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झाबुआ

संरक्षित खेती योजनांतर्गत क्लस्टर में शेडनेट हाउस निर्माण में जिला प्रदेश में प्रथम स्थान पर

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झाबुआ 16 दिसम्बर, 2024। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार को एक वर्ष पूर्ण हो चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में युवा, नारी, किसान एवं वंचित वर्ग चार आधारभूत स्तम्भों के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे है। जिले में भी पारम्परिक कृषि के स्थान पर उद्यानिकी विभाग की संरक्षित खेती योजनांतर्गत शेडनेट हाउस का प्रचलन बढ़ रहा है। सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग श्री नीरज सांवलिया ने बताया कि कलेक्टर नेहा मीना के निर्देशन में विगत एक वर्ष में जिले में एक वर्ष में 1,09,500 वर्ग मीटर में शेडनेट हाउस का निर्माण किया जाकर जिला प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। साथ ही 01 दिसम्बर 2023 से अब तक कुल 36 हितग्राहियों को लाभ पहुंचाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक किसानों के यहां पर क्लस्टर में शेडनेट हाउस का निर्माण कराकर उच्च कोटी निर्माण साब्जयों की खेती कराकर कृषकों की आय में वृद्धि कर कृषकों का आर्थिक विकास करना है। आगामी वर्ष में जिले के जनजाति बाहुल्य किसानों के यहां पर प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख वर्ग मीटर मे शेडनेट हाउस का निर्माण किया जाकर अगले 5 सालो में लगभग 5 लाख वर्ग मीटर में शेडनेट हाउस का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है।

जिले में शेडनेट हाउस के माध्यम से 10 गुना अधिक आय प्राप्त करने में सक्षम हुए किसान

जिले के रामा विकासखण्ड के ग्राम पालेडी के निवासी श्री शम्भु देवीलाल भायल ने पारम्परिक कृषि को छोड़ संरक्षित खेती योजनांतर्गत शेडनेट हाउस को अपनाया। उद्यानिकी विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा श्री शम्भु भायल को शेडनेट हाउस से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी एवं उससे प्रोत्साहित होकर श्री भायल ने इस धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाये एवं 2000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में शेडनेड हाऊस स्थापित किया। श्री भायल को संरक्षित खेती योजनांतर्गत 710000 की अनुदान राशि प्राप्त हुई जिसके माध्यम से शेडनेट हाऊस के लिए आवश्यक अवसंरचनात्मक परिवर्तन सम्भव हुए। श्री भायल ने शेडनेट में खीरे की फसल ली। श्री भायल बताते है कि योजना से लाभान्वित होने के पूर्व वे इसी रकबे में गेहूं की फसल लेते थे जिससे लगभग 10 क्विंटल उपज प्राप्त होती थी। शेडनेट के माध्यम से खीरे की फसल लेने के बाद 110 क्विंटल खीरा उत्पादन सम्भव हुआ जिससे कुल आय लगभग 2.5 लाख एवं लागत 70000 लगने बाद शुद्ध आय 1.80 लाख प्राप्त हुई। श्री भायल बताते है कि 2000 वर्ग मीटर क्षेत्र मे जहाँ पारम्परिक कृषि से सिर्फ 17000 शुद्ध आय प्राप्त हो रही थी, आज उद्यानिकी विभाग के सहयोग से लगभग 10 गुना अधिक आय प्राप्त करने में सक्षम है।

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