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विश्व का मंगल चाहने वाली सभा है विश्वमांगल्य सभा- श्रीमती सूरज डामोर****** शिव आराधना पुस्तक का किया गया विमोचन******* पद्मश्री परमार दम्पत्ति भी हुये शामिल —-

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विश्व का मंगल चाहने वाली सभा है विश्वमांगल्य सभा- श्रीमती सूरज डामोर******
शिव आराधना पुस्तक का किया गया विमोचन*******
पद्मश्री परमार दम्पत्ति भी हुये शामिल —–
झाबुआ। विश्वमांगल्य सभा के आयोजन को लेकर स्थानीय दिनदयाल अंत्योदय सेवा सांसद कार्यालय पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें श्रीमती सूरज गुमानसिंह डामोर एवं महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की संगठिका सुश्री पूजा पाठक द्वारा विश्व मांगल्य सभा के बारे मे बताया गया। साथ ही शिव आराधना पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
जानकारी देते हुये विश्वमांगल्य सभा की मप्र की अध्यक्षा श्रीमती सूरज डामोर द्वारा बताया गया कि विश्वमांगल्य सभा का उद्देश्य विश्व का मंगल चाहने वाली सभा है। हमारी प्रार्थना का मुल्य ही यह है कि सबसे सुख मंगल की कामना करते हैे। विश्वमांगल्य  सभा की शुरूआत महाराष्ट्र नागपुर से हुई। आज से 12 वर्ष पूर्व मातृ शक्ति की 80 हजार बहनो के माध्यम से एक रेशमपाल नागपुर मे तीन दिवसीय सम्मेलन किया गया। जिसमे अतिथि के रूप मे मोहन भागवत ने भी शिरकत की। और उनके मन मे यह भाव आया और उनके ही सानिध्य में विश्वमांगल्य  सभा का आयोजन किया जा रहा है। विश्वमांगल्य सभा का मुख्य उद्देश्य है अच्छी माॅ का निर्माण करना। यदि माॅ संस्कारवान होगी,यदि माॅ देश को समझती होगी, यदि माॅ संस्कृति को समझती होगी तो ही अपने संतान मे इसका बीज जरूर डालेगी। और उसका लालन पालन भी वैसा ही करेगी। जैसे छत्रपति शिवाजी की माताए, जैसे माॅ अहिल्या माता ऐसी अनेक हजारो माताए है जिन्होने समाज को जो संदेश दिया निर्माण किया जो कार्य किये और ऐसेी माताओ के निर्माण हो इस भावना को लेकर विश्वमांगल्य  सभा कार्य कर रही है ।
विश्वमांगल्य  सभा की राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण प्रमुख एवं मप्र के साथ साथ महाराष्ट्र के संगठन की प्रमुख सुश्री पूजा पाठक ने बताया कि विश्वमांगल्य  सभा की शुरूआत ही एक अच्छी माॅ के निर्माण के लिये हुआ है। माॅ तो हमेशा से ही अच्छी होती है। माता कुमाता कभी भी नही हो सकती है लेकिन पुत्र कुपुत्र हो सकता है। इसी विचार को देखते हुये आज तक के भारत के इतिहास पर नजर डाले तो अंग्रेजो सहित मुगलो द्वारा किये गये 1800 से ज्यादा आक्रमण भारत ने झेले है। लेकिन इतने आक्रमणो के बाद भी हमारे घरो मे पूजा घर है। आज भी हर समाज हर घर अपनी पीढियो से चल रही रीति रिवाजो एवं परम्पराओ को आज भी मानती आ रही है। आज तक इन सारी चीजो को वैसा ही बनाये रखने का जो कार्य किया है वो किसी ना किसी महिला ने ही किया है। वो कितनी भी महिला व्यस्त हो जाये वो महिला घर के अंदर होती है तो वो एक माॅ होती है। एक माॅ होना ही एक महिला की पहचान है। जन्म से ही वह एक माॅ होती है। जब हम हमारे घर में एक छोटी सी बालिका को एक छोटी सी खिलौने वाली गुडिया से खेलते हुये देखते है तो वो उसे भी एक माॅ की तरह ही देखभाल करती हुई दिखती है। जो ये मातृत्व भाव है महिला का उस भाव को जागृत करने के लिये विश्वमांगल्य सभा का यह कार्य पिछले 12 वर्षो से पुरे भारत भर मे चल रहा है। आज गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेष , मध्यप्रदेष , छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र इसके अलावा साउथ में तेलंगना, आंध्र , कर्नाटक ऐसा सभी राज्यो में यह कार्य चल रहा है। मेरी तरह 12 दीदीयां है जो अपने जीवन का पुरा समय देकर इस कार्य को पुरे भारत मे फैला रही है। डाॅ वैशाली जोशी जो हमारी पहली कार्यकर्ता है प्रचारिका है जो इस संस्था की राष्ट्रीय संगठन मंत्री के पद पर कार्य कर रही है। आज के समय में कम उम्र मे महिलाये डाॅक्टर, इंजिरियर्स,वकील होने के बावजूद भी अपने ज्ञान का उपयोग कर देश धर्म के प्रति करने के लिये निकली है। जैसा कि हम जानते है कि हर घर की पहचान है वो महिला से होती है। उस महिला को अपने धर्म के प्रति, राष्ट्र के प्रति, देश के प्रति जागरूकता निर्माण करना ही विश्वमांगल्य  सभा का मुख्य उद्देश्य है। घर की महिला में अगर देव, देश एवं धर्म की श्रद्धा होगी तो आने पीढी मंे स्वयं ही आएगी उन्हे अलग से बताना नही पडेगी। क्योकि माॅ को प्रथम गुरू कहा गया है बाद मे पिता व उसके बाद मे आचार्य आते है। माॅ को बच्चे को जो ज्ञान देना चाहिये इसके बारे मे बताना ही इसका मुख्य कार्य है।
पुरे मध्यप्रदेश में 501 शिवालाओ पर होगी शिव आराधना-
सुश्री पूजा पाठक ने बातया कि विश्वमांगल्य  सभा सावन के महिने में पुरे मध्यप्रदेश में शिवजी के मंदिरो मे 501 जगहो पर शिव आराधना होने वाली है। धर्म की नीव रखी जाए तो एक धर्म निश्चित होता है राष्ट्र निश्चित होता है तो अपने आप विश्व के मंगल की कामना कर सकते है। इसके लिये हर घर मे देष की अलग जगाने के लिये उक्त कार्यक्रम को आयोजन किया जा रहा है। श्रीमती सूरज डामोर ने बताया कि अभी तक कुल 6 से ज्यादा शिव मंदिरो मे षिव आराधनाए हो चुकी है। शिव आराधना  में शक्ति ज्ञान किया जाता है। शिव मंदिरो में बिल्चपत्र चढाती है। उसके बाद रूद्राष्टक का पाठ करती है। इसके पूर्व राम मंदिर, गोपेश्वर महादेव मंदिर में 40 महिलाओ द्वारा यह पाठ किया था। भगवान भोले के 108 नामो का उच्चारण करते है, मानस पूजा के बारे मेे बताया जाता है। जिसके पास पूजा का सामान ना हो उसके बाद भी भगवान की पूजा की जा सकती है। शिवजी का परिवार सनातनी परिवार है। इस समय जो श्रावण महिना चल रहा है इसमें शिव की आराधना करना ही सबसे श्रेष्ठ होता है। माॅ शब्द के उच्चारण के महत्व को समझाना ही हमारा उद्देष्य है। अच्छी माॅ होगी तो ही अच्छी संतान होगी। यदि माॅ संस्कारवान होगी  तो निश्चित ही संतान भी संस्कारवान होगी।
शिव आराधना की पुस्तिका का हुआ विमोचन
उक्त आयोजन के पश्चात् शिव आराधना पुस्तक का विमोचन किया गया। जिसमेें श्रीमती सूरज डामोर, सुश्री पूजा पाठक एवं मुख्य अतिथि के रूप मे आये पद्मश्री परमार दम्पत्ति द्वारा विमोचन किया गया। इस अवसर पर बडी संख्या में मीडिया से जुडे साथीगण एवं कार्यकर्तागण उपस्थित रहें ।

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