झाबुआ – शासन द्वारा जनहित के विकास कार्य हेतु सामग्री की खरीदी भी की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य अच्छी गुणवत्ता वाली सामग्री न्यूनतम दर में खरीदी की जा सके । इस हेतु अधिक से अधिक व्यावसायिक फर्मे निविदा में भाग ले । अच्छी गुणवत्ता के साथ निविदा में भाग लेने वाली फर्म किसी भी प्रकार की टैक्स चोरी आदि न कर सके , इसका विभाग को विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए । सही मापदंड , उच्च गुणवत्ता ,ISI मार्क या आईएसओ प्रमाणित आदि बातों का ध्यान भी रखना जरूरी है । लेकिन वन विभाग द्वारा फेंसिंग मटेरियल सामग्री के लिए आमंत्रित की गई , निविदा में सामग्री को लेकर कोई वेरिफिकेशन नहीं था और अनुलग्नक 4 व 5 मे विशेष शर्तों का उल्लेख, विशेष फर्मों के लिए प्रतीत हो रहा था ।
हाल ही में वन विभाग द्वारा 7 अक्टूबर को निविदा क्रमांक 2024/ MPFD/ 37375-1 ऑनलाइन आमंत्रित की गई थी । जिसमें विभिन्न फेंसिंग मटेरियल सामग्री जैसे कांटेदार तार, जे हुक , सीमेंट पोल, लिंक जाली, बाइंडिंग वायर के लिए निविदा आमंत्रित की थी निविदा में सामग्री की गुणवत्ता पर विभाग का ध्यान नहीं था ऐसा लगता है । सिर्फ अपना लाभ व अपनी पंसद वाली फर्म को किस तरह लाभान्वित किया जा सके , इसी बिंदु को ध्यान मे रखकर, निविदा में विशेष शर्तों का उल्लेख किया गया था । निविदा में अनु लग्नक 4 व 5 दर्शाया गया । जिसमें लगता है कि निविदा में विशेष शर्तें , पूर्व में कार्य कर रही, विशेष फर्म के लिए ही डाली गई है ।शर्तों में सामग्री खरीदी को लेकर, गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया है जो चिंतन का विषय है । तकनीकी रूप से कमजोर निविदा आमंत्रित की गई, जिसमें सामग्री को लेकर कोई वेरिफिकेशन नहीं था । निविदा में सामग्री खरीदी को लेकर बात करे, तो सर्वप्रथम
1. कांटेदार तार– इसमें ना तो तार गेज अंकित किया और नहीं जीआय कोटेड तार लिखा गया है ।
2- बाइंडिंग वायर (काला तार ) – इसमें भी कितने गेज का तार होना चाहिए ,अंकित नहीं किया गया ।
3 – जे हुक – जे हुक की लंबाई व कितने गेज का होना चाहिए , नहीं दर्शाया गया । जे हुक के साथ नट भी नहीं लिखी गई , शायद विभाग ने अपने लाभ के लिए छोड़ दिया , ताकि नट के पैकेट के अधिक से अधिक बिल बनाकर लगाये जा सके ।
4- लिंक जाली– जाली में भी कितने गेज की साइज 2 ×2 ईंच या 4×4 ईंच नहीं दर्शाया गया ।
5- सीमेंट पोल – पोल की मजबूती के बारे में भी स्ट्रैंथ क्या है या होना चाहिए नहीं लिखा गया ।
इस निविदा में विशेष बात यह रही कि जिस फर्म ने शासन निर्धारित समस्त शर्तों को ध्यान रखते हुए निविदा दर दी, क्योंकि वह फर्म विभाग की अपनी वाली नहीं थी । निविदा प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। उसकी निविदा दरे नहीं खोली गई । जबकि समस्त आवश्यक दस्तावेज ऑनलाइन निविदा में स्कैन किए गए थे जो निम्न है 1.जीएसटी रजिस्ट्रेशन 2.पैन कार्ड 3.दुकान एवं प्रतिष्ठान रजिस्ट्रेशन 4- रू 100 के स्टांप पेपर पर घोषणा पत्र, अनुलग्नक 1 । 5. रजिस्ट्रेशन ठेकेदारी का । 6. अर्नेस्ट मनी ₹250000 की । 7. 5 वर्ष का सीए प्रमाणित टर्नओवर । 8. इनकम टैक्स रिटर्न पिछले 3 वषौ का । 9. निविदा शुल्क की रसीद आदि । इस निविदा में अनुलग्नक चार व पंच के कारण कई फर्म , इस निविदा की पात्रता श्रेणी में शामिल नहीं होने से, निविदा में भाग नहीं लिया । लगता है विभाग के अधिकारी शासन व जनता की गाड़ी कमाई का पैसा , इस प्रकार दुरुपयोग कर अपना हित साधने में लगे हैं शासन इस और ध्यान देवे , चूंकि हर विभाग में यह गोरख धंधा चल रहा है । क्या शासन प्रशासन वन विभाग द्वारा आमंत्रित की गई , इस तकनीकी रूप से कमजोर निविदा को निरस्त कर , पुनः निविदा आमंत्रित करेगा या फिर यह विभाग विशेष फर्म को लाभ देने के लिए विशेष शर्तों का उल्लेख करता रहेगा….?
शासन प्रशासन को अपने स्तर पर सामग्री खरीदी हेतु एक फिक्स आचार संहिता बनानी चाहिए , ताकि उच्च गुणवत्ता युक्त सामग्री कम दरों में खरीदी की जा सके , तभी विकास का पहिया आगे बढ़ेगा ।
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