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झाबुआ

ट्राइबल ही असली टाइगर है और टाइगर अभी जिंदा है – मोहन नारायण

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झाबुआ। ‘स्वराज्य प्राप्ति के लिए भारत की इस बलिदानी भूमि को कितने ही जनजातीय वीर नायकों ने अपने रक्त से सींचा है. यहां ट्राइबल और टाइगर एक साथ रहते आए है और आगे भी रह सकते है. इनके बीच कभी संघर्ष नहीं हो सकता और अगर कभी ये संघर्ष हुआ भी तो जीतेगा ट्राइबल ही, क्योंकि ट्राइबल ही असली टाइगर है और टाइगर अभी जिंदा है’ – ये बात जनजातीय गौरव दिवस पर हिन्दू युवा जनजाति संगठन के तत्वाधान में जिले के पारा नगर में आयोजित टंट्या मामा भील प्रतिमा अनावरण एवं भव्य चल सामारोह कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए शहीद समरसता मिशन के संस्थापक मोहन नारायण ने अपने सम्बोधन में कही।

‘जो हमारे वनवासी भाईयों से हारा वो सिकंदर’

भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर देश भर में जनजातीय गौरव दिवस धूमधाम से मनाया गया. इसी क्रम में आयोजित इस विशाल कार्यक्रम में जनसमूह को वनवासी जनजातीय वीरों का इतिहास बताते हुए मोहन नारायण ने अपने वक्तव्य में कहा कि – “देश का इतिहास जनजाति वीरों की शौर्यगाथाओं से भरा हुआ है लेकिन षड्यंत्रकारी ताकतों ने उसे छूपाए रखा और देश को झूठा इतिहास पढ़ाया गया. उन्होंने किताबों में लिखा कि ‘जो जीता वही सिकंदर’, लेकिन सच्चाई ये है कि अपनी ताकत और महत्वाकांक्षा के नशे में मदमस्त होकर विभिन्न देशों को कूचलते हुए जब सिंकदर भारत के पंजाब पहुंचा तो यहां के जंगलों में उसने हमारे जनजातीय भाईयों से मुंह की खायी थीं और उसकी सेना उल्टे पैर भाग खड़ी हुई थी. इसलिए कहिए कि ‘जो हमारे वनवासी भाईयों से हारा वो सिकंदर’ ।

‘आदिवासी हिंदू है इसके लिए प्रमाण आवश्यक नहीं’

चीन,चर्च और जिहाद की फंडिंग से चल रही देश को तोड़ने वाली ताकतों पर गरजते हुए मोहन नारायण ने कहा कि – ये टुकड़े-टुकड़े गैंग आदिवासियों हिंदू नहीं बताती है लेकिन ये इतिहास देंखे तो इन्हें मालूम होगा कि भगवान सोमनाथ के मंदिर पर जब मुगलों ने आक्रमण किया, तब गुजरात के गिर के जंगलों के वेगड़ा जी भील ने अपने मुठी भर साथियों को लेकर इन आक्रांताओं से 11 दिन युद्ध किया और अपने सनातन धर्म की रक्षा के लिए रक्त की अंतिम बूंद, अंतिम सांस तक संघर्ष किया। जनजातीय का इतिहास तो इतना प्राचीन है कि जब प्रभू श्रीराम वनवास के लिए गए तो जंगल में प्रवेश से पहले एक जनजातीय बंधू निषाद् राज से अनुमति लेते है. यही नहीं जब बाली ने अपने छोटे भाई सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाल दिया था बल्कि उसकी पत्नी को भी छीन लिया था। तब मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम ने जनजातीय बंधूओं को संगठित करके सुग्रीव को उसका साम्राज्य व सम्मान दिलाया था। जिस प्रकार रामायण में हनुमान जी अपनी शक्ति भूल गए थे, उसी समय आज देश के जनजातीय इलाकों,फलियों में रहने वाले हमारे जनजातीय बंधू अपनी असली शक्ति भूल गए है, उन्हें उनकी शक्तियों, क्षमताओं को याद दिलाने की आवश्यकता है।’

‘आने वाले 25 साल आदिवासी जनजातीय समाज के होंगे’

मोहन नारायण ने कहा – “पिछले 75 सालों में भगवान बिरसा मुंडा की उपेक्षा की गई, देश के लिए फांसी पर लटकने वाले टंट्या मामा भील को भूला दिया गया है. लेकिन अब और नहीं! आजादी के 75 सालों के बाद आने वाले 25 साल आदिवासी जनजातीय बंधूओं के हैं। देश के राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर हमारी जनजाति समाज की बहन द्रोपदी मूर्मु का आसीन होना महज एक शुरुआत है, मैं विश्वास दिलाता हूं कि वो दिन दूर नहीं कि जब देश का पीएम, विभिन्न राज्यों की सरकारों में सीएम भी हमारे जनजातीय समाज से आने वाला व्यक्ति ही होगा।”

‘वनवासियों के बलिदान को नहीं भूलेगा हिंदूस्तान’

अपने ओजस्वी वक्तव्य में मोहन नारायण ने बताया कि – “स्वराज्य प्राप्ति में जनजातीय बहन-बेटियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी. आपने बताया कि किस प्रकार मंडला की रानी दुर्गावत्ती ने अकबर से युद्ध करना स्वीकार किया बजाय उसके हरम में शामिल होने के. आपने अंग्रेजों के शासनकाल के रॉबिनहुड वीर जनजातीय योद्धा टंट्या मामा भील और हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप के साथी रहे राणा पूंजा भील के शौर्यगाथा को जनमानस तक पहुंचाया। कार्यक्रम के संयोजक एवं हिन्दू युवा जनजाति संगठन के राष्ट्रीय संयोजक कमल डामोर ने कहा – “आज इस जनसभा में उमड़े जनसैलाब को देखते हुए मुझे ये अनुभूति हो रही है कि आज राष्ट्र, संस्कृति की रक्षा के लिए कई बिरसा मुंडा पैदा हो गए है. आज समाज में कुछ संगठन हमारे बीच भिन्नताएं बताकर हमारे बीच अलगाव पैदा करने की साजिश कर रहे है. समाज में ऐसे संगठन आदिवासियों को भड़का कर असंतोष पैदा करने चाहते है लेकिन हम सौगंध लेते है कि इन्हें इनके मंसूबों में सफल नहीं होने देंगे, हम देश नहीं टूटने देंगे।”

जनजाति समाज के संत श्री कानू राम जी महाराज ने सनातन संस्कृति की रक्षा हेतू प्रेरित किया और गांव–गांव में धर्म जागरण की अलख जगाने की बात कही।इस अवसर पर हजारों की संख्या में जनजाति जनसैलाब उपस्थित रहा. साथी जी हिंदू युवा जनजाति संगठन के महामंत्री कमलेश मावी, प्रदेश अध्यक्ष एवं संरक्षक श लक्ष्मण बारिया, प्रवक्ता रादु बारिया, प्रदेश मीडिया प्रभारी विजय मेड़ा, कैलाश चौहान, कमलेश मुजाल्दा, झाबुआ जिला अध्यक्ष रामसिह भूरिया के साथ समस्त जिला पदाधिकारियों की उपस्थिति रही.आभार कमलेश मावी ने माना जबकि मंच का संचालन वालसिह मसानिया ने किया.
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