एक युवा का जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होना चाहिए, जिससे उसके मस्तिष्क, हृदय और आत्मा का संपोषण भी होता रहे- सांसद गुमानसिंह डामोर ।
स्वामीजी ने युवाओं से अपील की कि वे निर्भय बनें और अपने आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाए- कलेक्टर तन्वी हुड्डा ।
युवा दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम, सूर्यनमस्कार एवं योग प्राणायाम का हुआ आयोजन ।
झाबुआ । स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस का कार्यक्रम जिला प्रशासन के निर्देशानुसार स्थानीय पीएम श्री शासकीय कन्या उ.मा.विद्यालय में जिला शिक्षा अधिकारी,सहायक आयुक्त आदिवासी विकास,के सहयोग से आयोजित किया गया जिसमें जिला योग समिति ने पूर्ण सहभागिता की ।
कार्यक्रम में राष्ट्रीयगीत, राष्ट्रगान, सहित मध्यप्रदेश गान के पश्चात सूर्य नमस्कार,प्राणायाम,योग कराया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद गुमानसिंह डामोर,कलेक्टर सुश्री तन्वी हुड्डा, पुलिस अधीक्षक अगम जैन, भारतीय शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रदेशाध्यक्ष शिक्षाविद् ओमप्रकाश शर्मा, अपर कलेक्टर एसआर मुजाल्दा, डिप्टी कलेक्टर आशा परमार सहित सभी जिला अधिकारी रहे ।
इस अवसर पर सांसद गुमानसिंह डामोर ने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन वृत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत और दुनिया के युवाओं को प्रभावित करने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानंद एक बड़ा नाम है। उनके शिकागो में वर्ष 1893 में दिए गए भाषण ने उन्हें भारतीय दर्शन और अध्यात्म का अग्रदूत बना दिया। तब से लेकर आज तक उनके विचार युवाओं को प्रभावित करते रहे हैं। आज के दौर में जब युवा नई-नई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, नए लक्ष्य तय कर रहे हैं और अपने लिए एक बेहतर भविष्य की आकांक्षा रख रहे हैं तो स्वामी विवेकानंद के विचार और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। श्री डामोर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक युवा का जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होना चाहिए, जिससे उसके मस्तिष्क, हृदय और आत्मा का संपोषण भी होता रहे। स्वामी विवेकानंदजी चाहते थे कि युवा अधिक से अधिक संख्या में सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों, जिससे न केवल समाज बेहतर बनेगा, बल्कि इससे व्यक्तिगत विकास भी होगा। उन्होंने सामाजिक सेवा के साथ आध्यात्मिकता को भी जोड़ा और मनुष्य में मौजूद ईश्वर की सेवा करने की बात कही। उनके अनुसार समाज सेवा से चित्तशुद्धि भी होती है। उन्होंने समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों की सेवा करके एक नए समाज के निर्माण की बात कही। युवाओं से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि बाकी हर चीज की व्यवस्था हो जाएगी, लेकिन सशक्त, मेहनती, आस्थावान युवा खड़े करना बहुत जरूरी है।
जिला कलेक्टर सुश्री तन्वी हुड्डा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि अधिकतर युवा सफल और अर्थपूर्ण जीवन तो जीना चाहते हैं, लेकिन अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए वे शारीरिक रूप से तैयार नहीं होते। इसलिए स्वामीजी ने युवाओं से अपील की कि वे निर्भय बनें और अपने आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाएं। वे कहते थे कि किसी भी तरीके का भय न करो। निर्भय बनो। सारी शक्ति तुम्हारे अंदर ही है। कभी भी यह मत सोचो कि तुम कमजोर हो। उठो, जागो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। वह हमेशा मानसिक रूप से सशक्त होने के साथ-साथ शारीरिक रूप से मजबूत होने की बात भी कहते थे। गीता पाठ के साथ-साथ फुटबॉल खेलने को भी वह उतना ही महत्वपूर्ण मानते थे। उन्होंने साफ कहा कि शक्ति ही जीवन है, कमजोरी ही मृत्यु है और कोई भी व्यक्ति तब तक भौतिक जीवन का सुख नहीं ले सकता, यदि वह ताकतवर नहीं है।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने भी कहा कि स्वामी विवेकानंद एक कर्मयोगी थे। उन्होंने सिर्फ शिक्षा और उपदेश नहीं दिए, बल्कि उन्हें अपने जीवन में सबसे पहले उतारा। योगी होने के साथ-साथ उन्होंने समाज के सबसे कमजोर तबके को अपना भगवान माना और उनकी सेवा करते रहे। अपनी आध्यात्मिक चेतना के साथ-साथ अपनी सामाजिक चेतना को भी जाग्रत रखा और समाज का काम करते रहे। स्वामी विवेकानंद अपने विचारों, आदर्शो और लक्ष्यों की वजह से आज भी बहुत प्रासंगिक हैं। उन्होंने युवाओं को शारीरिक, सामाजिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक संधान के माध्यम से इन्हें प्राप्त करने का तरीका बताया। आज का युवा इनमें से किसी एक भी मार्ग पर चलकर शांति, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति कर सकता है।
कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने जिला योग समिति के अध्यक्ष पुरूषोत्तम ताम्रकार ,उपाध्यक्ष सुभाष दुबे, कोषाध्यक्ष देवेन्द्र सोनी, सदस्यगण प्रफुल्ल शर्मा, डा. मुक्ता त्रिवदी, ,खुजेमा भाई बोहरा, डा. सुदर हाडा का शाल पहिनाकर सम्मान किया गया । अन्त में आभार जिला शिक्षा अधिकारी आरएस बामनिया तथा सचांलन विनित त्रिवेदी ने किया ।