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झाबुआ

भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की आकर्षक झांकी ढोल-धमाकों के साथ निकाली गई, भागवत कथा में बांके बिहारी के जन्म प्रसंग पर थिरके श्रद्धालुजन, बाल गोपाल को टोकरी में उठाकर किया नृत्य

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समाजजनों को लगाए गए केसरिया छापे, जन्मोत्सव की आरती कर भक्तों को माखन-मिश्री का प्रसाद बांटा गया
झाबुआ। शहर के प्रसिद्ध श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में श्री पद्मवंशीय मेवाडा राठौर तेली समाज द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन धूमधाम से श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। भागवत कथा में भगवान के जन्मोत्सव को लेकर मंच को फूलों की माला और गुब्बारों से विशेष रूप से सजावट की गई। इस विशेष दिवस पर कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ रही।
श्रीमद् भागवत कथा के सरस प्रवक्ता कानपुर उत्तरप्रदेश से पधारे पं. अनुपानंदजी ने भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा सुनाते हुए कहा कि बाल गोपाल का जन्म देवकी और वासुदेव के आठवें संतान के रूप में होता है। देवकी एवं वासुदेव का अर्थ समझाते हुए कहा कि देवकी यानी जो देवताओं की होकर जीवन जीती है और वासुदेव का अर्थ है, जिसमें देव तत्व का वास हो। ऐसे व्यक्ति अगर विपरीत परिस्थितियों की बेड़ियों में भी क्यों न जकड़े हो, भगवान को खोजने के लिए उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता है। बल्कि भगवान स्वयं आकर उसकी सारी बेड़ी-हथकड़ी को काटकर उन्हें संसार सागर से मुक्त करा दिया करते हैं।
श्री कृष्ण भक्ति से जीवन सफल होता है
पं. अनुपानंदजी ने कहा कि हर मनुष्य के जीवन में 6 शत्रु हैं, काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ व अहंकार। जब हमारे अंदर के ये छह शत्रु समाप्त हो जाते हैं, तो सातवें संतान के रूप में शेष जीव, जो काल के प्रतीक हैं, वो काल फिर मनुष्य के जीवन में आना भी चाहे तो भगवान अपने योग माया से उस काल का रास्ता बदल देते हैं। तब आठवें संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण का अवतार होता है। जिसके जीवन में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति आ गई, तो ऐसा समझना चाहिए कि वह जीवन सफल हो गया।
भगवान के जन्मोत्सव की खुशियां मनाई गई
कथा के बीच में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की आकर्षक झांकी भी ढोल ढमाकों के साथ निकाली गई। श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर भजनों की धुन पर श्रद्धालुजन जमकर थिरके। इस दौरान लाभार्थी सोनावा परिवार द्वारा पांडाल में उपस्थित श्रोताओं का केसरिया छापे लगाए गए और भगवान के जन्मोत्सव की आरती कर सुधीजनों को माखन, मिश्री की प्रसादी का वितरण किया गया।
लाभार्थी सोनावा परिवार ने उतारी आरती
कथा के पांचवे दिन के लाभार्थी रणछोडलाल गुलाबचंदजी सोनावा परिवार द्वारा भागवतजी की आरती की गई। इससे पूर्व आयोजन समिति की और से लाभार्थी रणछोडलाल सोनावा का पुष्पमाला, शाल, श्रीफल एवं साफा बांधकर बहुमान किया गया। सात दिवसीय धार्मिक प्रसंग का श्रवण करने के लिए भक्तजन बडी संख्या में सम्मिलित हो रहे है। कथा जैसे-जैसे विश्रांति की ओर आगे बढ़ रहीं है, वैसे-वैसे भक्तजनों, विशेषकर महिलाओं में उत्साह तेजी से बढ़ता जा रहा है।

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