“विद्या भारती का गुरुकुल संकल्प बनेगा राष्ट्र निर्माण में सहायक”-संत अच्युतानंद
“शिक्षा से चरित्रवान पीढ़ी का निर्माण हो”- जिला कलेक्टर
थांदला (वत्सल आचार्य मनोज अरोड़ा की खास रिपोर्ट) 07 जुलाई। समीपस्थ राजस्थान प्रांत के बांसवाड़ा में विद्या भारती संस्थान के नवीन सांदीपनि विद्या निकेतन छात्रावास का भव्य शुभारंभ कार्यक्रम रविवार को सम्पन्न हुआ। आज विद्या निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय, मदारेश्वर परिसर में किया गया। जिसमे वागड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध बेणेश्वर पीठ के पीठाधीश्वर पूज्य श्री अच्युतानंद जी महाराज का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ। मुख्य अतिथि बांसवाड़ा के जिला कलेक्टर इंद्रजीत यादव,मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक विकासराज,विशिष्ट अतिथि विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र के सह मंत्री डॉ. राकेश डामोर और विद्या भारती संस्थान,बांसवाड़ा के जिला समिति अध्यक्ष रमेश बृजवासी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। प्रारम्भ में नवग्रह पूजन और हवन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया,जिसमें छात्रावास के प्रभारी नरेश पाटीदार ने यज्ञाचार्य हितेश शुक्ला और कृष्णकांत पाठक के निर्देशन में देव वंदना और पूजन किया। कार्यक्रम में पधारे हुए अतिथि महानुभावों के द्वारा रिबन खोलकर,श्रीफल वधेर कर नवीन छात्रावास का उद्घाटन और अवलोकन किया गया। मंदारेश्वर विद्यालय समिति के अध्यक्ष भुवनेश पंड्या द्वारा अतिथियों का परिचय व विद्या भारती का परिचय जिलामंत्री नवनीत शुक्ला द्वारा करवाया गया। छात्रावास निर्माण में क्षेत्र और जिले के जिन भामाशाहों का सहयोग प्राप्त हुआ,उन सभी को पूज्य महाराज द्वारा उपरणा ओढ़ा कर स्वागत और अभिनंदन किया गया। इसके पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर डॉ.इंद्रजीत यादव ने अपने उद्बोधन में बताया कि उनकी उच्च माध्यमिक तक की शिक्षा विद्या भारती के विद्यालय में ही हुई है।उन्होंने बताया कि शिक्षा केवल नौकरी या व्यवसाय के लिए नहीं है। इसका उद्देश एक चरित्रवान पीढ़ी का निर्माण करना है। शिक्षा के माध्यम से ही बालक का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। वर्तमान शिक्षा प्रणाली के माध्यम से बालक दबाव महसूस करता है। शिक्षा और संस्कार की कमी ही अपराध का मूल कारण होता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सेवा की भावना से कार्य किया जाए जिससे की जरूरतमंद का लाभ हो सके। इसके पश्चात बालिका विद्यालय की बहिनों द्वारा समूह गीत “राष्ट्रधर्म कर्तव्य मार्ग पर निशदिन बढ़ते जाएंगे” गाया गया। गीत के उपरांत कार्य्रकम के मुख्यवक्ता महोदय ने अपने उद्बोधन में उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि, ईश्वर प्राप्ति का मार्ग गुरु के अलावा कोई ऒर नहीं बता सकता। गुरु-शिष्य परम्परा को आधार मानकर इस नवीन छात्रावास का निर्माण किया गया है,ये प्रशंसनीय है। भारतवर्ष की परंपराएं,भारत की संस्कृति की वाहक है। इसलिए शिक्षा में भारतीयता का होना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में बालक में धैर्य की अति कमी आ रही है,जिसका मुख्य कारण मोबाईल का उपयोग हैं। वर्तमान शिक्षा के माध्यम से अच्छे और चरित्रवान युवा पीढ़ी का निर्माण किया जाए। उन्होंने बताया की नालंदा के विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण से शिक्षा में भारतीयता का समावेश होगा। इसके पश्चात पूज्य श्री अच्युतानंद महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आज मंदारेश्वर के इस प्राकृतिक वातारण में गुरुकुल परंपरा का आभास हो रहा है। विद्या हमें अवगुणों से मुक्ति प्रदान करे,वही उसकी सार्थकता है। देश के चरित्र का असली निर्माण विद्या भारती के इस प्रकार के गुरुकुलो में होता है। इस प्रकार के छात्रावास के द्वारा सामाजिक समरसता का भाव बढ़ता है। इसके लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना पड़ेगा। किसी भी देश की मुख्य पहचान उसके नागरिकों के चरित्र से होती है। इसलिए सद्चरित्र से युक्त युवा पीढ़ी का निर्माण किया जाए। आगे उन्होंने कहा कि विज्ञान के आधुनिक अविष्कारों द्वारा हमें भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। उद्बोधन के पश्चात जिला समिति के उपाध्यक्ष श्री सूरज जी पाटीदार द्वारा पधारें हुए सभी अतिथियों,अभिभावक और आगंतुकों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संयोजन विद्या भारती संस्थान के जिला सचिव ललित कुमार दवे ने किया। उक्त जानकारी विद्यालय के प्रचार प्रमुख दिव्यराज सिंह ने उपलब्ध करवाई।
साभार श्री मधुसूदन जी व्यास बांसवाड़ा
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