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मतदाताओं द्वारा दिन में तारे दिखाने के बावजूद भाजपाइयों के मुगालते नहीं हो रहे दूर

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मतदाताओं द्वारा दिन में तारे दिखाने के बावजूद भाजपाइयों के मुगालते नहीं हो रहे दूर

रतलाम। शहर की नई सरकार का चुनाव होने के बाद अब मौका था नई सरकार के चुने हुए नेताओं को शपथ दिलाने का। शपथ ग्र्रहण का ये सरकारी आयोजन फूलछाप वालों की अडीबाजी और पंजा पार्टी वालों के विरोध के चलते सरकारी के बजाय फूल छाप पार्टी का आयोजन बनकर रह गया। पंजा पार्टी के पार्षद एक दिन पहले ही शपथ लेकर सत्ता में आ गए और फूल छाप वालो ने रविवार को अस्त व्यस्त मजमे में अपने पद हासिल किए। आयोजन की अस्तव्यस्तता को देखकर लोगों को लगने लगा कि कहीं शहर सरकार के तौर तरीके भी इसी तरह अस्त व्यस्त होकर ना रह जाए।

सरकार पर कब्जा फूल छाप का था,इसलिए जिम्मेदारी भी फूल छाप वालों की थी,कि शहर सरकार में पंजा पार्टी की हिस्सेदारी भी हो। लेकिन उनके अडियल रवैयै और पंजा पार्टी के नकारात्मक तौर तरीकों ने आने वाले दिनों की डरावनी तस्वीर सामने ला दी है। पंजा पार्टी वालों ने अपनी शपथ अलग से लेने का फैसला करके इंतजामिया के अफसरों को सुना दिया। इंतजामिया के अफसर चाहते,तो पंजा पार्टी को प्रथम नागरिक की शपथ के बाद शपथ दिलवाते। लेकिन ना तो इंतजामिया के अफसरों ने और ना ही फूल छाप के कर्ता धर्ताओं ने इस पर ध्यान दिया। इंतजामिया के अफसरों ने पंजा पार्टी वालों के कहने पर शनिवार को ही उन्हे शपथ दिलवा दी।

अब बचे फूल छाप वाले नेता। उन्हे उम्मीद थी कि शपथ दिलाने के लिए खुद मामाजी आएंगे। लेकिन मामाजी ने आखरी वक्त पर आने से इंकार कर दिया। मामजी के चक्कर में फूल छाप वालों ने लम्बे चौडे ताम झाम जमाए थे और इसीलिए शपथ ग्र्रहण का कार्यक्रम शहर के बाहर बडबड में विधायक सभागृह में तय किया गया था। मामाजी के ही चक्कर में जिले पर भारी मंत्री जी,तीन सांसदों और तमाम विधायकों को कार्यक्रम का न्यौता दिया गया था। इतना ही नहीं शपथ ग्र्रहण में आने वालो के लिए भोजन प्रसादी का इंतजाम भी रखा गया था।

लम्बे चौडे ताम झाम को देखकर फूल छाप वाले उत्साह में थे,इसलिए जीते हुए पार्षद अपने अपने जुलूस लेकर बडबड पंहुचे थे। लेकिन बडबड के विधायक सभागृह में हुआ पूरा कार्यक्रम अस्तव्यस्त ही रहा। सबसे पहले तो मामा जी ने आने से इंकार कर दिया फिर मामाजी की गैरहाजरी की जानकारी मिलने पर जिले पर भारी मंत्री जी भी कन्नी काट गए। तीन सांसदों में से केवल एक माननीय, मन्दसौर वाले भैया यहां पंहुचे,लेकिन जिनकी पहली जिम्मेदारी थी,वो झाबुआ वाले माननीय आयोजन में नहीं आए और उज्जैन वाले माननीय भी नदारद रहे।

सरकारी आयोजन के फूल छाप वाले मंच पर दो पूर्व प्रथम नागरिक महिलाएं तो मौजूद थी,लेकिन निगम में दो नम्बरी नेता रहे दो नेता गायब थे। मंच पर पिछली वाली प्रथम नागरिक डाक्टर मैडम को देखकर लोग हैरान थे। पूरे चुनाव में लोग डाक्टर मैडम को तलाश कर रहे थे,लेकिन उस वक्त वे किसी को भी कही भी नजर नहीं आई थी। चुनाव निपट गए तो मैडम जी भी दडबे से बाहर निकल आई।

आयोजन सरकारी था,लेकिन इस पर पूरा कब्जा फूल छाप वालों का था। शपथ ग्र्रहण का मुहूर्त साढे बारह बजे का तय किया गया था,लेकिन ये समय बीत चुका था। काफी वक्त गुजर जाने के बाद जैसे तैसे शपथ दिलाने का काम शुरु हुआ। जीते हुए नेताओं को मंच के एक कोने में खडा करवा कर जिला इंतजामिया के बडे साहब शपथ दिलवा रहे थे। फूलछाप के पुराने दिग्गज नेता सेठ जी ने इस पर आपत्ति भी दर्ज कराई। उनका कहना था कि कार्यक्रम शपथ ग्र्रहण का है,और जिन्हे शपथ लेना है उन्ही को कोने में फेंक दिया गया है।

मंच की हालत भी बेहद अस्तव्यस्त थी। चुने हुए पार्षदों के साथ साथ उनके ढेरों रिश्तेदार और समर्थक भी मंच पर कब्जा जमाए हुए थे। जितने लोग सभागृह में मौजूद थे,उससे थोडे ही कम मंच पर थे। कोई अनुशासन नहीं,कोई व्यवस्था नही। मंच पर ही नेता अपने अलग अलग फोटो सेशन करने में लगे थे। प्रथम नागरिक बने वाटर पार्क वाले भैया ने अपने शपथ ग्र्रहण में पूरी फिल्मी स्टाइल दिखाई। उनका नाम पुकारे जाने पर तुरंत ही धुआंधार फिल्मी म्यूजिक बजने लगा। डान के टाइटल म्यूजिक के साथ प्रथम नागरिक ने माइक सम्हाला। मंच पर मौजूद नेताओं ने भी भाषण टिकाए। सभागृह में मौजूद लोगों ने भोजन प्रसादी के चक्कर में सारे भाषणों को सुना।

कुल मिलाकर पहली बार शहर सरकार इस अस्तव्यस्त अंदाज में अस्तित्व में आती हुई नजर आई। जिसमें विपक्ष ने शुरुआत के भी पहले ही सत्ता पक्ष का बायकाट कर दिया। सरकारी आयोजन को फूल छाप वालों ने अपनी पार्टी का आयोजन बना दिया। इंतजामिया के अफसर अपनी जिम्मेदारी निभाते ही मौके से चलते बने। कुल मिलाकर इस बिखरे बिखरे समारोह के बाद अब ये सवाल हवाओं में तैरने लगा है कि क्या शहर सरकार भी इसी तरह अस्त व्यस्त रहेगी? जिसका आगाज इस तरह से बिखरा बिखरा रहा है उसका अंजाम क्या और कैसा होगा? शहर के बाशिन्दों की चिन्ता ये भी है कि पिछली वाली डाक्टर मैडम ने जिस तरह से शहर का कबाडा किया है क्या आने वाले दिनों में भी इसी तरह का कोई खतरा होगा? भगवान करें ऐसा ना हो और नई नगर सरकार शहर को विकास की नई उंचाईयों तक ले जाए।

तिरंगे का जोश….

घर घर तिरंगा अभियान को लेकर शहर में जोशो जलाल छाया हुआ है। तिरंगों की जमकर बिक्री हो रही है। शहर से लेकर गांव तक लोग आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए जोर शोर से तैयारियां कर रहे है। लोगों के इस जोशो खरोश को और बढाने के लिए काले कोट वाले भी शनिवार के दिन आए आए। काले कोट वाले साहबों ने शनिवार को अदालत से शानदार तिरंगा रैली निकाली और पूरे शहर को भारत माता की जय के नारों से गुंजा दिया। दोपहर को काले कोट वाले रैली निकाल रहे थे,तो शाम को खाकी वर्दी वाले मैदान में आ गए। शाम को खाकी वर्दी वालों ने रैली निकाली। शहर के बाशिन्दों के जोशो खरोश को देखते हुए ये तय है कि इस बार का आजादी पर्व सबसे अनूठा होगा और इसे देखना अपने आपमें एक नया अनुभव साबित होगा।

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