थांदला (वत्सल आचार्य)आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेन्द्रमुनिजी की आज्ञानुवर्तिनी साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा 4 के सानिध्य में चातुर्मास के चलते ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की विभिन्न आराधना में श्रावक-श्राविकाएँ उत्साहपूर्वक भाग ले रहे है। साध्वी मंडल के सानिध्य में प्रतिदिन राईय प्रतिक्रमण, प्रार्थना, व्याख्यान प्रातः 09 से 10 बजे तक, दोपहर में वाचनी एवं ज्ञान चर्चा, शाम को देवसीय प्रतिक्रमण, चौवीसी स्तुति आदि विविध धर्माराधनाएं हो रही है। वर्षावास प्रारंभ दिवस से तेला व आयंबिल की लड़ी चल रही है। साध्वी मंडल के सानिध्य में 11 जुलाई मंगलवार को मालव केसरी, प्रसिद्ध वक्ता, महाराष्ट्र विभूषणश्री सौभाग्यमलजी की 39वीं पावन पुण्यतिथि जप, तप, त्याग, तपस्या सहित विविध धर्माराधनाओं के साथ उत्साहपूर्वक मनाई जाएगी। इस अवसर पर स्थानीय पौषध भवन पर प्रातः 09 से 10 बजे तक विशेष गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा। जिसमें साध्वीश्री निखिलशीलाजी व साध्वी मंडल मालव केसरीश्री सौभाग्यमलजी के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालेंगे।
पांच दिवसीय पचरंगी तपस्या जारी
यहां पचरंगी तपस्या 7 जुलाई से प्रारंभ होकर जारी है। जो 11 जुलाई को पूर्ण होगी। यह तपस्या मालव केसरीजी की पुण्यतिथि के प्रसंग पर हो रही है। इसमें एक से लगाकर पांच उपवास करने वाले 5 – 5 आराधक अर्थात कुल 25 आराधक भाग लेते हैं। प्रथम दिवस पांच उपवास वाले पांच आराधक एक एक उपवास करते है। इसी क्रम में दूसरे दिन चार उपवास वाले, तीसरे दिन तीन उपवास वाले, चौथे दिन दो उपवास वाले एवं पांचवे दिन एक उपवास वाले पांच पांच आराधक उक्त तप में भाग लेते है। 11 जुलाई पुण्यतिथि दिवस पर सामूहिक एकासन तप का आयोजन स्थानीय महावीर भवन पर श्रीसंघ द्वारा किया गया है। वाणी के जादुगर, परस्पर प्रेम एवं भाईचारे के ध्वजवाहक, श्रमण संघ के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान के लिए मालव केसरीश्री सौभाग्यमलजी को पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा के साथ याद किया जाता है। मध्यप्रदेश, राजस्थान व महाराष्ट्र आपके विचरण के प्रमुख क्षेत्र रहे है। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ थांदला ने मालव केसरीश्री सौभाग्यमलजी की पुण्यतिथि पर अधिक से अधिक धर्म, तप आदि आराधना करने का श्रावक-श्राविकाओं से आह्वान किया है।
आराधक तपस्या में रमने लगे
शनिवार को धर्मसभा में अवधि श्रीमाल, गौरव शाहजी व एक गुप्त आराधक ने 7 – 7 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। चंदा भंसाली ने 6 उपवास व कई आराधकों ने तेला तप की तपस्या पूर्ण की। तेले की लड़ी में रजनीकांत शाहजी ने तेला पूर्ण किया वही महावीर चौरडिया ने अगला तेला प्रारंभ किया। सरोज तलेरा व रजनी मेहता १२बेले की तपस्या कर रहे है।संचालन श्रीसंघ के सचिव प्रदीप गादिया ने किया।
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