Connect with us

झाबुआ

मानवता के सच्चे उपासक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का जाना हम सब के लिये व्यक्तिगत क्षति है- सांसद गुमानसिंह डामोर********* पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी के ब्रह्मलीन होने पर सांसद गुमानसिंह डामोर ने दी श्रद्धांजलि ।

Published

on

मानवता के सच्चे उपासक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का जाना हम सब के लिये व्यक्तिगत क्षति है- सांसद गुमानसिंह डामोर

पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी के ब्रह्मलीन होने पर सांसद गुमानसिंह डामोर ने दी श्रद्धांजलि ।

झाबुआ । जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। जैन मुनि ने आज रात 2 बजकर 30 बजे समाधि (देह त्याग दी) ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली।पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी के ब्रह्मलीन होने पर क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर ने उन्हे भरे मन से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इसे न सिर्फ जैन धर्म वरन पूरे देश के लिये एक अपूरणीय क्षति बताया ।श्री डामोर ने बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर है। आचार्यश्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले तीन दिन से उन्होंने अन्न जल त्याग दिया था। आचार्य अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया।

श्री डामोर ने कहा कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज को आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी, विशेषकर लोगों में आध्यात्मिक जागृति के उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य कार्यों के लिए उन्हे विस्मृत नही किया जा सकता है।
श्री डामोर के अनुसार आचार्य जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ली थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। आचार्यश्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वे बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत किया। आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं। उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना करते रहे हैं।
सांसद डामोर ने आगे कहा कि महान संत परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जैसे महापुरुष का ब्रह्मलीन होना, देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी अंतिम साँस तक सिर्फ मानवता के कल्याण को प्राथमिकता दी। मानवता के सच्चे उपासक आचार्य विद्यासागर जी महाराज का जाना हम सब के लिये व्यक्तिगत क्षति है। वे सृष्टि के हित और हर व्यक्ति के कल्याण के अपने संकल्प के प्रति निःस्वार्थ भाव से संकल्पित रहे। विद्यासागर जी महाराज ने एक आचार्य, योगी, चिंतक, दार्शनिक और समाजसेवी, इन सभी भूमिकाओं में समाज का मार्गदर्शन किया। वे बाहर से सहज, सरल और सौम्य थे, लेकिन अंतर्मन से वज्र के समान कठोर साधक थे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य व गरीबों के कल्याण के कार्यों से यह दिखाया कि कैसे मानवता की सेवा और सांस्कृतिक जागरण के कार्य एक साथ किये जा सकते हैं।
श्री डामोर ने संसदीय क्षेत्र की जनता की ओर से आचार्यश्री का स्मरण करते हुए उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परम पिता परमात्मा को उन्हे श्रीचरणों में स्थान देने की प्रार्थना करते हुए उनके बताये मार्गो पर चलने का संकल्प व्यक्त किया ।

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मंच है। यहां विभिन्न समाचार पत्रों/टीवी चैनलों में कार्यरत पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण खबरें प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं ।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!