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झाबुआ

श्रीमती किरण दीपक कोटडिया का महामृत्युंजय (मासक्षमण) तप हुआ पूर्ण ……..समणी वृंद के सानिध्य में हुआ पारणा…

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मासक्षमण तप अभिनंदन कार्यक्रम का गरिमामय आयोजन स्थानीय अंबा पैलेस में हुआ…….। जय जयकार जय जयकार तपस्वी की जय जयकार…. के जयकारों से गूंजा सभागार

झाबुआ- तेरापंथ धर्मसंघ के 11वे अनुशास्ता युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्वाण प्रज्ञा जी व मध्यस्थ प्रज्ञा जी के पुण्य पावन निश्रा व प्रेरणा से स्वर्गीय अनोखी लाल कोटडिया व स्वर्गीय श्रीमती हंसा कोटडिया (चौधरी ) की पुत्रवधू श्रीमती किरण कोटडिया ने 31 कठिन उपवास महामृत्युंजय तप (मासक्षमण )की तपस्या पूर्ण की । 21 सितंबर बुधवार को तपस्वी के तप अनुमोदनार्थ शोभायात्रा , तप अभिनंदन व बहुमान कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय अंबा पैलेस पर किया गया ।

आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कोटडिया परिवार को महादानी के अलंकरण से अलंकृत किया….

झाबुआ का मूलचंद , मांगीलाल का परिवार इस मायने में भी बड़ा सौभाग्यशाली है इस परिवार ने अपने 4 रत्नों को गुरु चरणों में समर्पित किया है ।धन , रोटी या वस्तु का दान कुछ महत्व रखता है । पर अपनी संतानों को मानव कल्याण और आत्म कल्याण हेतु त्याग में के मार्ग में समर्पित कर देना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। श्रीमान मांगीलाल जी और श्रीमती शांताबाई कोटडिया (चौधरी) ने अपने सुपुत्र कांतिलाल वर्तमान में मुनि श्री अमृत कुमार , बेटी निर्मला वर्तमान में समणी निर्माण प्रज्ञा जी बेटी चंदा वर्तमान में समणी डॉ चेतन प्रज्ञा जी और एक दोयने अभिजीत वर्तमान में मुनि श्री अभिजीत कुमार को धर्म संघ को प्रदान किया । उनके इस महादान की अनुमोदना करते हुए परम पूज्य युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी ने इस परिवार को महादानी के अलंकरण से अलंकृत किया । साधु जीवन कठिन है । फिर तेरापंथ में एक गुरु की आज्ञा व अनुशासन में रहकर साधना करना अदभूत बात है । जीवन भर घर, परिवार और परिग्रह का त्याग कर आत्म साधना करना , लोहे के चने चबाने जैसा दुष्कर कार्य कर रहे है झाबुआ के यह चार रत्न । झाबुआ का मांगीलाल जी काया पूरा परिवार तप, जप व साधना की दृष्टि से अग्रिम पंक्ति में रहा उसी का परिणाम है कि इस परिवार में 3 मासक्षमण व एक 25 की तपस्या जैसा बढ़ा तप हुआ है ।


सुबह करीब 8:30 बजे शहर के आजाद चौक से तपस्वी श्रीमती किरण दीपक कोटडिया (चौधरी )की शोभायात्रा प्रारंभ हुई । शहर के जैन मंदिर पर परिवारजन और तपस्वी द्वारा शासन माता के पूजन के बाद शोभायात्रा तेरापंथ सभा भवन पर रूकी, जहा समणी वृंद ने मांगलिक सुनाई । शहर के मुख्य मार्गो से गुजरने के दौरान कई जैन परिवारों ने तपस्वी का शाल व माला से बहुमान किया । पश्चात शोभा यात्रा लक्ष्मीबाई मार्ग से होते हुए राजवाड़ा पर समाप्त हुई । शोभायात्रा में सकल जैन समाज के श्रावक श्राविकाए उपस्थित थे । राजवाड़ा से सभी ने अंबा पैलेस की ओर प्रस्थान किया । जहां पर एक धर्मसभा का आयोजन किया गया ।

सुबह करीब 10 बजे युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्वाण प्रज्ञा जी व समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी के सानिध्य में तप अभिनंदन कार्यक्रम निजी गार्डन अंबा पैलेस पर नमस्कार महामंत्र के जाप के साथ प्रारंभ हुआ । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर क्षेत्रीय सांसद जी.एस. डामोर उपस्थित थे । मंगलाचरण की प्रस्तुति श्रीमती प्रमिला कांसवा व निता गादीया व मोना ओरा ने दी । पश्चात तेरापंथ सभाध्यक्ष कैलाश श्रीमाल ने स्वागत भाषण के साथ तपस्वी के तप की अनुमोदना शब्दों के माध्यम से की । पेटलावद सभा से फूलचंद कांसवा ने भी तपस्वी के तप की महिमा का गुणगान किया । पश्चात तेरापंथ महिला मंडल की सदस्यों ने नाट्य प्रस्तुति दी, जिसमें एक कोर्ट लगाई गई और 2 वकीलों के आपसी तर्क और वितर्क तपस्या को लेकर दिए गए । गवाह भी पेश किए गए । अंत में जज ने यह निर्णय लिया कि जैन धर्म में तपस्या के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जाता है और तपस्वी द्वारा स्वयं कर्मों को काटने के लिए तपस्या की जाती है । पश्चात समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी और समाज के श्रावक श्राविकाओं ने भिक्षु गण का पिटारा नाट्य कार्यक्रम का आयोजन किया । जिसमें यह दर्शाया गया कि यदि हम धर्म में आस्था और विश्वास रखते हैं तथा सच्चे मन से इसकी आराधना करते हैं तो हमें मनवांछित फल प्राप्त होते हैं । कार्यक्रम अंतर्गत पत्रकार कल्याण परिषद ने अपने गौरव अवार्ड के लिए भिक्षु गण का पिटारा से ऐसे व्यक्ति का नाम बताने की बात कही .. जिसने साहसिक कदम उठाया हो, जिसने लंबी तपस्या याने 8 उपवास, 12 या 15 उपवास का कभी स्वाद ना चखा हो और अपने जीवन में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया हो । उस पिटारे से श्रीमती किरण कोटडिया का नाम आया और इस संस्था ने इस वर्ष का गौरव अवार्ड श्रीमती किरण कोटडिया को दिया । इसके बाद चंदना बहूमंडल ने सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी । तपस्वी श्रीमती किरण कोटडिया ( चौधरी )के पुत्र आरव चौधरी व अक्षत ने भी अपनी मां की तपस्या के अभिवादन में शब्दों के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त की । इसके अलावा परिवार और समाज के अनेक लोगों ने अपनी भावनाएं शब्दों के माध्यम से तपस्वी के तप की अनुमोदना की । मालवा सभा से रमणलाल कोटडिया व पंकज कोठारी, ताराचंद गादिया , मगन लाल गादिया ने तपस्वी को अभिनंदन पत्र भेंट किया । क्षेत्रीय सांसद जी.एस.डामोर ने भी माला व शाल के माध्यम से तपस्वी का बहूमान किया । तेरापंथ महिला मंडल , तेरापंथ सभा झाबुआ ने भी शाल और अभिनंदन पत्र बैठकर तपस्वी के तप की अनुमोदना की । जैन सोशल ग्रुप मैत्री ने भी अभिनंदन पत्र भेंट किया । इसके अलावा श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ से मनोहर भंडारी यशवंत भंडारी, मुकेश जैन नाकोड़ा , श्री जैन स्थानकवासी संघ , सकल व्यापारी संघ आदि सभी ने तपस्वी का बहूमान किया ।

समणी निर्वाण प्रज्ञा जी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जैन धर्म अहिंसा ,संयम और तप प्रधान धर्म है भगवान महावीर ने कठिन साधना कर आत्मोथान का मार्ग मानव मात्र को दिखाया । भगवान का यह शासन अनेक शाखाओं और प्रशाखाओ में रहकर भगवान के पवित्र संदेश को जन जन तक पहुंचा रहे हैं । उनमें एक प्रमुख है तेरापंथ धर्म संघ । आघप्रणेता आचार्य श्री भिक्षु द्वारा प्रतिष्ठित यह धर्म संघ उदितोदित और चिरंजीवी बना हुआ है । इस संघ में अध्यात्म साधना , जानाराधना, प्रभावना तत्व दर्शन का अभिनव योग है । ऐसे संघ की शरण में सब का कल्याण है । लगभग 275 वर्षों के इतिहास में इस धर्म संघ ने अब तक 11 आचार्य और सैकड़ों तपोनिष्ठ ,चारित्रनिष्ठ और नियम निष्ठ साधु साध्वी प्रदान किए हैं । उन्होंने यह भी बताया कि झाबुआ की नगरी धर्ममय नगरी बनी हुई है यहां पर चातुर्मास की छटा छाई है तथा कई छोटी-बड़ी तपस्या भी हुई है । इसी क्रम में दीपक कोटडिया की धर्मपत्नी श्रीमती किरण कोटडिया ने अपने दृढ़ संकल्प बल का परिचय दिया और इतने बड़े तप का आज सानंद संपन्न कर रही है . सचमुच खाने की भाषा को जानने वाला प्राणी यदि 31 दिन तक आहार न करें , रात्रि में पानी भी नहीं पिए तो यह आश्चर्य की बात है । जय शास्त्रों में भगवान ने कहा है कि तपस्या कर्मों की निर्जरा के लिए तप करें , किसी भौतिक आकांक्षा से तप ना करें । इसके पश्चात समणी वृंद के सानिध्य में तथा सकल जैन समाज की उपस्थिति में श्रीमती किरण कोटडिया ने पारणा परिजनों से किया तथा उपस्थित जनों ने तपस्वी की जयकार सितारे भी लगाएं कार्यक्रम का सफल संचालन तरीन मेहता ने किया और आभार तेरापंथ सभा के मंत्री दीपक कोटड़िया ने किया । इसके अलावा आज दीपक कोटडिया ने अपनी पत्नी की इतनी बढ़ी तपस्या के उपलक्ष में धार्मिक एकासन के लाभार्थी बने । जिसमें करीब 75 से अधिक लोगों ने एका आसन तप किए ।

समणी निर्वाण प्रज्ञा जी व समणी मध्यस्थ प्रज्ञा की विशेष प्रेरणा से मेरा मासक्षमण तप पूर्ण हुआ । साथ ही साथ इस महामृत्युंजय तप को पूर्ण करने में मेरे परिवार जन तथा विशेष रूप से मेरे पति दीपक कोटडिया (रूप श्री रेस्टोरेंट्स संचालक) का विशेष सहयोग रहा व संबल प्रदान किया ।

महामृत्युंजय तपस्वी , श्रीमती किरण दीपक कोटडिया, झाबुआ

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