झाबुआ – PWD PIU की कार्यप्रणाली और किस्से झाबुआ से लेकर भोपाल तक काफी चर्चित हो रहै है इस विभाग की तानाशाह कार्य प्रणाली को लेकर और भ्रष्टाचार को लेकर आवेदक राधेश्याम कृष्णलाल पटेल ने मुख्यमंत्री को एक शिकायती MAIL किया है तथा आवेदन (MAIL) में विभाग के प्रमुख अभियंता इंदौर, कार्यपालन यंत्री झाबुआ, एसडीओ व अन्य कर्मचारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं ।
आवेदक ने मुख्यमंत्री को दिए गए शिकायती MAIL में PWD PIU के अधिकारीयो पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि इंदौर में पदस्थ मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग (भवन) में एम एस रावत एवं झाबुआ ज़िले में कार्यंपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग (भवन) में अलसिंग भिड़े, बदरी प्रसाद साल्वे के द्वारा भवन निर्माण के कार्यों में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है । आवेदक ने आरोप लगाते हुए बताया कि अलसिंग भिड़े द्वारा हर देयक के भुगतान के एवज़ में 3% राशि की माँग की जाती है उसी तरह बदरी प्रसाद साल्वे द्वारा 2%, श्रीमती कार्मिला भावर द्वारा 1.5% राशि की माँग की जाती है । राशि नहीं देने पर इन सभी के द्वारा देयको के भुगतान अटका दिए जाते है । अलसिंग भिड़े जो की कार्यपालन यंत्री (भवन) झाबुआ में पदभार पर पदस्थ है इनके द्वारा ठेकेदारों के निर्माण कार्य के देयको में भारी एजस्ट्मेंट किया जाता है, जेसे की निर्माणाधीन भवन के प्लिन्थ के हाइट बड़वा दी जाती है एवं भूमि के वास्तविक लेवल को दर्ज ना करवाया जाते हुए काल्पनिक लेवल को दर्ज करवाया जाता है, जिससे ठेकेदारों के वास्तविक माप से अधिक भुगतान होना पाया गया है। ठेकेदारों के देयक में किए गए एजस्ट्मेंट में अलसिंग भिड़े द्वारा 50% की हिस्सेदारी रहती है एवं उनके द्वारा अपने वाहन एवं उनके निजनिवास में पदस्थ प्राइवट कर्मचारी का वेतन भी विभाग से HR रेसीट के द्वारा निकलवाया जाता रहा है । अलसिंग भिड़े द्वारा हर भवन के फ़ाइनल सर्टिफ़िकेट के लिए 1% राशि की माँग की जाती है नहीं देने पर उनके द्वारा भवन का फ़ाइनल सर्टिफ़िकेट एवं कम्प्लीशन सर्टिफ़िकेट ठेकेदार को नहीं दिया जाता है । यह भी आरोप लगाया कि अलसिंग भिड़े की इसी कार्यशेली के कारण PWD B&R में जब वह अनुविभागिय अधिकारी पेटलावद ज़िला झाबुआ के पदभार पर पदस्थ थे तब एक ठेकेदार द्वारा उसके देयक में सही माप नहीं अंकित होने एवं उसके देयक के भुगतान नहीं होने पर , उसके द्वारा आत्महत्या कर ली गई थी। जिसमें ठेकेदार द्वारा अपने अंतिम पत्र में इस बाबद लिखा गया था जिसकी जाँच PWD B&R में चल रही है।
अलसिंग भिड़े धार ज़िले के रहने वाले है एवं उसी ज़िले के एक ठेकेदार अजय अग्रवाल पर उनकी मेहरबानी हमेशा से बनी रहती है । अजय अग्रवाल द्वारा झाबुआ ज़िले के कार्यपालन यंत्री (भवन) में किए जा रहे निर्माण कार्यों में भी भारी एजस्ट्मेंट किया जाता रहा है। अजय अग्रवाल एवं अलसिंग भिड़े एक तरह से हिस्सेदार की तरह कार्य कर रहे है एवं उनके द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य अत्यंत ही घटिया स्तर के रहे है जिसकी समय-समय पर शिकायत होती रही है परंतु अलसिंग भिड़े द्वारा उन शिकायतों को दबा दिया जाता है । अलसिंग भिड़े द्वार निविदाओ में प्रस्तुत ग़लत दस्तावेजो को भी मान्य किया जाकर , ठेकेदार अजय अग्रवाल को CM राइज़ जैसी बड़े निर्माण कार्य दिलवाए गए है, जिसकी शिकायत आवेदक द्वारा 1-1-2024 को की गयी थी उसकी जाँच भी आज दिनांक तक अलसिंग भिड़े के हस्तशेप के कारण पूर्ण नहीं हो सकी है। यह भी बताया कि शिकायत के सम्बंध में दिनांक 19/7/2024 लगभग 7 माह के बाद कार्यालय मुख्य अभियंता (भवन) ओल्ड पलासिया इंदौर से मैल पर पत्र प्राप्त हुआ था जिसमें उनके द्वारा शिकायत के सम्बंध में जाँच किए जाने की बात कही गयी थी । जिसका आवेदक द्वारा उत्तर भी उन्हें मैल के द्वारा दिया गया था जिसमें आवेदक द्वारा कथन किया गया था की जो की (श्रीमान कुछ पारिवारिक कारण के रहते आपके द्वारा जाँच हेतु नियत दिनांक को उपस्थित नहीं हो सका । आवेदक द्वारा शिकायत की गयी थी की अजय अग्रवाल द्वारा निविदा प्रक्रिया existing commitments में उनके द्वारा किए जा रहे कार्य नहीं बताए गए थे । विभाग द्वारा निविदा में ठेकेदार से 100 के स्टाम्प पर शपथ पत्र लिया जाता है की उनके द्वारा निविदा में कोई गलत जानकारी नहीं दी गयी है एवं जो भी जानकारी या दस्तावेज दिए गए है वह सत्य एवं प्रमाणित है, परंतु अजय अग्रवाल द्वारा विभाग को गुमराह करते हुए जानकारी छुपाई गयी और कार्य प्राप्त किया है । कथन के प्रमाण स्वरूप अजय अग्रवाल द्वारा छुपाए गए कार्य के दस्तावेज प्रस्तुत किए , शिकायती मैल के साथ संलग्न है । आवेदक द्वारा यह भी आरोप लगाया गया था की इन समस्त दस्तावेज की जानकारी पूर्व में 29-12-23 को पत्र से आपके कार्यालय, प्रमुख अभियंता भवन भोपाल को भी प्रेषित किए गए थे, परंतु विभाग एवं कार्यालय द्वारा किसी लालच स्वरूप उक्त कार्य को अजय अग्रवाल को आवंटित किया गया । जांच तो आपके कार्यालय पर भी होनी चाहिए । इंदौर जिले में स्कीम नम्बर 140 high court निर्माण में भी ठेकेदार द्वारा ग़लत जानकरी प्रस्तुत की गयी थी जिसके परिणाम आपके कार्यालय को स्वतः ज्ञात है । आपके कार्यालय द्वारा लोकायुक्त कार्यालय इंदौर को इस सम्बंधित शिकायत में बयान दिया गया है की अजय अग्रवाल द्वारा छुपाए गए कार्य की शिकायत प्राप्त होने के बाद उनकी फ़ायनैन्शल बिड में से जो कार्य उनके द्वारा छुपाए गए है उसकी वैल्यू हटाने के बाद भी अजय अग्रवाल की फ़ायनैन्शल बिड रहती है इसलिए उसे कार्य अलोट किया गया है जबकि क्या विभाग द्वारा कोई आदेश या सर्क्यलर है की आपके द्वारा किसी ठेकेदार की निविदा में उसके द्वारा ग़लत जानकरी दी या छुपाए गए कार्य की गणना की जा सके। विभागीय आदेश अनुसार यह सारे कृत्य corrupt practice में आते है एवं कार्यालय द्वारा उक्त निविदा को पुनः आमंत्रित किया जाना था पर विभाग एव कार्यालय भी ठेकेदार के साथ मिला हुआ है एवं सभी पर कार्यवाही की जानी चाहिए) दिया गया था । विभाग द्वारा आमंत्रित निविदा में फ़र्ज़ी दस्तावेज लगाकर अजय अग्रवाल द्वारा कार्य प्राप्त किया है जिसमें उस पर कार्यवाही नही किए जाने के लिए अलसिंग भिड़े द्वारा पुर ज़ोर कोशिश की जा रहै है एवं उनके इस क्रत्य में कार्यालय मुख्य अभियंता (भवन) ओल्ड पलासिया इंदौर के पदभार पर विराजित एम एस रावत भी सम्मिलित है चुकी मुख्य अभियंता (भवन) इंदौर एम एस रावत भी धार ज़िले के निवासरत है एवं अजय अग्रवाल से उनसे बहुत ही नज़दीकी सम्बंध रहे है इसलिए वह इस जाँच को पूर्ण नही होने देना चाहते है । एम एस रावत पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे है परंतु लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में उनकी पहचान होने से उन पर कोई कार्यवाही नही की जा रही है । एम एस रावत हर कार्य के एवज़ में राशि की माँग करते है एवं पूर्ण नही किए जाने पर उनके द्वारा ठेकेदारों के कार्य अटकाए जाते रहे है । एम एस रावत द्वारा हर निर्माण कार्य की साइट विज़िट के लिए राशि 1,00,000/- की माँग करते है नही दिए जाने पर उनके द्वारा ठेकेदारों के विरुद्ध कुछ भी कार्यवाही के लिए लिखा जाता है । शिकायती MAIL में यह भी आरोप लगाया कि बदरी प्रसाद साल्वे जो कार्यालय कार्यपालन यंत्री (भवन) झाबुआ में अनुविभागिय अधिकारी के पदभार पर पदस्थ है, इनके द्वारा अपने पुत्र को निर्माण कार्य का ठेका सब्लेट दिए जाने हेतु ठेकेदारों पर दबाव बनाया जाता रहा है, एवं स्वयं बदरी प्रसाद साल्वे द्वारा ही झाबुआ ज़िले में निर्मित EVM गोदाम जो की सुरेश कुमार गुप्ता ठेकेदार के नाम से ठेका था उसे सब्लेट में लिया जाकर निर्माण कार्य करवाया गया है । EVM गोदाम की माप पुस्तिका की जाँच की जाने पर साफ़ हो जावेगा की उनके द्वारा निर्माण कार्य के वास्तविक माप अंकित नहीं करवाये गए है, एवं निर्माण कार्य भी निम्न स्तर का किया गया है । बदरी प्रसाद साल्वे द्वारा उनके अधीनस्थ निर्माण कार्यों की माप पुस्तिका में माप ग़लत अंकित करवाए जाते है जिसे उनके द्वारा उपयंत्री के द्वारा माप पुस्तिका में माप अंकित नहीं करवाया जाते हुए , जेमिन पाटिदार से अंकित करवाया जाता है । जिसे भुगतान होने के बाद में बदरी प्रसाद साल्वे के द्वारा ठेकेदार से ग़लत माप अंकित करवाने का हिस्सा लिया जाता है । बदरी प्रसाद साल्वे के अधीनस्थ निर्माण कार्यों की काफ़ी शिकायत की जाती रही है परंतु उनके द्वारा शिकायतकर्ता को अधिकतर राशि दी जाकर शिकायत वापस दिलवा ली जाती है, कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास झाबुआ के द्वारा भी बदरी प्रसाद साल्वे के अधीनस्थ निर्माण कार्यों को लेकर शिकायत की गयी थी । बदरी प्रसाद साल्वे के द्वारा उनके अधीनस्थ निर्माण कार्यों की लागत हमेशा बढ़वाई जाती रही है क्यूँकि उनके द्वारा जेमिन पाटिदार से माप पुस्तिका में ग़लत माप अंकित करवाया जाता है । वहीं श्रीमती कार्मिला भावर के द्वारा बिल भुगतान में भी ठेकेदारों को लाभान्वित किया जाता रहा है । इन सभी कर्मचारियों के द्वारा लोक निर्माण विभाग (भवन) में काफ़ी भ्रष्टाचार किया जाकर आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित की गयी है एवं आज भी उनके द्वारा भ्रष्टाचार की सारी सीमाएँ लाँगते हुए मध्य प्रदेश शासन को चुना लगाने का कार्य जारी है मेरी आपसे माँग है की इन भ्रष्टाचारी कर्मचारियों की जाँच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ एवं लोकायुक्त से करवाई जावे । एवं इन सभी दोषियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जावे ।
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