झाबुआ – साइबर फ्रॉडिंग के नए नए मामले देखने और सुनने को मिल रहे हैं जहां एक और जालसाजों द्वारा फोन कॉल के माध्यम से ओटीपी लेकर या फिर किसी अनचाही लिंक को क्लिक करने पर या फिर किसी अन्य तरीके से या फिर खाताधारक के खाते में राशि नहीं होने पर या अपडेशन को लेकर, खाते से राशि डेबिट हो रही है । हाल ही में इन जालसाजो द्वारा नया तरीके से फ्रॉड किया है जिसमें इन जालसाजों ने मां के खाते से बेटी के खाते राशि फोन पे के माध्यम से ट्रांसफर की, बिना खाताधारक की जानकारी के , राशि आटो डेबिट हुई , फिर अनचाहे बैंक खातों में राशि ऑटो ट्रांसफर हुई । इस तरह इन बैंकों की वीक सिक्योरिटी सिस्टम के कारण यह राशि ट्रांसफर हुई ।
जानकारी अनुसार शहर के ही रहने वाली मां और बेटी के खातों से राशि से फोन पे के माध्यम से ऑटो ट्रांसफर हुई । नाम न बताने की शर्त पर मां ओर बेटी ने बताया कि मां का खाता बैंक आफ महाराष्ट्र की शाखा झाबुआ में है वहीं दूसरी ओर बेटी का खाता यूको बैंक की शाखा झाबुआ में है । मां और बेटी ने बताया कि 3 जून को दोनों ही अपने परिवार के साथ मोहनखेड़ा और भोपावर तीर्थ पर दर्शन करने गए थे । इसी दिन जालसाजों द्वारा 3 जून को सर्वप्रथम मां के खाते से राशि बेटी के खाते में ट्रांसफर हुई । जिसकी जानकारी ना तो बेटी को है और नहीं मां को है । इन जालसाजों द्वारा राशि को मां के खाते से बेटी के खाते में ₹40000 ऑटो ट्रांसफर किए । इसके बाद इस राशि को पुनः रिवर्स भी किया गया । पश्चात इसी दिन जालसाजो ने पुन मां के खाते से राशि को बेटी के खाते में ट्रांसफर किए । जालसाजो ने करीब चार बार ऑटो ट्रांजैक्शन किए और करीब रू 54099 मां के खाते से डेबिट किए और बेटी के खाते में क्रेडिट किए । पश्चात बेटी के खाते से यह राशि इन जालसाजों ने तीन ट्रांजैक्शन अनचाहे खाते में और एक ट्रांजैक्शन अन्य अनचाहें खाते में किए । जिसमें से तीन ट्रांजैक्शन किसी शिवांश सिंह गर्गवंशी और एक आयुष कुमार के नाम से ….फोन पे ……पर शो हो रहे हैं मां और बेटी ने बताया कि इस तरह की ऑटो ट्रांजैक्शन की जानकारी उन्हें किसी भी तरह से नहीं थी और नहीं कोई उन्हें मैसेज प्राप्त हुए और न हीं उन्होंने किसी लिंक को क्लिक किया या आओटीपी शेयर किया । 4 जून को जब मां और बेटी ने अपने खाते को, किसी लेन-देन को लेकर चेक किया । तो उन्हें इस फ्रॉड का पता चला । तत्काल दोनों ने अपने बैंक पहुंचकर खातो को होल्ड पर रखने हेतु आवेदन दिया और 1930 पर ऑनलाइन शिकायत भी की तथा साइबर सेल झाबुआ में भी आवेदन के साथ जांच व कार्रवाई हेतु निवेदन किया । मां बेटी और परिवारजन ने इस तरह के ऑटो ट्रांजैक्शन को लेकर यूको बैंक के वीक सिक्योरिटी सिस्टम को दोषी मानते हुए , ऑटो ट्रांजैक्शन की बात कही । कहीं ना कहीं बैंक के वीक सिक्योरिटी सिस्टम के कारण ही मां और बेटी के खातों से राशि फोन पे के माध्यम से राशि ऑटो ट्रांसफर हुई और फिर मनचाहे खातों में राशि आसानी से ट्रांसफर हुई । इसमें विशेष रूप से यूको बैंक की वीक सिक्योरिटी सिस्टम का इसके लिए जिम्मेदार है । वही बैंक के जिम्मेदारों का कहना है कि या तो ओटीपी के माध्यम से या अनचाही लिंक के माध्यम से राशि ट्रांसफर हुई । या क्लोन या फिशीग का मामला भी हो सकता है । जबकि अगर देखा जाए तो दोनों ही मां और बेटी के द्वारा एक ही दिन में एक ही समय पर ओटीपी दिया जाना संभव नहीं और न ही अनचाही लिंक को क्लिक किया जाना । जिस प्रकार से यूको बैंक से अनचाहे खातों में राशि हस्तांतरित होने से मां और बेटी परेशान हैं । वहीं इस तरह के घटना होने से यूको बैंक के अन्य खाताधारक भी अपने खातों की राशि को लेकर भयभीत होने की भी संभावना है । तथा आमजन अपने खाते इस बैंक में खोलने से डरेंगे । और तो और यूको बैंक के शाखा प्रबंधन को 4 जून को इस साइबर फ्रॉड को लेकर आवेदन दिया गया था लेकिन जब खाताधारक 11 जून को बैंक पहुंचे और जानकारी चाहिए , तब कहीं जाकर बैंक के सिस्टम से टैक्स मैसेज के माध्यम से ग्रीवेंस नंबर की जानकारी प्राप्त हुई । इस प्रकार साइबर फ्रॉड की जानकारी देने के सात दिन बाद सिस्टम से ग्रीवेंस रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त होना, कहीं ना कहीं बैंक की लापरवाही को दर्शाता है । चर्चा चौराहा पर यह भी चल पड़ी है कि इसी तरह से यूको बैंक से अनचाहे खातों में राशि बिना किसी ओटीपी या लिंक के यूपीआई मोड़ के माध्यम से ट्रांसफर होती रही , तो कोई भी खाता सुरक्षित नहीं रहेगा ।
यूपीआई मोड़ के माध्यम से राशि ट्रांसफर को लेकर शिकायत दर्ज कर ली गई है बाकी सारा काम साइबर ब्रांच का है ।
विष्णु भूषण, शाखा प्रबंधक, यूको बैंक झाबुआ ।
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