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झाबुआ

वन विभाग के डीएफओ ने शासकीय निविदा प्रक्रिया को ही चैलेंज कर , टेंडर कैंसिल कर दिए…..

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झाबुआ – झाबुआ के वन विभाग के कर्मचारी के साथ-साथ अब तो विभाग के आला अधिकारी की कार्यप्रणाली भी संदेहास्पद नजर आ रही है क्योंकि विभाग द्वारा पूर्व में आफलाईन आमंत्रित की गई निविदा को स्वीकृत करने के 2 माह बीत जाने के बाद डीएफओ ने आफलाइन निविदा को निरस्त कर, पुन: ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से निविदा आमंत्रित की , जबकि पूर्व निविदा आमंत्रण भी शासकीय नियम अनुसार ही किया गया था । लेकिन फिर भी उस निविदा को निरस्त करना….. कहीं ना कहीं जांच का विषय हैं । कहीं पुनः निविदा आमंत्रण किसी फर्म विशेष को आर्थिक लाभ पहुंचाने का प्रयास तो नहीं……?

जानकारी अनुसार वन मंडलाधिकारी वन मंडल झाबुआ द्वारा अप्रैल माह में करीब 18 सामग्री हेतु निविदा का आमंत्रण किया गया । नियम अनुसार विभिन्न अखबारों में विज्ञप्ति प्रकाशित भी की गई । विज्ञप्ति में दर्शाई गई अंतिम तिथि अनुसार विभिन्न फर्मों ने अपनी दरें भी ऑफलाइन पद्धति के माध्यम से विभाग में जमा की । पूरी प्रक्रिया शासकीय नियम अनुसार संपादित की गई । 18 अप्रैल को प्राप्त निविदाओं को वन मंडल स्तरीय निविदा समिति द्वारा निविदाकारों के समक्ष खोला गया । निविदा खोलने पश्चात समिति द्वारा तुलनात्मक पत्रक तैयार कर निविदा कारों का चयन किया गया वह न्यूनतम निविदा कारों सिक्योरिटी की गई तथा 20 अप्रैल को पत्र के माध्यम से सूचना भी दी गई । करीब छह फर्मों की दरें इस निविदा में स्वीकृत की गई लेकिन 2 माह बीत जाने के बाद वन विभाग को अचानक किस कारण से इस निविदा को निरस्त कर पुणे ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से आमंत्रण करना पड़ा यह समझ से परे जबकि इस विभाग में वर्षों से ऑफलाइन पद्धति के माध्यम से ही निविदा आमंत्रित की जा रही थी और स्वीकृत की जा रही थी । इस विभाग द्वारा निविदाकारो को भी कोई सूचना नहीं पत्र के माध्यम से नहीं दी गई , जिनकी दरें पूर्व में स्वीकृत की गई थी और ना ही उनकी एफडीआर को वापस किया । मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों में ऑनलाइन टेंडर पद्धति विगत कई वर्षों से क्रियाशील है । वहीं वन विभाग द्वारा वर्षों से ऑफलाइन पद्धति के माध्यम से ही निविदाएं आमंत्रित की जा रही थी । इस वर्ष भी सर्वप्रथम ऑफलाइन ही आमंत्रण हुआ । लेकिन फिर अचानक 2 माह बाद, वन विभाग को ऑनलाइन टेंडर पद्धति की याद आई, जो समझ से परे…..?

विभाग के व्यय विभाग प्रभारी …….श्रीवास्तव की जादूगरी……..

जब हमने डीएफओ से यह जानकारी ली की जब आपने ऑनलाइन निविदा आमंत्रित की तो पूर्व में स्वीकृत निविदा कारों को निविदा निरस्तीकरण की सूचना दी हैं कया और क्या एफडीआर की राशि वापस की । तब इस विभाग के …..श्रीवास्तव की जादूगरी देखने को मिली । ….श्रीवास्तव ने एक हस्तलिपि रजिस्टर डीएफओ और हमें दिखाया, जिसमें उन्होंने एक 14 जून की दिनांक में पूर्व निविदा निरस्तीकरण को सूचना पत्रक आवक जावक क्रमांक लिखाकर इतिश्री की । जब हमने प्रश्न किया… क्या आपने सूचना पत्र को रजिस्टर ऐडी या स्पीड पोस्ट से पहुंचाया हो तो , उसकी रसीद बताने का कष्ट करें …..तब बाबू …..श्रीवास्तव ने कहा कि हमने सामान्य डाक से यह पत्रक पहुंचाया है और इसकी कोई भी रसीद हमारे पास नहीं है । जो इस बात को दर्शाता है कि संभवत है यह पत्रक सामान्य डाक तक पहुंचे या नहीं…. । उनके कहने के तात्पर्य से तो यही आता है कि डाक विभाग ने अपनी कार्यप्रणाली में चुक की है हमने नहीं । चूकि दो निविदाकार झाबुआ से हैं कम से कम उन्हें तो यह सामान्य डाक से पत्र मिलना चाहिए था । लेकिन …..श्रीवास्तव को यह सब मंजूर नहीं था । यदि वन विभाग से गलती हुई है तो निविदा कारों को निविदा राशि भी लौटाई जाना चाहिए थी । लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं हुआ..। इसके अलावा यदि ऑफलाइन पद्धति और ऑनलाइन पद्धति में आए दरों में और तुलनात्मक पत्रों के अध्ययन के बाद, यदि ऑफलाइन पद्धति के दरे कई सामग्री में कम पाई जाती है तो इससे शासन को आर्थिक नुकसान होगा …..इसके लिए जवाबदार कौन होगा ……? इस आथिर्क नुकसान की भरपाई कौन करेंगा….?

वही जब हमने वन विभाग के डीएफओ हरेसिंह ठाकुर से इस संबंध में चर्चा की…..

प्रश्न :- वन विभाग में विभिन्न सामग्री के लिए निविदा का सर्वप्रथम ऑफलाइन पद्धति के माध्यम से व शासकीय नियम अनुसार आमंत्रण किया गया था… क्या…?

उतर:-सर्वप्रथम अखबारों में विज्ञप्ति प्रकाशित कर, शासकीय नियमानुसार निविदा को आमंत्रित किया गया था.।

प्रश्न :- 2 माह बीत जाने के बाद आपने पुन: इस निविदा को ऑनलाइन टेंडर पत्र के माध्यम से आमंत्रित किया.. क्या…

उत्तर :- हां ऑफलाइन को निरस्त कर, ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से निविदा आमंत्रित की गई ।

प्रश्न :- क्या करण सर्वप्रथम ऑफलाइन फिर ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से निविदा आमंत्रित की गई…..?

उतर :- वन विभाग से गलती हुई थी और विभाग द्वारा उक्त निविदा को पोर्टल पर दर्ज नहीं किया गया था इसलिए पुनः निविदा आमंत्रित की गई ।

प्रश्न :- पोर्टल पर दर्ज करने से क्या तात्पर्य हैं …आपका…।

उत्तर :- निविदा को पोर्टल पर नहीं चढ़ाया गया ।

प्रश्न :- पोर्टल से तात्पर्य याने… आपने इस निविदा को ऑनलाइन टेंडर पद्धति से आमंत्रित किया , जबकि यह पद्धति शासकीय प्रणाली मे वर्षों से जारी है… तो अचानक इस वर्ष ऑफलाइन से ऑनलाइन क्यों…..

उतर :- कोई जवाब नहीं दिया गया ।

प्रश्न :- क्या इस आफलाईन निविदा पद्धति को लेकर कोई शिकायत या आपत्ति ली गई है …क्या…..?

उतर.:- नही….।

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