कुछ सामग्री खरीदी में फर्म विशेष से खरीदी की जा रही है तो कुछ में जेम पोर्टल (हैकिंग पद्धति) के माध्यम से खरीदी कर आर्थिक लाभ लिया जा रहा है । हां यह जरूर है कि कोविड-काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला कलेक्टर से अनुमोदन प्राप्त कर , सामग्री खरीदी की जा रही थी लेकिन अब तो कोविड समाप्त हो चुका है और अब स्वास्थ्य विभाग को शासन हित में उस पद्धति को अपनाना चाहिए , जिससे सामग्री खरीदी में उच्च गुणवत्ता युक्त सामग्री निम्न दरों पर प्राप्त हो सके । जिसके लिए सबसे उत्तम पद्धति है ऑनलाइन टेंडर पद्धति । इस पद्धति से शासन को टेंडर विक्रय के रूप में राजस्व भी प्राप्त होता है तथा ऑनलाइन होने की वजह से कई बार बाहर की फर्म भी भी इस निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेती है और कंपटीशन होने के कारण न्यूनतम दरें भी प्राप्त होती है । संभवत स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी अनुमोदन प्रक्रिया को ही अपनाया जा रहा है यदि हम शासन की ऑनलाइन टेंडर पद्धति mpeprocurement पर ध्यान दे , तो मध्य प्रदेश के लगभग सभी जिलों में ऑनलाइन टेंडर पद्धति के माध्यम से खरीदी की जा रही है । जब हमने mpeprocurement पर क्लिक कर , Directorate of health services पर क्लिक किया , तो ऊपर दिए गए चित्र में साफ तौर पर नजर आ रहा है उक्त जिले ऑनलाइन टेंडर पद्धति के माध्यम से खरीदी कर रहे हैं । वही डिमांड निकलने पर अन्य जिले भी इस पद्धति को अपना रहे हैं । लेकिन झाबुआ का स्वास्थ्य विभाग अब तक इस पद्धति को नहीं अपना पाया है क्यों… क्या कारण है ….क्या स्वास्थ्य विभाग के पास तकनीकी कर्मचारी उपलब्ध नहीं है जो इस पद्धति के माध्यम से कार्य कर सकें । या इस विभाग के कर्मचारी कमीशन के चक्कर में इस ऑनलाइन पद्धति को नहीं अपना रहे हैं कारण चाहे जो भी हो लेकिन इस ऑफलाइन पद्धति या अन्य पद्धति से शासन को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है । पूर्व में सामान खरीदी के बिलों का बाजार भाव से तुलनात्मक अध्ययन किया जाए, तो सब कुछ साफ हो जाएगा । कहीं स्वास्थ्य विभाग अनुमोदन प्रक्रिया या अन्य प्रक्रिया के माध्यम से सामग्री खरीदी कर, वर्तमान कलेक्टर के कार्यकाल को दागदार न कर दे , इस और विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है । क्या जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देकर , स्वास्थ्य विभाग को कोई दिशा निर्देश जारी करेगा या फिर या स्वास्थ विभाग यू ही अपनी मनमानी करता रहेगा….?
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