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अब ड्रोन की मदद से की जा सकेगी फसलों की सुरक्षा रतलाम जिले के ग्राम रिंगनोद के एक किसान ने कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन खरीदा है।

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अब ड्रोन की मदद से की जा सकेगी फसलों की सुरक्षा रतलाम जिले के ग्राम रिंगनोद के एक किसान ने कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन खरीदा है।

रतलाम। हाईटेक युग में बोवनी, कटाई सहित खेती के कई कार्य नई तकनीक के माध्यम से किए जा रहे है। वहीं अब रतलाम जिले में ड्रोन (एग्रीकल्‍चर स्प्रे ड्रोन) के माध्यम से इल्ली व अन्य कीटों से फसलों की सुरक्षा की सकेगी।

ग्राम रिंगनोद के एक किसान ने कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन खरीदा है। वे न केवल अपने खेत में कीटनाशक व तरल खाद का छिड़काव करेंगे, बल्कि ड्रोन किराये से देकर अन्य किसानों की फसले भी सुरक्षित करेंगे। इससे किसानों व मजदूरों के स्वास्थ व समय के साथ कई तरह के फायदे होगे।

देश के कई जिलों में ड्रोन की मदद से फसलों पर कीटनाशकों एवं तरल उर्वरक का छिड़काव कर उनकी सुरक्षा की जा रही है। वहीं अब रतलाम जिले में भी किसान एग्रीकल्चर स्प्रे ड्रोन का इस्तेमाल फसलों की बचाने के लिए कर सकेंगे। ग्राम रिंगनोद के किसान गिरधारीलाल चौधरी दिल्ली की एक कंपनी से एग्रीकल्चर स्प्रे ड्रोन खरीदकर लाए हैं।यह ड्रोन उनका पोता हीरालाल चौधरी संचालित करेगा, जो अभी कंपनी से दस दिन की ट्रेनिंग ले रहा है। मंगलवार को ड्रोन के साथ गिरधारीलाल चौधरी, पोते व ट्रेनर को लेकर शहर विधायक चैतन्य काश्यप के कार्यालय पहुंचे तथा उन्हें फसलों की सुरक्षा ड्रोन तकनीक से करने की जानकारी दी।
धोखाधड़ी का शिकार भी हुए
गिरधारीलाल चौधरी ने नईदुनिया को बताया कि दो वर्ष पहले ट्यूब पर जर्मनी में खेतों में ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव करने वाला वीडियो देखा था। तब अपने व अन्य किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए ड्रोन खरीदने की प्रेरणा मिली। पहले एक व्यक्ति ने मोबाइल फोन पर स्वयं को एक ड्रोन कंपनी का अधिकारी बताकर ड्रोन देने के लिए डेढ़ लाख रुपये ले लिए। बाद में पता चला कि वह धोखेबाज था। उनके रुपये डूब गए। इसके बाद उन्होंने कई जगह जानकारी ली तथा दिल्ली की एक कंपनी से संपर्क किया। यह कंपनी सही निकली तथा करीब साढ़े आठ लाख रुपये में वे ड्रोन खरीदकर लाए।
ये होंगे फायदे
अभी मजदूर व किसान कमर पर पंप लटकाकर एक एकड़ में चार से पांच घंटे में कीटनाशक छिड़कते है। ड्रोन से पांच से सात मिनट का समय लगेगा। कमर व कंधे पर पंप लटकाने से एलर्जी व अन्य बीमारिया होती है। ड्रोन से छिड़काव से यह नहीं होगा, वहीं किसान व मजदूर को खेतों में नहीं जाना पड़ेगा। वे खेत के बाहर खड़े होकर ही छिड़काव करेंगे।
ट्रेनर प्रतीक के अनुसार हर साल देश में खेतों में सांप के डंसने व प्राकृतिक आपदा से करीब 45 हजार लोगों की मौत होती है, जिसके बचाव के साथ पानी की बचत होगी। ड्रोन ट्रैंक 11 लीटर की क्षमता का है। एक एकड़ में दस लीटर पानी व 750 मिलीग्राम दवा लगेगी। जबकि पंप से छिड़काव में 125 लीटर पानी व एक लीटर दवा लगती है। वहीं किसानों को स्प्रे पंप या श्रमिकों की तलाश में भटकना नहीं होगा।
टिड्डी दल पर ड्रोन से पाया था काबू
खेती आगे बढ़ाने के लिए ड्रोन तकनीक क्रांतिकारी साबित हो रही है। ड्रोन से कीटनाशक व उर्वरक का छिड़काव देश में खेती को लाभकारी बनाने के लिए बड़ी पहल है। तीन वर्ष पहले जब देश में टिड्डी दल आया था तब फसलें बचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था।(दैनिक नई दुनिया से सादर साभार)

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