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झाबुआ

श्रावण माह में पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है- धन धान्य एवं आरोग्यता प्राप्त होती है- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ~~~ श्रावण माह में विवेकानंद कालोनी स्थित उमापति मंदिर में होगा भोलेनाथ का पार्थिव पूजन ।

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श्रावण माह में पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है- धन धान्य एवं आरोग्यता प्राप्त होती है- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ~~~
श्रावण माह में विवेकानंद कालोनी स्थित उमापति मंदिर में होगा भोलेनाथ का पार्थिव पूजन ।

झाबुआ ।  सावन मास को शिवजी का प्रिय मास माना जाता है। सावन में पार्थिव बनाकर शिव का पूजन करने का विशेष महत्व है। कलयुग में कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप में पार्षद पूजन प्रारंभ किया था। शिव महापुराण के मुताबिक पार्थिव शिव पूजन में धन धान्य, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति के योग होते हैं। इतना ही नहीं मानसिक शांति के साथ शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। ज्योतिष शिरोमणी पण्डित द्विजेन्द्र व्यास  ने बताया कि पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं, फिर चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला। यह सभी जानते हैं कि शिव कल्याणकारी हैं। शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। यदि प्रति दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक तथा परलोक में भी अखंड शिव भक्ति मिलती है। पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर अभिषेक कर विसर्जन करने से कुंडली के काल सर्प योग से छुटकारा मिल जाता है।
उन्होने पूजन के बारे में बताते हुए कहा कि पूजन करने से पहले पार्थिव लिंग का निर्माण करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़ , मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं। शिवलिंग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुल से ऊंचा नहीं हो। इससे अधिक ऊंचा होने पर पूजन का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। मनोकामना पूर्ति के लिए शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि जो प्रसाद शिवलिंग से स्पर्श कर जाए, उसे ग्रहण नहीं करें।
पार्थिव पूजन करने से पहले पार्थिव शिवलिंग बनाइए। इसको बनाने के लिए किसी पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी लें। फिर उस मिट्टी को पुष्प चंदन इत्यादि से शोधित करें। मिट्टी में दूध मिलाकर शोधन करें। फिर शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए।  शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। पार्थिव बनाने के बाद उसे परम ब्रम्ह मानकर पूजा और ध्यान करें। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सपरिवार पार्थिव बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है।
पार्थिव के समक्ष समस्त शिव मंत्रों का जप किया जा सकता है। रोग से पीड़ित लोग महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। दुर्गासप्तशती के मंत्रों का जप भी किया जा सकता है। पार्थिव के विधि वत पूजन के बाद उनको श्री राम कथा भी सुनाकर प्रसन्न कर सकते हैं।
पण्डित द्विजेन्द्र व्यास के अनुसार अनेक प्रकार की कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव का अनेक प्रकार की औषधि वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। संतान प्राप्ति के लिए दूध, स्नेह के लिए दही, मैत्री दांपत्य सुख के लिए गोघृत (गाय का घी), शहद, व्यापार वृद्धि गन्ने का रस, मधुर संबंधों के लिए मधु शहद, धन प्राप्ति के लिए गन्ने का रस, शत्रु भय निवृत्ति के लिए सरसों के तेल, रोग नाश के लिए गिलोय रस, मानसिक शांति, क्रोध शांति के लिए कुशोदक, चंदन से अभिषेक करने पर कामनाओं की पूर्ति होती है।
श्री व्यास ने बताया कि झाबुआ की धर्म धरापर श्रावण माह में शिवजी का पार्थिव पूजन का कार्यक्रम विवेकानंद कालोनी स्थित श्रीउमापति महादेव मंदिर में शुभ मुहर्त में किया जावेगा जिसमें हजारों की संख्या में पार्थिव शिव लिंगों का विधि विधान के साथ पूजन,अर्चन आदि का भव्य आयोजन किया जावेगा । जिसमें नगर की धर्मप्राण जनता से अधिक से अधिक संख्या में धर्म लाभ लेने की अपील की गई है ।

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