जिले में तेजी से चल रहा है आयुष्मान कार्ड निर्माण
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में अच्छा कार्य नहीं करने पर अधिकारियों को अप्रसन्नता पत्र जारी
रतलाम / कलेक्टर श्री नरेंद्र सूर्यवंशी द्वारा सख्ती की जाने पर जिले में आयुष्मान कार्ड निर्माण का धीमा सिलसिला फिर से तेज हो चुका है। जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, जेआरएस, पटवारी इत्यादि मैदानी अमला गांव-गांव, घर-घर पहुंचकर आयुष्मान कार्ड निर्माण का कार्य कर रहा है। आशा कार्यकर्ता भी तेजी से कार्य करने लगी है, उनके आईडी भी बनाए जा रहे हैं।
आयुष्मान कार्ड प्रगति की समीक्षा कलेक्टर श्री नरेंद्र सूर्यवंशी द्वारा समय सीमा पत्रों की समीक्षा बैठक में की गई। सोमवार को आयोजित बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिए कि आयुष्मान कार्ड निर्माण की गति लक्ष्य पूरा होने तक बरकरार रखी जाए। कलेक्टर ने अन्य योजनाओं कार्यक्रमों की भी समीक्षा बैठक में की। इस दौरान मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में अच्छा कार्य नहीं करने पर कलेक्टर द्वारा उप संचालक कृषि श्री विजय चौरसिया तथा ट्राइबल अधिकारी सुश्री पारुल जैन को अप्रसन्नता पत्र जारी किए। बैठक में अपर कलेक्टर श्री एम.एल. आर्य, सीईओ जिला पंचायत श्रीमती जमुना भिड़े, अपर कलेक्टर श्री अभिषेक गहलोत तथा जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
जिले में मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के तहत जिन आवेदनों को रिजेक्ट किया गया है उन पर पुनः समीक्षा करने के निर्देश कलेक्टर द्वारा दिए गए। कलेक्टर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा अनुसार हमें जिले में अधिकाधिक हितग्राहियों को लाभ दिलवाना है। शासन की कल्याणकारी योजनाएं लाभ देने के लिए बनाई गई हैं। समीक्षा में लगभग 1300 आवेदन ऐसे पाए गए जिन पर कलेक्टर द्वारा बारीकी से पड़ताल करने के निर्देश दिए गए ताकि हितग्राही को शासन की योजना का लाभ मिल सके। इस संबंध में कलेक्टर ने विभागीय अधिकारी के साथ-साथ सम्बंधित जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जिम्मेदारी दी। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की समीक्षा में कलेक्टर द्वारा रतलाम ग्रामीण क्षेत्र तथा स्वास्थ्य विभाग का कार्य कमजोर पाया गया। कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को कार्य में चुस्ती-फुर्ती लाने के निर्देश दिए।
आयुष्मान कार्ड के निर्माण में कलेक्टर ने सभी एसडीएम को निर्देशित किया कि वे अपने क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की नियमित बैठक लेवे। जिले में चिन्हित आकांक्षी ब्लॉक बाजना में प्रगति लाने के उद्देश्य से कलेक्टर ने जिला योजना अधिकारी श्री बी.के. पाटीदार को निर्देशित किया कि प्रतिदिन उनके द्वारा तीन विभागों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित कराई जाएगी।
मतदाता सूची प्रकाशन के संबंध में जानकारी बैठक में दी गई। कलेक्टर श्री सूर्यवंशी ने कार्य को अत्यंत महत्वपूर्ण निरूपित करते हुए सभी अधिकारी को निर्देशित किया कि वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के बच्चे जो 18 वर्ष आयु पूर्ण कर चुके हैं, उनके नाम मतदाता सूची से जुड़वाएं। उक्त कार्य गंभीरता से करने के निर्देश दिए। अपर कलेक्टर श्री आर्य द्वारा जानकारी दी गई कि विशेष कैंप आगामी दिनों आयोजित किए जाएंगे जिसमें बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर नाम जोड़ने, घटाने, संशोधन का कार्य करेंगे। अपर कलेक्टर ने बताया कि जिस व्यक्ति का नाम भी सूची से हटाया जाएगा पहले उसको नोटिस के जरिए सूचित किया जाएगा, बारीकी से पड़ताल के पश्चात ही किसी व्यक्ति का नाम सूची से हटाया जा सकता है।
शिवगढ़ तथा रावटी में वनवासी लीलाओं की प्रस्तुति दी गई
रतलाम / मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार राम कथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित वनवासी लीलाओं भक्तिमति शबरी तथा निषादराज गुह्य की प्रस्तुतियां जिला प्रशासन के सहयोग से दी जा रही है। 6 नवंबर की रात्रि जिले के रावटी तथा बाजना में कार्यक्रम आयोजित हुए। रावटी में भक्तिमति शबरी तथा शिवगढ़ में निषादराज गुह्य की प्रस्तुतियां ग्वालियर की सुश्री गीतांजलि गिरवाल एवं साथियों तथा ग्वालियर के हिमांशु द्विवेदी एवं साथियों द्वारा दी गई।
इस दौरान पूर्व विधायक श्रीमती संगीता चारेल, सांसद प्रतिनिधि श्री गोविन्द डामर, श्री अम्बाराम गरवाल, श्री प्रशांत अग्रवाल, श्री हरीश ठक्कर, श्री प्रकाश ग्वालियरी, श्री कैलाश वसुनिया, श्री संजय झोडिया, श्री शांतिसिंह चौहान, श्री इन्दरसिंह गुर्जर, सीओ जनपद सुश्री अलफिया खान आदि उपस्थित रहे।
लीला की कथाएं-
वनवासी लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं, तब शबरी मां गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूबकर अपने प्राण त्याग देती हैं। अगले दृश्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती हैं। भील समुदाय़ शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़ कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे। लीला के अगले दृश्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए गए। भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले दृश्य में शबरी समाधि ले लेती हैं।
निषादराज गुह्य में बताया कि भगवान राम ने वन यात्रा में निषादराज से भेंट की। भगवान राम से निषाद अपने राज्य जाने के लिए कहते हैं लेकिन भगवान राम वनवास में 14 वर्ष बिताने की बात कहकर राज्य जाने से मना कर देते हैं। आगे के दृश्य गंगा तट पर भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। केवट की प्रेम वाणी सुन, आज्ञा पाकर गंगाजल से केवट पांव पखारते हैं। नदी पार उतारने पर केवट राम से उतराई लेने से इंकार कर देते हैं। कहते हैं कि हे प्रभु हम एक जात के हैं मैं गंगा पार कराता हूं और आप भवसागर से पार कराते हैं इसलिए उतरवाई नहीं लूंगा। लीला के अगले दृश्यों में भगवान राम चित्रकूट होते हुए पंचवटी पहुंचते हैं। सूत्रधार के माध्यम से कथा आगे बढ़ती है। रावण वध के बाद श्री राम अयोध्या लौटते हैं और उनका राज्याभिषेक होता है। लीला नाट्य में श्री राम और वनवासियों के परस्पर सम्बन्ध को उजागर किया गया।
उर्वरक की सूचना देने के साथ अधिकारियों की निगरानी में ही होगा वितरण
रतलाम/ उप संचालक कृ़षि एवं लाइसेंस अथोरिटी श्री विजय चौरसिया ने बताया कि जिले के निजी विक्रताओं के यहां प्रायः देखने में आ रहा है कि उनको प्राप्त यूरिया, डीएपी बिना सूचना के वितरण कर दिया जाता है जबकि शासन के निर्देशानुसार उर्वरकों का वितरण विभाग के अधिकारियों की निगरानी में किया जाना है। इस कारण कृषकों को उर्वरक के लिए परेशान होना पड़ रहा है, तथा आपूर्ति में बाधा आ रही है।
अतः निजी विक्रेताओं को निर्देशित किया गया है कि यूरिया, डीएपी उर्वरक की सूचना सम्बन्धित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को देने के पश्चात विभाग के अधिकारियों की निगरानी में ही वितरण करेंगे अन्यथा की स्थिति में आपके विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 की धाराओं के तहत आपका प्राधिकार पत्र लिम्बित/निरस्त किया जावेगा जिसके लिए आप स्वंय व्यक्तिगत रूप से जबावदार रहेंगे।
इसी प्रकार उप संचालक ने बताया कि उर्वरक कम्पनी द्वारा रासायनिक उर्वरकों की रेक जिले को उपलब्ध कराई जाती है जिसका परिवहन कम्पनी द्वारा अधिकृत परिवहनकर्ता द्वारा किया जाता है, किन्तु देखने में आ रहा है कि जो रासायनिक उर्वरक सहकारिता क्षेत्र में वितरित किया जाता है उसके वितरण, परिवहन की जानकारी मार्कफेड एंव केन्द्रीय सहकारी बैक कें माध्यम से प्राप्त हो रही है लेकिन निजी क्षेत्र में कम्पनी द्वारा जिन लायसेन्सधारियों को रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराया जाता है। उसके प्रोग्राम की जानकारी कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण निजी क्षेत्र में कृषकों को यूरिया, डीएपी, एनपीके आदि वितरण करने की प्लानिंग कार्यालय द्वारा नहीं हो पाती है जिससे जिले के कई क्षेत्र के किसानों को यूरिया, डीएपी, एनपीके आदि रासायनिक उर्वरक उपलब्ध होने में कठिनाईयां हो रही है। जिसका मूल कारण आपके द्वारा कार्यालय में रेक का परिवहन एंव वितरण का कार्यक्रम उपलब्ध नहीं कराना है।
कम्पनी को निर्देशित किया गया है कि, आगामी समय में जिले में कम्पनी की जो भी रेक प्लान होती है उस रेक से निजी क्षेत्र में प्रदाय उर्वरक की प्लानिंग से उपसंचालक कृषि को पूर्व से ही अवगत कराया जावे साथ ही विक्रेताओं का कार्यक्रम निर्धारित करते समय विचार विर्मश करके भी अवगत कराया जाए जिससे जिले के विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकतानुसार पूर्ति की जा सके। प्रायः देखने में आ रहा है कि कतिपय कम्पनियां द्वारा पास के क्षेत्रों के डीलर्स को उर्वरक उपलब्ध करा दिया जाता है लेकिन दूरस्थ क्षेत्र के उर्वरक विक्रेताओं को उर्वरक प्रदाय नहीं किया जा रहा है जिससे दूरस्थ क्षेत्र के कृषकों को उर्वरक उपलब्ध होने में परेशानी होती है। रेक वितरण एंव परिवहन कार्यक्रम को कार्यालय में उपलब्ध न कराना शंका को जाहिर करता है। कम्पनी एवं परिवहनकर्ता द्वारा उर्वरक वितरण में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। पारदर्शिता न होने के कारण उर्वरकों के अमानत में खयानत की भी सम्भावना बनी रहती है।
अतः निर्देशित किया गया है कि कार्यक्रम उर्वरक परिवहन, वितरण से पूर्व उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 की धारा 19 (1) (क), फर्टीलाईजर मूमेन्ट कन्ट्रोल आर्डर 1973 की धारा 3 के अन्तर्गत तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत कार्यवाही की जावेगी।
खुशियों की दास्तां –
वन अधिकार पत्र मिला तो बदल गई सीताराम की तकदीर
रतलाम / गरीबी एक ऐसा कुचक्र है जिसमें न केवल परिवार, बल्कि उसकी पीढियां भी शिकार होकर इसे नियति मानकर समझौता कर लेती है। ऐसी ही कहानी है आदिवासी सीताराम पिता श्री कमजी मईडा की, जिन्होंने अपने परिश्रम और शासन की योजनाओं की मदद से न केवल दरिद्रता की कमर तोड़ी बल्कि अब निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
विकासखण्ड सैलाना की ग्राम पंचायत बल्लीखेडा के ग्राम आमलिया डोलकला निवासी सीताराम का जन्म एक अत्यंत निर्धन आदिवासी परिवार में हुआ था। परिवार की स्थितियां ऐसी नहीं थी कि वे कुछ पढ़-लिख पाते। सीताराम के परिवार में पत्नी, 3 बालक और 1 बालिका है। निर्धनता और अभाव से जूझते व परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ने से सीताराम की हिम्मत जवाब दे गई और अंततः मजबूर होकर दूसरों के खेतों पर मजदूरी करने लगा। जीवन में संघर्ष जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। सीताराम की भूमि क्षैत्रफल 0.150 भूमि पर खेती के साथ वन भूमि पर थोड़ा बहुत अनाज उपजा लेता था। इसी बीच शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 द्वारा निर्धन आदिवासी वर्ग को वन भूमि पर मान्यता देते हुए उन्हें भू-अधिकार पत्र दिए जाने लगे, तब सीताराम ने भी अपने पूर्वजों की जमीन को प्राप्त करने के लिये आदिवासी विकास विभाग को विधिवत आवेदन और उपयुक्त दस्तावेज दिये जिससे सीताराम को वन अधिकार पत्र प्राप्त हो गया।
अब शासकीय योजनाओं की मदद और सीताराम के निरंतर परिश्रम की जुगलबंदी से न केवल इनका जीवन स्तर सुधर रहा है बल्कि दूसरों की भूमि पर फसल लेने के साथ ही फलदार वृक्ष भी पाल पोस कर बड़ा कर रहे है जिससे इन्हें पीढ़ी-दर-पीढी निरंतर आय प्राप्त होती रहेगी। निर्धन आदिवासी सीताराम का परिवार आज निरंतर समृद्धि की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए वो मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को धन्यवाद देते है।