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RATLAM

वाह रे जिम्मेदार वाह : चिकित्सा की सुविधा है, सुरक्षा की नहीं, बरसों पुराने हैं निजी अस्पताल, आगजनी से बचाव का नहीं रख रहे खयाल

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वाह रे जिम्मेदार वाह : चिकित्सा की सुविधा है, सुरक्षा की नहीं, बरसों पुराने हैं निजी अस्पताल, आगजनी से बचाव का नहीं रख रहे खयाल

आखिरकार जिम्मेदार क्यों नहीं समझते अपनी जिम्मेदारी

पार्टी पावर, जनप्रतिनिधि और गांधी दर्शन के आगे सब मौन

क्यों आम जनता को मौत के हवाले करने पर आतुर है जिला प्रशासन के अधिकारी

देश प्रदेश में आगजनी की घटनाएं कई अस्पताल में हो चुकी है फिर भी नहीं जागे रतलाम के आला अधिकारी


सरकारी अस्पताल में चिकित्सा सहित अन्य सुविधाएं मनमाफिक नहीं होने के कारण ही सामान्य जन निजी अस्पताल की राह चुनते हैं लेकिन निजी चिकित्सालय बिना शर्ते पूरी किए हुए धड़ल्ले से चिकित्सालय चला रहे हैं। खून पसीने की गाढ़ी कमाई तो लूटते ही है अब तो वे जान के साथ खिलवाड़ करने लग गए हैं। कोरोना काल में तो यूं ही उनके वारे न्यारे हो गए। अब सात पुस्तों को कमाने की अब जरूरत नहीं है। बात भी अब आग लग जाएगी तो आप वहां से खाक हुए बिना नहीं लौटेंगे, यह परमिशन उन्होंने स्वत: ही ले ली है। क्योंकि उनके वहां पर फायर सेफ्टी एनओसी नहीं है। और तो और भागने के लिए व्यवस्थित दरवाजा भी नहीं बनवाया है।

पहली बार किसी अधिकारी ने की पड़ताल

रतलाम शहर की ही बात करें तो 19 हॉस्पिटल ऐसे है जहां पर फायर सेफ्टी को ताक में रखकर निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है और यह गोरखधंधा केवल चिकित्सालय के संचालनकर्ता ही नहीं बल्कि आला अफसरों की मिलीभगत के बदौलत ही चल रहा है। जब अस्पताल खोलने की सभी शर्तों का पालन नहीं हो रहा है तो फिर अस्पताल शुरू करने की परमिशन कैसे और क्यों कर दी गई ? ऐसे सभी तत्कालीन आला अफसरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। लोगों की सेहत और जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे अस्पतालों की अनुमति देने वाले आला अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी? तो बात केवल रतलाम शहर की है। जिले भर में चल रहे ऐसे निजी अस्पताल का निरीक्षण सभी शर्तों के मान से अब तो नितांत जरूरी हो चुका है।

पार्टी पावर, जनप्रतिनिधि और गांधी दर्शन

अधिकारी ही नहीं, उनके वरिष्ठ अधिकारी, उनके वरिष्ठ अधिकारी, उनके वरिष्ठ अधिकारी सब एक ही राग अलापते की पार्टी का पावर रखने वाले लोग हमसे ऐसा कार्य करवाते हैं। जनप्रतिनिधि भी हमें ऐसा करने के लिए दबाव बनाते हैं और अंततोगत्वा जब गांधी दर्शन हो जाता है तो आंखें यूं ही बंद हो जाती है और परमिशन ग्रांटेड हो जाती है। जाने की नायक फिल्म हर जगह बन जाती है

ताकि क्लब मेंबर बन कर अपनी आन, बान और शान का कर सकें बखान

इस तरह इस तरह ऐसे लोग गांधी दर्शन करवा के अपना काम निकलवा लेते हैं और आम जनता की जान की कोई कीमत नहीं समझते, उस व्यक्ति की कोई वैल्यू नहीं समझते। उस व्यक्ति के कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी रहती है। एक झटके में परिवार अनाथ हो जाता है मगर इनकी बला से इनको तो बस करोड़पति से अरबपति जो बनना है। ताकि क्लब मेंबर बन कर अपनी आन, बान और शान का बखान कर सके।

पहली बार हुआ ऐसा, सराहनीय

अपर कलेक्टर एवं नगर निगम आयुक्त अभिषेक गहलोत
मुद्दे की बात तो यह है कि पिछले सालों में देश के कई निजी अस्पतालों में आगजनी की घटनाएं हुई और लोग जिंदा जल गए अथवा दम घुटने से मर गए लेकिन उस बात का रतलाम के आला अफसरों की सेहत पर कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने अस्पताल में झांक कर देखना भी उचित नहीं समझा। यह तो भला हो नगर निगम के नए आयुक्त अभिषेक गहलोत का जिन्होंने जबलपुर हॉस्पिटल में हुए अग्निकांड के बाद रतलाम में पहली बार चिकित्सालयों की व्यवस्थाओं को देखा और सख्त कदम उठाने की हिदायत दी। ऐसा पहली बार हुआ है वरना प्रदेश में आगजनी की घटनाएं हॉस्पिटल में होती रही और अन्य जिलों के जिम्मेदार होते रहे लेकिन पहले से जिम्मेदार सामने आए हैं जिनको जनता की परवाह है।

सौ टके की बात

मगर सौ टके की बात तो यह है कि आखिर ऐसी धींगा मस्ती करने की परमिशन किन अधिकारियों ने दी कि वे आम जनता के सेहत के साथ खिलवाड़ कर सके। उनकी जान ले सके।

ऐसे सभी धृतराष्ट्र पर भी कार्रवाई होना लाजमी

जिम्मेदार लोगों ने अस्पताल के ढांचा को देखकर भी परमिशन दी है आखिर उनकी आंखें धृतराष्ट्र की तरह हो गई थी। उन्हें अस्पताल के लिए दो बड़े दरवाजे नजर नहीं आए जो कि आगमन और निगमन के लिए होते हैं। और तो और आगमन के लिए भी जितना बड़ा दरवाजा होना चाहिए उतने बड़े हैं नहीं। जिन्हे यह सब कुछ नजर नहीं आया ऐसे सभी धृतराष्ट्र पर भी कार्रवाई होना लाजमी है।

यह सब जरूरी है हॉस्पिटल शुरू करने के पहले

अस्पताल खोलने के लिए ढांचागत मंजूरी में कंप्लीशन प्रमाणपत्र

अग्निशमन सुरक्षा प्रमाणपत्र

पर्यावरण संबंधी मंजूरी

लिफ्ट लाइसेंस

पंजीकरण-प्रमाणन के साथ सेवा संबंधी मंजूरी में फार्मेसी

ब्लड बैंक

एंबुलेंस

कचरा प्रबंधन आदि की मंजूरी लेनी होती है।

इन सभी की खानापूर्ति करने के पश्चात ही हॉस्पिटल शुरुआत करने का अनुमति मिलती है।

इन हॉस्पिटल में लगी आग तो आप जाएंगे खाक

रतलाम हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर शास्त्री नगर

सीएचएल केयर प्राइवेट लिमिटेड सागोद रोड

जीवांश हॉस्पिटल 80 फीट रोड

साईं श्री हॉस्पिटल 80 फीट रोड

शाह हॉस्पिटल काटजू नगर

रिधान हॉस्पिटल 80 फीट रोड

वेदांत हॉस्पिटल तिरुपति नगर

चाहर ट्रामा सेंटर राजीव गांधी सेंटर

जनक हॉस्पिटल राजेंद्र प्रसाद मार्ग

माहेश्वरी नर्सिंग होम काटजू नगर

श्रद्धा नर्सिंग होम काटजू नगर,

गेटवेल हॉस्पिटल जीपीओ रोड

आरोग्यम हॉस्पिटल, कॉलेज रोड

शिव शक्ति लाल शर्मा हॉस्पिटल आयुष परिसर बंजली

यारदे नर्सिंग होम लोकन टॉकीज के सामने

समर्पण हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजंता पैलेस के सामने

मिश्रीदेवी मानव कोष हॉस्पिटल राम मंदिर के पीछे

मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई जीपीओ रोड

बुरहानी हॉस्पिटल लक्कड़पीठा

00000सौजन्य से  हेमंत भट्ट000000

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