PWD PIU में निविदा निरस्त करने के लिए प्रमुख अभियंता ने बड़ी कारवाई करते हुए, कंप्यूटर ऑपरेटर को जवाबदार मानते हुए बर्खास्त के लिए दिया आदेश, जबकि विभाग का कार्यपालन यंत्री जवाबदार होता है ।
झाबुआ – पीडब्ल्यूडी पीआईयू की कार्यप्रणाली इन दिनो जिले से लेकर भोपाल तक चर्चा का विषय का बनी हुई है । इस विभाग के आला अधिकारी की गैर जिम्मेदार कार्य प्रणाली को लेकर विभाग के प्रमुख अभियंता द्वारा निविदा निरस्त के लिए, बड़ी कारवाई करते हुए,विभाग के कंप्यूटर ऑपरेटर को दोषी मानते हुए, बर्खास्त के आदेश दिए गए हैं जबकि विभाग का कार्यपालन यंत्री इसके लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार है कहीं ना कहीं लगातार विभागीय अधिकारी की शिकायत मिलने के बाद भी , प्रमुख अभियंता द्वारा विभाग के आला अधिकारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है जो जांच का विषय है ।
जिले के पीडब्ल्यूडी पीआईयू विभाग द्वारा करोड़ों रुपए के भवन निर्माण का किया जा रहे हैं विभाग में धार के किसी ठेकेदार का हस्तक्षेप इतना बढ़ गया है कि वह अपनी गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य के लिए अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर, लगातार विभाग को चूना लगाने में व्यस्त रहता है । वहीं विभाग के आला अधिकारी या कार्यपालन यंत्री की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार शिकायत होने के बाद भी प्रमुख अभियंता द्वारा कारवाई करने के बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है । वहीं पीडब्ल्यूडी पीआईयू विभाग द्वारा निविदा क्रमांक 2023-PWDPIU- 30399-1 मॉडल स्कूल कल्याणपूरा / सीएम राइस स्कूल का भवन निर्माण कार्य के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी । इस निविदा में विशेष फर्म ठेकेदार अजय अग्रवाल द्वारा निविदा में बीड कैपेसिटी में गलत जानकारी दी गई । फर्म/ ठेकेदार द्वारा दूसरे विभागों में चल रहे निर्माण कार्यों की जानकारी छिपाई गई , जो करप्ट प्रैक्टिस की श्रेणी में आता है । इसको लेकर मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव आदि को शिकायत भी की गई थी । फिर भी विभाग द्वारा सारे नियम कायदों को ताक में रखकर कार्योदेश जारी किए गए । जबकि गलत जानकारी देने पर नियम अनुसार निविदा को निरस्त किया जाना था । साथ ही मध्य प्रदेश शासन में बीड कैलकुलेशन को कोई नियमावली नहीं है । फिर भी विभाग द्वारा इस ठेकेदार को यह ठेका देने के लिए सारे नियमों को ताक में रखकर कार्योदेश जारी किए गए। जिसको लेकर काफी शिकायतें भी हुई । लेकिन विभाग के प्रमुख अभियंता द्वारा कोई कारवाई नहीं गई । जो की जांच का विषय है इसके अलावा संभवत वर्ष 2015-17 में एन.एस. भिड़े पीडब्ल्यूडी विभाग में जिले के पेटलावद ब्लॉक अंतर्गत एसडीओ के पद पर कार्यरत थे तब एसडीओ के पद पर कार्य करते हुए, इस अधिकारी ने ठेकेदार के निर्माण कार्य के बिल बनाने को लेकर काफी परेशान किया था । ठेकेदार के देयक में सही माप नहीं अंकित होने पर, उसके देयक का भुगतान नहीं होने पर, संभवतः आत्महत्या कर ली थी जिसमें ठेकेदार द्वारा अपने अंतिम पत्र में इस बाबत लिखा गया था जिसकी जांच पीडब्ल्यूडी में तब से ही चल रही है । हाल ही में झाबुआ और अलीराजपुर के पीडब्ल्यूडी पीआईआयु के संभागीय परियोजना अधिकारी ने एन.एस.भिड़े ने जेम पोर्टल पर फर्नीचर खरीदी हेतु निविदा आमंत्रित की थी । बीड के/2024/5470330 व बिड के/2024/ई/5470968 को बिना खोले ही अकारण निरस्त कर दिया था । इस कार्य प्रणाली को लेकर विभाग के प्रमुख अभियंता द्वारा बड़ी कार्रवाई करते हुए, विभाग में छोटे पद पर कार्य कर रहे, बेकसूर ऑपरेटर को विभाग के आला अधिकारी की गैर जिम्मेदाराना कार्य प्रणाली का शिकार बनाते हुए गाज गिराई व कंप्यूटर ऑपरेटर को इस कार्य प्रणाली के लिए दोषी मानते हुए , तत्काल बर्खास्त करने हेतु, पत्र का 9-52 /2020/ विविध/ इंदौर/सा/प्र.अभि.भवन / पार्ट-3 1238 के तहत विभाग को आदेश दिया गया । जबकि निविदा आमंत्रण प्राधिकारी कार्यपालन यंत्री है । वही इस तरह की कार्य प्रणाली के लिए विभाग का कार्यपालन यंत्री पूर्ण रूप से जवाबदार होता है क्योंकि किसी भी टेंडर निरस्त करने को लेकर ओटीपी विभाग के कार्यपालन यंत्री के मोबाइल पर आता है या फिर एसडीओ के मोबाइल पर । संपूर्ण कार्य प्रणाली जांच का विषय है । वहीं किसी भी शासन की योजना अनुसार उत्कृष्ट कार्य के लिए , विभाग के आला अधिकारी को शासन प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाता है और विभाग का अधिकारी वह सम्मान लेने के लिए पहुंचता है। वैसे ही यदि किसी गलत कार्य के लिए भी, विभाग का आला अधिकारी ही जवाबदार है । कारवाई विभाग के आला अधिकारी पर होना चाहिए, न की कंप्यूटर ऑपरेटर । वही विभाग का खास ठेकेदार द्वारा बामनिया में भी बालक छात्रावास का निर्माण कार्य किया जा रहा है इस निर्माण कार्य में गुणवत्ताहीन कार्य करने को लेकर जांच दल बामनिया भी पहुंचा था तथा संभवत गूगल शीट अनुसार बीम-कालम में सरिया नहीं होने को लेकर कुछ दिशा निर्देश भी दिए थे लेकिन ठेकेदार की गुणवत्ता ही कार्य प्रणाली को लेकर क्या जांच हुई और क्या कारवाई हुई, यह जानने का प्रयास किया जा रहा है । यदि सूत्रों की बात पर विश्वास करें तो संभवत विभाग के एसडीओ साल्वे को भी कार्य प्रणाली को लेकर भी कोई आदेश जारी हुए है इस आदेश में क्या लिखा है और क्या कोई कारवाई हुई या नहीं है। इसको लेकर जानकारी जुटाने का प्रयास किया जा रहा है । लेकिन लगातार विभाग के आला अधिकारी की शिकायत मिलने के बाद भी प्रमुख अभियंता द्वारा संबंधित अधिकारी पर कारवाई न करना भी उनकी स्वस्थ कार्य प्रणाली को दर्शाता है जबकि बार-बार किसी अधिकारी को बचाना इस बात का अंदेशा है कहीं यह अधिकारी और ठेकेदार संभवत कोई रिश्तेदार तो नहीं या फिर आर्थिक रिश्तेदार तो नहीं ………. विभाग की लगातार इस तरह की कार्य प्रणाली को लेकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो सभी मिलकर एक सिंडिकेट बनाकर कार्य कर रहे हैं और जिले के विकास के लिए आई राशि को, गुणवत्ताहीन कार्य कर अपनी जेबे में भरने में लगे हुए हैं । कहीं विभाग के आला अधिकारी सिंडिकेट बनाकर, मध्य प्रदेश शासन की स्वच्छ छवि को धूमिल करने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं । प्रश्न यह भी है की धार के ठेकेदार को इस तरह की विशेष सुविधाओं देने का क्या कारण है । देखना यह दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक प्रमुख अभियंता इस आला अधिकारी को बचाते हैं….कयो शासन प्रशासन द्वारा करवाई नहीं की जा रही है ।
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