शिवप्रिया भक्त मंडल एवं उमापति महादेव महिला मंडल ने ने पार्थिव शिवलिंग का किया अनुष्ठान ।
श्रद्धा एवं भक्ति की बही सुरभि- महिलाये बढ चढ कर ले रही शिव पार्थिव विधान में सहभागिता
झाबुआ । सावन माह की शिवरात्री एवं नागपंचमी पर पार्थिव शिवलिंग पूजन से मनोकामना पूर्ण होती है। देवों के देव महादेव की पूजा के लिए सावन माह अति उत्तम तथा मनांवांछित प्रदाता होता है । श्री उमापति महादेव मंदिर में सावन माह में पार्थिव शिवलिंग केअनुष्ठान का क्रम सतत जारी है । इसी कडी में भगवान भोलेनाथ के पार्थिव शिवलिंग विधान के अन्तर्गत उमापति महादेव महिला मंडल एवं शिवप्रियाभक्त मंडल की महिलाओं द्वारा पार्थिव शिवलिंग के अनुष्ठान का आयोजन कर श्रद्धा एवं भक्ति की बयार से आच्छादित कर दिया । ज्योतिष शिरोमणी आचार्य द्विजेन्द्र व्यास ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर में 5 लाख 50 हजार पार्थिव शिवलिंग विधान का कार्यक्रम महिलाओं द्वारा श्रद्धा एवं भक्ति के साथ आयोजित किया । मंदिर मे लालवस्त्रों के ड्रेस कोड में उपस्थित महिलाओं द्वारा पण्डित द्विजेन्द्र व्यास के मार्गदर्शन एवं विधि विधान से पूजा अर्चना, अनुष्ठान एवं अभिषेक के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।
पण्डित व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि सहित पूरे श्रावणमाह में तमाम तरह की मनोकामनाओं को शिव पूजन के माध्यम से पूरा करने का दुर्लभ योग बना है, यही कारण है कि प्रत्येक शिव भक्त अपनी-अपनी कामनाओं के अनुसार श्रावण माह में अलग-अलग प्रकार के धातु के बने शिवलिंग का अभिषेक और पूजन करता है। लेकिन मान्यता है कि महाशिवरात्रि एवं नाग पंचमी पर पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने पर शिव के भक्त की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है। इसीलिए घर घर में सावन माह की महाशिवरात्रि एवं नागपंचमी पर महादेव से वरदान दिलाने वाली पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा-अभिषेक किया जाता है ।
पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व बताते हुए पंडित द्विजेन्द्र व्यास ने बताया कि सनातन परंपरा में भगवान शिव की जितने भी प्रकार से पूजा की विधियां बताई गई हैं। उनमें पार्थिव पूजा का अत्यधिक महत्व है। शिव महापुराण में भगवान शिव की साधना-आराधना में पार्थिव (मिट्टी) शिवलिंग पूजन को सभी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करने वाला बताया गया है। पार्थिव शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करने पर सुख-समृद्धि, धन-धान्य, आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि भगवान शिव से जुड़े पावन दिन, तिथि, काल और रात्रि में पार्थिव पूजन करने पर शिव साधक को कई गुना फल प्राप्त होता है। मान्यता यह भी है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से करोड़ों यज्ञों के समान फल मिलता है। ऐसे में भगवान शिव से जुड़े महापर्व यानि महाशिवरात्रि पार्थिव पूजन का फल और भी बढ़ जाता है। पण्डित व्यास ने बताया कि भगवान शिव के पार्थिव पूजन को भगवान श्रीराम ने भी रावण पर विजय पाने से पहले समुद्र तट पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष रूप से पार्थिव शिवलिंग का पूजन किया था। मान्यता यह भी है कि नवग्रहों में से एक शनिदेव ने भी अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा शक्ति पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर विशेष पूजा की थी।
उमापति महादेव महिला मंडल एवं शिवप्रिया भक्त मंडल की महिलाओं ने पार्थिव शिवलिंग किसी पवित्र मिट्टी से बनाया जाता है। किसी पवित्र नदी की मिट्टी को लाने के बाद सबसे पहले उसे छान करके शुद्ध कर लेंकर और उसके बाद उसमें गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं गये। पार्थिव शिवलिंग तैयार हो जाने के बाद सबसे पहले गणपति की पूजा की गई उसके बाद भगवान विष्णु, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान किया गया इसके बाद पार्थिव शिवलिंग की बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, बेल, कच्चे दूध आदि से पूजा की गई ।विवेकानंद कालोनी में इन दिनों पाथ्रिव शिवलिंग विधान के लिये बडी संख्या में नगर के श्रद्धालुजन भाग ले रहे है और यह क्रम पूरे श्रावण माह में चलेगा ।