झाबुआ – जिले में खाद्य एवं औषधि विभाग अंतर्गत ड्रग इंस्पेक्टर की लचीली कार्यशैली और समय समय पर मेडिकल स्टोर का नियमित निरीक्षण ना होने के कारण मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा शासन द्वारा प्रदत नियमों का पालन न करते हुए, मनमाने रूप से दुकानों का संचालन किया जा रहा है ।
मेडिकल स्टोर एक ऐसी जगह या दुकान होती है, जहां पर आपको स्वास्थ्य संबंधित दवाएं दी जाती हैं। मेडिकल स्टोर पर आपको दो प्रकार से दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। एक तो डॉक्टरों द्वारा लिखे गए प्रेस्क्रिप्शन के जरिए। और दूसरा बिना किसी प्रेस्क्रिप्शन के, जिन्हें आप अपनी सेहत के लिए अपनी मर्ज़ी से लेते हैं। लेकिन बिना प्रेस्क्रिप्शन आप शॉप से वही दवाएं खरीद सकते हैं, जो साधारण या मामुली होती हैं।
वहीं कुछ दवाएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें आप बिना डॉक्टर की सलाह या प्रेस्क्रिप्शन के नहीं खरीद सकते हैं। वही मेडिकल स्टोर्स पर विशेष रूप से बी-फार्मा (B-Pharma), डी-फार्मा (D-Pharma), एम-फार्मा (M-Pharma), फार्मा-डी (Pharma-D) इत्यादि का होना आवश्यक है। मेडिकल स्टोर खोलने के लिए आपको इनमें से किसी एक कोर्स को करना अनिवार्य है। मेडिकल स्टोर पर उसकी उपस्थिति भी अनिवार्य रूप से हैं वहीं कुछ मेडिकल स्टोर संचालक ने किसी और का सर्टिफिकेट लेकर अपना मेडिकल स्टोर का संचालन कर रहे हैं । लेकिन ऐसा करना अवैध होता है। क्योंकि ऐसा करना आपको बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं । वही जब हमने शहर के कई मेडिकल स्टोर पर गौर किया तो कई मेडिकल स्टोर पर किसी ओर के लाइसेंस पर संचालन किया जा रहा है। तो कई मेडिकल स्टोर पर कोई भी फार्मसिस्ट दिनभर शाप पर उपलब्ध नहीं होता है तो कई मेडिकल स्टोर पर ना तो फार्मसीस्ट है और ना दुकान का प्रोप्राइटर उपलब्ध है । सिर्फ कर्मचारी दुकान का संचालन कर रहे हैं और इन कर्मचारियों की शिक्षा क्या है यह जांच का विषय है । और तो और कई मेडिकल स्टोर पर ना तो फार्मासिस्ट का नाम लिखा हुआ है और न हीं दुकान के प्रोपराइटर का । कई दुकान पर कर्मचारियों द्वारा बिना प्रिस्क्रिप्शन के भी दवाइयां दी जा रही है । जिले में कुछ दुकानों पर ना तो फार्मासिस्ट और न हीं प्रोपराइटर उपलब्ध है मात्र कर्मचारियों द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है । यदि इन कर्मचारियों द्वारा किसी भी शख्स को कोई ग़लत दवाई दी जाती है और शख्स को कोई परेशानी या समस्या होती है तो इसके लिए जवाबदार कौन होगा। सूत्रों का कहना है कि इन मेडिकल स्टोर पर किसी भी तरह की जांच और कारवाई न करने के लिए किसी दलाल द्वारा सभी मेडिकल स्टोर संचालकों से वार्षिक बंदी ली जाती है यह वार्षिक बंदी इस दलाल द्वारा किसके कहने पर ली जाती है यह जांच का विषय है । सूत्रों का कहना है कि शहर के बाहरी क्षेत्रों के मेडिकल स्टोर पर नशीली दवाइयों का भी विक्रय धड़ल्ले से हो रहा है ।
इसके अलावा शहर के जागरुक व्यक्ति ने सीएम हेल्पलाइन 181 पर इस तरह के मेडिकल स्टोर संचालक को लेकर शिकायत भी दर्ज कराई थी लेकिन खाद एवं औषधि विभाग के आला अधिकारी द्वारा गलत जानकारी देते हुए शासन को गुमराह किया और जवाब दिया कि संपूर्ण दुकानों का संचालन नियमानुसार किया जा रहा है जबकि धरा पर स्थल पर स्थित कुछ और ही है । इस तरह संबंधित विभाग द्वारा जिले में मेडिकल स्टोर संचालन को लेकर , निरीक्षण को लेकर मात्रा कई खानापूर्ति की जा रही है जिस जिले में नशे का कारोबार फल फूल रहा है और युवा इसी गिरफ्त में आता जा रहा है क्या शासन प्रशासन इस और ध्यान देगा या फिर खाद्य एवं औषधि विभाग यूं ही मनमानी करता रहेगा….?
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