Connect with us

झाबुआ

प्रभु महावीर के शब्द अभी भी कई जीवों का कल्याण कर रहे है, इंद्रियांे की ताकत तब तक ही जब तक शरीर के अंदर स्थित आत्मा की शक्ति हेै – पूज्य निपुणरत्न विजयजी मसा~~ राजेन्द्रसूरी पौषध शाला में चातुर्मास में बह रही धर्म एवं ज्ञान की सुरभि

Published

on

प्रभु महावीर के शब्द अभी भी कई जीवों का कल्याण कर रहे है, इंद्रियांे की ताकत तब तक ही जब तक शरीर के अंदर स्थित आत्मा की शक्ति हेै – पूज्य निपुणरत्न विजयजी मसा
राजेन्द्रसूरी पौषध शाला में चातुर्मास में बह रही धर्म एवं ज्ञान की सुरभि

झाबुआ । मौन के गर्भ मे रहे शब्दो का असर ज्यादा होता हेै । भगवान महावीर भी साडे बारह वर्षों तक मौन साधना की और उनके शब्द 2600 वर्ष तक और अभी भी भगवान के वचन कितने ही जीवों का कल्याण कर रहे हेै । विषयों , इन्द्रियों आदि पर नियंत्रण करने का कार्य महावीर ने किया और आज तक ऐसी घटना नही हुई जिससे भगवान के बचनों से किसी भी जीव का अहित हुआ हो या शव्दो से कोई आहत हुआ हो । शब्द आत्मा का स्वभाव नही हेै । शब्द तो जड़ हेै ,पुदगल हेै , चेतन नही हेै। उपरोक्त प्रेरक उदबोधन पूज्य निपुणरत्न विजयजी मसा ने रविवार को शव्दो की दुनिया विषय पर विशेष प्रवचन पर देते हुए कहे । उन्होने कहा कि यदि हम शव्दो के द्वारा हुए अहितौ को देखे तो पता चलता हेै कि जीवन मंे मौन साधना सर्वश्रेष्ठ हेै, क्योंकि मौन से किसी का भी अहित नही हो सकता है । आपने कहा कि सज्जन पुरुष की कभी भी निंदा नही करना चाहिए और न ही उनकी प्रसंशा करना चाहिए, क्योंकि हमारे पास हो सकता हे उनकी प्रसंशा के भी स्तरीय उचित शब्द नही हो । विशिष्ट पुरुष और कई बड़े बड़े आचार्य भगवंत इस दुनिया मे हुए हैे जो दिन भर मे बहुत कम शव्दो का उपयोग करते है । पुण्य सम्राट आचार्य जयंतसेन सुरीजी ने बाग मे जिन शासन का कार्य देखने का भार होने के बावजूद 1 माह की मौन साधना की थी, जिसके परमाणु अभी भी वहां पर मिलते हेै । आपने कहा कि शव्दो का या वचनों का उपयोग नही करें तो व्यवहारिक जीवन मे कठिनाई आ सकती हेै, इसलिये शास्त्रों मे केैसे शव्दो और वचनों का प्रयोग करे ,उसके लिये 8 गुणों का वर्णन बताया हेै । प्रथम मधुर शब्द ही बोले , दूसरा , सूक्ष्म बुधि से , तीसरा , अवलोकन कर ही बोले , चौथा , कम शव्दो का उपयोग करे , पाँचवा , उचित अवसर पर ही बोले , छटा , अभिमान रहित बोले , सातवां बोलने मे तुच्छता नही हो , और आठवा,धर्म से युक्त बोले । आपने सभी इंद्रियों की चर्चा करते हुए कहा कि सभी इंद्रियांे की ताकत तब तक ही जब तक शरीर के अंदर स्थित आत्मा की शक्ति हेै । वर्तमान मे हमने इन्द्रियों की ताकत के पीछे आत्मा की ताकत को नज़र अंदाज़ कर दिया है । इससे हमारी आत्मा को नुकसान पहुँचा रहे हेै । आपने शरीर की समस्त इन्द्रियों मे जीभ इंद्री की चर्चा करते हुए कहा कि जीभ एक ही दी गयी हेै किंतु इसके कार्य 2 बताये है, पहला स्वाद महसूस करना और दूसरा शव्दो का उच्चारण करना । जीभ पर नियंत्रण स्वयं को करना पड़ेगा । वचन जीभ से ही बोले जाते हैे और वचन से व्यक्ति की पहचान हो जाती हैे । आपने कहा कि ज्ञान रूपी लगाम इंद्रियों पर नियंत्रिण कर सकती है । हमने बाहर के वेैभव को ज्यादा महत्व दिया हेै जबकि बाहर के राज़ वेैभव का त्याग कर ही आत्मा का वेैभव प्रकट होता हेै और आत्मा का आनँद महसूस होगा ।
आज रविवार होने से पूज्य आचार्य श्री नित्यसेन सुरीश्वरजी मसा और साधु साध्वी मंडल के दर्शन वन्दना हेतु जाबरा , मेघनगर , राणापुर , पारा , थांदला आदि स्थानों से अनेक श्रीसंघ सदस्य झाबुआ आये और प्रवचन दर्शन वन्दना का लाभ उठाया । मीडिया प्रभारी डा प्रदीप संघवी ने बताया कि रविवार को दोपहर मे मुनिश्री की नीश्रा मे बाल संस्कार शिविर का आयोजन हुआ । कमलेश कोठारी ने जन्म दिवस पर रविवार को प्रभावना , भाता , और गो -शाला मे जाकर गायों को आहार दिया । सोमवार से योगसार ग्रंथ और जम्बू स्वामी चारित्र पर प्रवचन सुबह 9 बजे से प्रारम्भ हो जायेंगे । आज गुरुदेव की आरती जावरा से आये श्री मांगीलाल शांतिलाल मेहता परिवार ने की । आभार चातुर्मास समिति अध्यक्ष मुकेश जैन ने माना ।
फोटो –प्रवचन देते हुए मुनिश्री निपुणरत्न विजयजी मसा ं।

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मंच है। यहां विभिन्न समाचार पत्रों/टीवी चैनलों में कार्यरत पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण खबरें प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं ।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!