Connect with us

झाबुआ

सावन महीने में सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का व्रत धारण करता है, उसे शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है- आचार्य पण्डित जैमिनी शुक्ला~~~~ 14 जुलाई से 12 अगस्त तक मासोत्तम श्रावणमास में शिव को समर्पित रहेगा ।

Published

on

सावन महीने में सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का व्रत धारण करता है, उसे शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है- आचार्य पण्डित जैमिनी शुक्ला~~~~
14 जुलाई से 12 अगस्त तक मासोत्तम श्रावणमास में शिव को समर्पित रहेगा ।

झाबुआ । भगवान आशुतोष जी शिव की आराधना, पूजा, एपं उन्हे प्रसन्न करने का सर्वोत्तम मास श्रावण मास को माना जाता है । इस वर्ष यह मास 14 जुलाई से प्रारंभ होगा तथा 12 अगस्त को इसका समापन होगा । श्रावण मास को मासोत्तम मास कहा जाता है। यह माह अपने हर एक दिन में एक नया सवेरा दिखाता है ,इसके साथ जुडे़ समस्त दिन धार्मिक रंग और आस्था में डूबे होते हैं। शास्त्रों में सावन के माहात्म्य पर विस्तार पूर्वक उल्लेख मिलता है। श्रावण मास अपना एक विशिष्ट महत्व रखता है.। श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव शंकर का गहरा संबंध है। इस मास का प्रत्येक दिन पूर्णता लिए हुए होता है. धर्म और आस्था का अटूट गठजोड़ हमें इस माह में दिखाई देता है । इस माह की प्रत्येक तिथि किसी न किसी धार्मिक महत्व के साथ जुडी़ हुई होती है। इसका हर दिन व्रत और पूजा पाठ के लिए महत्वपूर्ण रहता है। उक्त जानकारी आचार्य प. जैमिनी शुक्ल ने देते हुए बताया कि हिंदु पंचांग के अनुसार सभी मासों को किसी न किसी देवता के साथ संबंधित देखा जा सकता है । उसी प्रकार श्रावण मास को भगवान शिव जी के साथ देखा जाता है । सावन मास शिवजी के साथ मां पार्वती को भी समर्पित है। भक्त सावन महीने में सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का व्रत धारण करता है, उसे शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने और अविवाहित महिलाएं अच्छे वर के लिए भी सावन में शिव जी का व्रत रखती हैं। इस समय शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। यह माह आशाओं की पुर्ति का समय होता है, जिस प्रकार प्रकृति ग्रीष्म के थपेडों को सहती हुई सावन की बौछारों से अपनी प्यास बुझाती हुई असीम तृप्ति एवं आनंद को पाती है उसी प्रकार प्राणियों की इच्छाओं को सूनेपन को दूर करने हेतु यह माह भक्ति और पूर्ति का अनुठा संगम दिखाता है ओर सभी की अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने की कोशिश करता है।
जलाभिषेक के साथ पूजन
श्री शुक्ला के अनुसार भगवान शिव इसी माह में अपनी अनेक लीलाएं रचते हैं।. इस महीनें में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है.। पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र के साथ योग होने पर श्रावण माह का स्वरुप प्रकाशित होता है।. श्रावण माह के समय भक्त शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल व दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं। ’शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। ’ इन दिनों शिवलिंग पर ’गंगा जल’ द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव अतिप्रसन्न होते हैं।
शिवलिंग का अभिषेक महाफलदायी माना गया है। इन दिनों अनेक प्रकार से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है जो भिन्न भिन्न फलों को प्रदान करने वाला होता है. जैसे कि ’जल’ से वर्षा और शीतलता की प्राप्ति होती है. ’दूग्धाभिषेक एवं घृत से अभिषेक’ करने पर योग्य संतान की प्राप्ति होती है। गन्ना अर्थात ’ईख के रस’ से धन संपदा की प्राप्ति होती है. ’कुशोदक’ से समस्त व्याधि शांत होती है. ’दधि’ से पशु धन की प्राप्ति होती है ओर ’शहद’ से शिवलिंग पर अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
फोटो- पण्डित जैमिनी शुक्ला

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज
Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!