पेंशनर्स के प्रति असंवेदनशील रवैया अपना रही मप्र सरकार- अरविन्द व्यास
प्रदेश सरकार तत्काल भुगतान के आदेश जारी करें- पेंशनरों में बढ रहा आक्रोश
झाबुआ । लंबित मांगों को लेकर पेंशनर्स में प्रदेश सरकार के प्रति आक्रोश पनप रहा है। मांगे पूरी नहीं होने के विरोध में मप्र पेंशनर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष अरविन्द व्यास ने बताया कि प्रदेश की सरकार अपने साढे चार लाख से अधिक पेंशनरों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर भेदभाव पूर्ण नीति अपना रही है । उन्होनेकहा कि प्रदेश की शिवराजसिंह सरकार औरअफसरशाही की ढुलमुल नीति की वजह से प्रदेश एवं जिले के पेंशनरों का आक्रोश चरम पर है । उन्होने बताया कि तमाम प्रयास के बाद भी मप्र सरकार ने पेंशनर्स के हित में कोई निर्णय नहीं लिया है,जो मुख्यमंत्री की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। प्रदेश के मुखिया जो स्वयं को जन जन के संवेदनशील होने का दावा करते है , बरसों तक सरकारी सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए बुजुर्ग पेंशनरों के हितलाभ को पूरीतरह नजर अंदाज कररही है ।
श्री व्यास ने आगे बताया कि मध्यप्रदेश सरकार और उसकी अफसरशाही धारा 49 का बहाना बना कर पेंशनर्स के साथ अनेक बरसों से छल कररही है इसके कारण प्रदेश के लाखो पेंशनरों में व्यापक असन्तोष व्याप्त है। राजधानी में बैठे अफसरों की अफसरशाही सरकार पर हावी है,और उक्त धारा 49 की गलत व्याख्या कर पेंशनरो को आर्थिक रूप से प्रताडित कर सरकार क्या सन्देश देना चाहती है । श्री व्यास के अनुसार उक्त धारा के अनुसार छत्तीसगढ राज्य के गठन के पहले तक के रिटायर्ड कर्मचारियों के लिये यह धारा लागू होती है लेकिन पुनर्गठन के बाद के पेंशनर्स भी इस धारा की चपेट में आकर आर्थिक परेशानिया का सामना कर रहे है । जब सभी राज्य सरकारों द्वारा रिटायर्ड कर्मचारियों को 31 प्रतिशत महगांई राहत अर्थात डीआर मिल रहा है तो फिर मध्यप्रदेश के पेंशनरों को धारा 49 के आगोश मे जकड कर मात्र 17 प्रतिशत महगाई राहतं दिया जाना कहा तक न्यायोचित है ? यह प्राकृर्तिक न्याय सिद्धांत का उल्लंघन नही है क्या?
श्री व्यास के अनुसार वैसे भी वर्ष 2000 के पूर्व के पेंशनर्स अब 22 वर्ष व्यतित होने के संख्या मे नगण्य ही है । यहीनही को भी एक्जीक्यूटिव्ह आदेश 20 वर्ष बीतने के प्श्चात स्वयं ही विलोपित हो जाता है फिर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सेवा निवृत्त कर्मचारियां को धारा 49 के नाम पर महंगार्इ्र राहत नही दिया जाना कहा तक उचित है । मध्यप्रदेश के साढे लाख से अधिक पेंशनर्स सरकार से सरकार और प्रशासन से जवाब पुछना चाहते है कि जब उत्तर प्रदेश एवं बिहार आदि राज्यों का पुनर्गठन हुआ तब वहां पर इस पकार की समस्या उत्पन्न क्यो नही हुई ? प्रदेश के पेंशनरों को राहत देने के लिये राज्य सरकार का यह रवैया कहीं से कहीं तक जन हितैषी नही है, ओर वरिष्ठजनों का आर्थिक शोषण भविष्य में वातावरण को नकारात्मक रवैया अपनाने को बाध्य कर सकता है । श्री व्यास ने जिला पेंशनर्स एसोसिएशन की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मांग की है कि प्रदेश के कर्मचारियों की तरह ही पेंशनरों को भी 31 प्रतिशत के मान से महंगाई राहत की स्वीकृति प्रदान करके अपनी सदाशयता का परिचय देवें तथा पेंशनरों को भी इस राज्य का हिस्सा मान कर उनके साथ होरहे अन्याय को दूर किया जावे । उन्होने बताया कि समय समय पर इस अवधि में सैकडो ज्ञापन दिये गये है, सत्ता पक्ष के सांसद, महोदय ने भी पेंशनरोंके हित में आदेश प्रसारित करने का अनुसंशा भी की है। अतः पेंशनरों का अन्तर्पिडा को समझते हुए सकारात्मक आदेश प्रसारित करे ।
फोटो- अरविन्द व्यास
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