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झाबुआ

उमापति के दरबार में श्रावण के पवित्र माह में पार्थिव शिवलिंग विधान का सतत चल रहा आयोजन । श्रावण माह में शिवलिंग की पूजा-अभिषेक अनेक मनोरथों को पूर्ण करने वाली है- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास

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उमापति के दरबार में श्रावण के पवित्र माह में पार्थिव शिवलिंग विधान का सतत चल रहा आयोजन ।
श्रावण माह में शिवलिंग की पूजा-अभिषेक अनेक मनोरथों को पूर्ण करने वाली है- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास

झाबुआ । विवेकानंद कालोनी स्थित श्री उमापति महादेव मंदिर में पण्डित ज्योतिष शिरोमणी द्विजेन्द्र व्यास के मार्गदर्शन में श्रावण माह में 5 लाख 51 हजार पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं महामृत्युंजय जप किया जा रहा है। इस भक्तिमयी आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। आयोजन में शिवपुराण के महत्व पर भी चर्चा की जा रही है। पण्डित व्यास ने बताया कि शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का अत्यंत महत्व बताया गया है। पार्थिव पूजन से व्यक्ति को सर्वसुख की प्राप्ति होती है तथा भय समाप्त होता है। जो व्यक्ति पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन अर्चना करता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। पार्थिव शिवलिंग निर्माण से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

पण्डित द्विजेन्द्र व्यास के अनुसार देवों के देव महादेव श्रीशिव को कल्याणकारी देवता के रूप में सर्वत्र पूजा जाता है। श्रावण माह में शिवलिंग की पूजा-अभिषेक अनेक मनोरथों को पूर्ण करने वाली है। ये समस्त जगत लिंगमय है,सब कुछ लिंग में प्रतिष्ठित है,अतः जो आत्मसिद्धि चाहता है उसे शिवलिंग की विधिवत पूजा करनी चाहिए। सभी देवता,दैत्य, सिद्धगण,पितर,मुनि,किन्नर आदि लिंगमूर्ति का अर्चन करके सिद्धि को प्राप्त हुए हैं। सनातन परंपरा में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग की पूजा के अलग-अलग फल बताए गए हैं,लेकिन सभी प्रकार के शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है।
उन्होने बताया कि शिवपुराण के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समस्त कष्ट दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है एवं भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य,सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है। शिव महापुराण में दिए गए श्लोक अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सधरूकलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजाः’’के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की पुत्रवधु होती है वो शिवशंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है। इनकी पूजा इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। जो दम्पति संतान प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं,उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए।
उमापति के दरबार में प्रतिदिन विधि विधान से पार्थिव शिव विधान में उमापति महिला मंडल की महिलाओं के साथ ही नगर के सभी समाज के श्रद्धालुजन भी इस भव्य आयोजन में शामिल हो रहे है ।

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