बालगृह के बच्चों बीच जाकर श्री सत्यसाई समिति ने मनाया रक्षा बंधन पर्व ।
बच्चों को रक्षासूत्र बांध कर मुहं मीठा करवाया ।
रतलाम । श्री सत्यसाई सेवा समिति रतलाम के पदाधिकारियों ने गुरूवार को बाल गृह के बच्चों को राखी बांधकर रक्षाबंधन का त्योैहार मनाया। इस दौरान बच्चों को स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन का महत्व बताया गया। श्री संदीप दलवी ने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि देशभर में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य को व्यक्त करने के लिए कोई दिन तय नहीं है। रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बन जाता है।उन्होने रक्षाबंधन पर्व के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि रक्षा बंधन का पर्व विशेष रुप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है. एक ऐसा बंधन जो दो जनों को स्नेह की धागे से बांध ले । रक्षा बंधन को भाई – बहन तक ही सीमित रखना सही नहीं होगा. बल्कि ऐसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है । भाई – बहन के रिश्तों की सीमाओं से आगे बढ़ते हुए यह बंधन आज गुरु का शिष्य को राखी बांधना, एक भाई का दूसरे भाई को, बहनों का आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक-दूसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है. । आज के परिप्रेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है अपितु राखी का अर्थ है, जो यह श्रद्धा व विश्वास का धागा बांधता है.। वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है.। उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता हैं ं
श्री रवि हंसोगिया ने बच्चों को संबोधित करते हुए रक्षा बंधन पर्व के बारे में बताया कि मध्ययुगीन भारत में हमलावरों की वजह से महिलाओं की रक्षा की याद में भी यह त्योैहार मनाया जाता है। तभी से महिलाएं सगे और मुंहबोले भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं। उन्होने पौराणिक एवं ऐतिहासक महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी मान्यता है कि श्रावणी पूर्णिमा या संक्रांति तिथि को राखी बांधने से बुरे ग्रह कटते हैं। श्रावण की अधिष्ठात्री देवी द्वारा ग्रह दृष्टि-निवारण के लिए महर्षि दुर्वासा ने रक्षाबंधन का विधान किया। इतिहास में राखी के महत्व के अनेक उल्लेख मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा-याचना की थी। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी। कहते हैं, सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरू को राखी बांध कर उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था। पुरू ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया था। इसी राखी के लिए महाराजा राजसिंह ने रूपनगर की राजकुमारी का उद्धार कर औरंगजेब के छक्के छुड़ाए। महाभारत में भी विभिन्न प्रसंग रक्षाबंधन के पर्व के सम्बंध में उल्लेखित हैं।
इस मौके पर श्रीमती राधा पाचाल कुुमारी माही पांचाल ने स्वनिर्मित बडी संख्या में श्री सत्यसाई समिति के सदस्यगण एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे । समिति की महिला सदस्याओ ने प्रत्येक बच्चे की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें तथा उनको फल, स्वल्पाहार एवं मिठाई खिलाई गई , तथा विधि विधान से बच्चों की आरती की गई ।
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