Connect with us

झाबुआ

दर्पण देखकर दाग को दूर कर सकते है वेसे ही परमात्मा की उपासना से हमारे अंदर स्थापित राग को दूर कर सकते हैं :- पूज्य मुनिराज़ श्री निपुणरत्न विजयजी म.सा

Published

on

झाबुआ – “योग सार ग्रंथ की पहली गाथा मे परमात्मा को नमन किया गया हे क्योंकि तीर्थंकर परमात्मा ही एक मात्र है जिन्होने राग द्वेष को जीता हे | | योग याने जो मन , वचन और काया को जोड़े उसे योग कहते हे | इस ग्रंथ की वेसे तो 206 गाथा हे किंतु विस्तार करे तो करोडो शब्द हो सकते हे | इस जगत के जीवों को जो दुख पहुँच रहा हे या कष्ट का अनुभव हो रहा वह मात्र उनमे स्थापित राग और द्वेष के कारण हो रहा हे “ऊपरोक्त प्रेरक उदबोधन आज शनिवार को आचार्य पूज्य नित्यसेन सुरीश्वरजी के शिष्य पूज्य मुनिराज़ श्री निपुणरत्न विजयजी म सा ने श्री राजेंद्रसूरी पौशदसाला मे योगसार ग्रंथ और जम्बूस्वामी शास्त्र का वाचन करते हुए कही |उन्होने कहाँ की “राग” व्यक्ति के जीवन मे “द्वेष” से भी ज्यादा ख़तरनाक हे /तीर्थंकर प्रभु मे भी अनंत गुणों का समावेश हुआ हुआ जब उन्होने अपने अंदर का राग और द्वेष समाप्त किया | लेकिन राग द्वेष को समाप्त करने के लिये परमात्मा का आलम्बन लेना ज़रूरी हे क्योंकि राग और द्वेष ही जिन्होने हमारी आत्मा को ज्यादा नुकसान पहुँचाया हे इतना नुकसान किसी ने भी नही पहुँचाया हे | जेसे दर्पण देखकर दाग को दूर कर सकते , वेसे ही परमात्मा की उपासना से हमारे अंदर स्थापित राग को दुर कर सकते है | राग होने से भयंकर पीडा का अनुभव यह जीव करता है | राग के पोषण मे पीडा नही होती हे राग के बीच कोई आ जाये तो पीडा हो जाती हे | राग के पर्याय बदल जाते है | झूठ , चोरी , परीग्रह , यह सब पाप कार्य राग ही के कारण है। यदि राग नही हो तो पाप कार्य करना ही नही पडेंगे | यह शास्त्र हमे यह सीख देता हे की शरीर के ममत्व को भी छोड़ना होगा और वेराग्य धारण करने से राग दुर हो सकता हे | इसके लिये मन को अशुभ भाव से शुभ भाव मे लाना होगा | इसके लिये ज्ञानीयौ ने तीन मार्ग बताये हे एक , सत्संग याने धर्म का श्रवण . दूसरा सदगुरू के सम्पर्क मे रहना और तीसरा शास्त्र का श्रवण करना | यह तीन का जीवन मे उपयोग कर राग द्वेष को दुर किया जा सकता हे | इससे कोई भी हमारी आत्मा का नुकसान नही कर सकता हे | आपने कहाँ की हम कितनी भी पूजन , सामायिक , या अन्य धर्म क्रिया करे उतना लाभ नही होगा क्योंकि श्रेष्ट पूजा ही परमात्मा की आज्ञा को मानना हे | | दोहरा जीवन से लाभ नही होगा याने परमात्मा की आज्ञा मे न रहे और धर्म क्रिया भी करे | अंत मे गुरुदेव की आरती श्री चंद्रशेखर मनोज मुकेश जैन ने उतारी | आज से उग्र तपस्या का क्रम भी प्रारम्भ हो गया हे | कई श्रावकों श्राविकाओ द्वारा मास क्षमण तपस्या की भावना रखी हे | चातुर्मास समिति के अध्यक्ष मुकेश जैन और श्री संघ व्यस्थापक मनोहर भंडारी ने बताया की 4अगस्त से नवकार मंत्र आराधना मे अधिक से अधिक आराधक भाग लेंवे इस हेतु सम्पूर्ण भारत मे आमंत्रण भेजा गया हे | इसकी तेयारी हेतु परिषद परिवार की आवश्यक बेठक शुक्रवार को सम्पन्न हुईं | परिषद सदस्य घर घर जाकर आराधाना मे सम्मिलित होने हेतु निमंत्रण दे रहे है |

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मंच है यहाँ विभिन्न टीवी चैनेलो और समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकार अपनी प्रमुख खबरे प्रकाशन हेतु प्रेषित करते है।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!