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झाबुआ

अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल, झाबुआ में ‘कारगिल विजय दिवस’ मनाया गया

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झाबुआ —- शहर में स्थित अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल में बड़े धूमधाम से आज कारगिल विजय दिवस मनाया गया। छात्रों द्वारा कारगिल युद्ध से संबंधित कुछ चित्र और पोस्टर दिखाकर प्रश्न पूछे गए।
साथ ही अंग्रेजी के शिक्षक जयेंद्र सिंह चौहान द्वारा अंग्रेजी भाषा में कारगिल विजय दिवस के महत्व को विस्तारपूर्वक बताया गया।


जिसमें पाकिस्तान और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री और भारत के शहीद होने वाले कुछ अमर शहीदों के नाम भी गिनाए गए। पोस्टर के माध्यम से कारगिल पर्वत की भौगोलिक स्थिति भी बताई गई। सर्दी के समय में भारतीय सैनिक और पाकिस्तानी सैनिक चोटी से नीचे उतर आते हैं। तब आतंकवाद चोटी पर छुपकर भारतीय सीमा पर प्रवेश कर जाते हैं।
इसके बाद हिंदी के शिक्षक रामलाल कुर्मी द्वारा बताया गया कि परतंत्र भारत की दयनीय स्थिति थी। भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई और भारत स्वतंत्र हुआ इसके बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बने। इसके बाद सन 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। समझौता होने के बाद युद्ध रोक गया। लेकिन वैचारिक मतभेद के कारण धीरे-धीरे पाकिस्तान भारतीय सीमा पर आतंकवादियों की घुसपैठ कराने लगा। फिर अत्यधिक असंतोष के कारण पकिस्तान की सेना हमले करती रहती थी।


1999 में भारत ने पाकिस्तान पर फिर से चढ़ाई कर दी और इस तरह पाकिस्तान और भारत के बीच में तकरीबन 60 दिन यह युद्ध चला। युद्ध के अंत में भारत कारगिल की पहाड़ी पर विजय प्राप्त किया।
जिसमें भारत को कुछ जन धन की हानि हुई और तकरीबन 550 सैनिक शहीद हुए और 1400 से अधिक शहीद घायल हुए। इतना नुकसान उठाने के बाद भारत को कारगिल विजय प्राप्त हुई और तब से भारत प्रतिवर्ष कारगिल विजय दिवस मना रहा है ।
भारतीय तिरंगा सदैव शहीदों की वीर गाथा को सुनाता रहता है। इसकी आठ दीवारों पर कारगिल युद्ध का संक्षिप्त विवरण व 527 शहीदों के नाम, यूनिट, जनपद व प्रांत अंकित है। कारगिल की पहाड़ी से लाए पत्थर व युद्ध के दौरान इस्तेमाल की गई राइफल भी रखी हुई है। स्मारक पर क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चंद्र बोस व शहीद भगत सिंह की आदमकद की संगमरमर की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।


इस तरह प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाई जाती है।
यह विजय दिवस शहीदों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष 23 वाँ कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के अंत में हिंदी शिक्षक ने अपने द्वारा बताए गए महत्त्व से संबंधित छात्रों से कुछ प्रश्न भी पूछे । जिसमें छात्रों ने उत्सुकता से जवाब दिया और छात्रों से विजय दिवस या राष्ट्र से संबंधित कविताएँ प्रस्तुत करने के लिए मौका भी दिया गया।
जिसमें छात्रों ने रुचि के साथ बढ़-चढ़कर शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद 15 अगस्त की शुरुआत की चर्चा करते हुए कार्यक्रम समापन हुआ।

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