वनवासी कल्याण आश्रम में महिला जनजागृति को लेकर हुआ बैठक का आयोजन
झाबुआ । हमारे देश में महिला शक्तिस्वरूपा है, सृजनशील है। भारत में घर का आधार वास्तव में महिला ही होती है और जहाँ तक जनजाति समाज का विचार है, महिला घर तो सम्हालती ही है, साथ में खेती, पशुपालन से जुडे कामों में भी मदद करती है। जंगल से लकड़ी लानेवाली भी महिलाएँ होती है। आप किसी भी वनवासी क्षेत्र के हाट बाजारो में जाईए, वहां खरीददारी करने आई महिलाओं की संख्या विशेष होती है और व्यापार करनेवाली भी अधिकतम महिलाएं ही होती है। आज भी देश के कई गाँव ऐसे है जहाँ समाज की पंचायत बैठती है, वहाँ भी महिलाओं की बात का विशेष स्थान है। उक्त बात सुश्री वीणा पाणिदास शर्मा अखिल भारतीय महिला प्रमुख ( कलकत्ता) ने स्थानीय वनवासी आश्रम में महिलाओं के लिये आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहीं । उन्होने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम में मातृ स्वरूपा महिलाओं के कारण हिन्दू जागृति की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य किया है । आज के परिप्रेक्ष्य में आवश्यकता है कि हर हिन्दुओें को पूर्णकालीक रूप से कार्य नही कर पाये तो भी उन्हे अंशकालिक रूप से कार्य करने की महत्ती आवश्यकता है। यदि हम सभी मिल कर कार्यकरेगें तो निश्चित ही समाज एकजुट होकर कार्य करेगें तो हिन्दु समाज सुरक्षित रहेगा । उन्होने संगठन के उद्देश्य की जानकारी देते हुए कहा कि अखिल भारतीय महिला संगठनात्म प्रवास के तहत 17 से 21 जुलाई तक महिला विंग की पदाधिकारियों का भोपाल, इन्दौर, बडवानी, अंजड, बाग, झाबुआ एवं उज्जैन का महिला संगठन की मजबुती, जन जागरण एवं संगठनात्मक प्रवास हो रहा है । वनवासी कल्याण आश्रम झाबुआ के अध्यक्ष मनोज अरोरा ने बताया कि वनवासी कल्याण आश्रम में सतत प्रदेश एवं प्रदेश स्तरीय पदाधिकारीगण का आगमन होकर यहां वनवासी कल्याण आश्रम की सराहनीय भूमिका को लेकर बौद्धिक का आयोजन हो रहा है । महिला विंग के कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके किया गया । श्री अरोरा ने आगे बताया कि वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना से ही महिलाएँ अपने कार्य से जुड़ी थी, परन्तु सुश्री लीलाताई पराडकरजी के आगमन के पश्चात महिला कार्य के रूप में योजना बनी। वे हमारे कार्य में प्रथम महिला पूर्णकालीन कार्यकर्ता के रूप में सन् 1973 में जशपुर आई। वर्तमान झारखण्ड के लोहरदगा में एक डाक्टर दम्पति के आते एक और महिला कार्यरत हुई। धीरे धीरे कार्य आगे बढ़ता गया। दिल्ली में सन् 1981 में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भी 250 बहनें सहभागी हुई थी। सन् 1985 में भिलाई में और पश्चात 2007 में राँची में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन आयोजित किया था। इस अवसर पर श्रीमती रश्मिताई कुलकर्णी दीदी प्रांत प्रमुख भोपाल ने भी अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि आज महिला कार्य ग्राम समिति से लेकर अखिल भारतीय स्तर तक कार्यरत है। पूर्णकालिन कार्य करनेवाली भी महिला कार्यकर्ता ळें शिक्षा, आरोग्य, स्वावलम्बन, हितरक्षा किसी भी आयाम की बात हो सभी में महिला कार्यकर्ता आगे बढ़ चढ़कर कार्य कर रही है। प्रकल्पों का संचालन करती है। देश में आज बालिकाओं के लिये छात्रावास है, सभी खेल महोत्सव में वनवासी बालिकाएँ अपने कौशल का परिचय कराती है। अधिकतम संस्कार केन्द्र तथा बचत समुहोें का संचालन महिला ही करती है। नगर समितियों में सेवापात्र योजना चलाने में महिलाएँ विशेष सक्रीय है। इतना ही नहीं तो देश के विभिन्न प्रान्तों में कल्याण आश्रम के माध्यम से जो पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित होती है, उनमें भी महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। संक्षेप में कहे तो वनवासी कल्याण आश्रम के सभी प्रकार के कामों में महिलाओं का योगदान है। इस योगदान का प्रमाण बढे, सक्रीयता सतत रहे, इस हेतु संगठनात्मक तालिका में महिला कार्य की भी रचना की है। इसलिये आवश्यक है कि हिन्दु समाज एक जूटता के साथ आगे आवे तथा इस पुनित कार्य में सहभागिता करें ।
सुश्री फुलकुमारी दीदी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ सह महिला प्रभारी एवं श्रीमती अंजना पटेल दीदी, वनवासी कल्याण परिषद प्रांत टोली सदस्य ने भी संबोधित करते हुए कहा कि न केवल वनवासी समाज, अपितु सम्पूर्ण समाज में जागरण करना अपना कार्य है, उस जागरण के कार्य में भी महिलाओं द्वारा जागरण जो हो रहा है, उसको इतिहास भी भूल नहीं सकता।
पद्मश्री महेश रमेश परमार एवं श्रीमती शांति परमार का अतिथियों ने स्वागत किया । इस अवसर पर श्रीमती पद्मश्री शांति परमार ने वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यो एवंज न सेवा जनार्दन सेवा के महामंत्र की प्रसंशा करते हुए कहा कि वनवासी बच्चों को शिक्षा दिक्षा के साथ ही सनातन संस्कृति के तहत नैतिक शिक्षा के साथ ही खेल गतिविधियों में सक्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया जारहा है, जिसके लिये आश्रम के पदाधिकारीगण साधुवाद के पात्र है ।
इस अवसर पर जिला संगठन मंत्री गणवत मुणिया, जिला सचिव कानजी भूरिया, महेश मुजाल्दा पद्म श्री रमेश परमार एवं श्रीमती शांति परमार विशेष रूप से बैठक में उपस्थित रहें । कार्यक्रम का संचालन जिला संगठन मंत्री गणपत मुणिया ने किया तथा अन्त में आभार एवं धन्यवाद जिला सचिव कानजी भूरिया ने ज्ञापित किया ।
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