रतलाम शहर व आसपास काटेज के नाम पर कृषि भूमि पर काटी गई कालोनियों को कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने अवैध घोषित कर दिया है। इन कालोनियों में अब भूमि की खरीदी-बिक्री नहीं होगी, साथ ही टीएनसीपी या ग्राम पंचायत से भी कोई अनुमति नहीं मिलेगी।
रतलाम। शहर व आसपास काटेज के नाम पर कृषि भूमि पर काटी गई कालोनियों को कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने अवैध घोषित कर दिया है। इन कालोनियों में अब भूमि की खरीदी-बिक्री नहीं होगी, साथ ही टीएनसीपी या ग्राम पंचायत से भी कोई अनुमति नहीं मिलेगी। प्रशासन संबंधित कालोनाइजरों पर एफआइआर भी कराएगा। कालोनियों को अवैध करने के बाद निवेशकों, प्लान लेने वालों के करीब 150 करोड़ रुपये फंस गए हैं।
मालूम हो कि शहर के करमदी रोड, कनेरी रोड, सेजावता-बंजली बायपास, नंदलई, ईसरथूनी, डेलनपुर, ईटावा माताजी रोड सहित अन्य प्रमुख मार्गों पर गत पांच वर्षों में काटेजों के नाम पर 5500 वर्गफीट से लेकर 10 से 20 हजार वर्गफीट तक भूखंड बेचे गए। कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी के निर्देश पर एसडीएम रतलाम शहर संजीव केशव पांडेय ने जांच दल गठित कर कालोनी सेल को अवैध कालोनियों की सूची सौंपी है। सूची में दर्ज भूमि स्वामियों द्वारा अपनी भूमि को अवैध रूप से छोटे छोटे भूखंडों में विकय/ बगैर अनुमति सीसीरोड निर्माण / बाउंड्रीवाल निर्माण कर लिए हैं।
– भू-अभिलेख में इन सर्वे क्रमांको की भूमियों को अवैध कालोनी की भूमि दर्ज कर आवासीय/व्यवसायिक भूव्यपवर्तन को निरस्त किया जाएगा।
– जिला पंजीयक को इन भूमियों के कय-विक्रय पर रोक लगाने के निर्देश
– संबधित कालोनाइजरों पक्ष रखने के लिए नोटिस।
– ग्राम पंचायतों को इन भूमियों पर निर्माण आदि की अनुमति नहीं देने के निर्देश।
– नगर तथा ग्राम निवेश को अभिन्यास, मानचित्र अनुमोदन न करने के निर्देश।
– संबंधित भूमिस्वामियों पर एफआइआर दर्ज होगी।
इन भूस्वामियों की जमीन पर बनी कालोनी
रतलाम शहर : शिवनारायण पुत्र मांगीलाल अन्य 52 व्यक्ति, स्वामी बद्रीलाल पुत्र अमरू।
ग्राम करमदी : श्यामलाल पुत्र गंगाराम सांखला, कमल कुमार पिता शैतानमल चौपड़ा।
ग्राम बंजली : मनीष पुत्र पारसमल, सुधीर पुत्र अनिल कोठारी।
ग्राम बरबड़ : अशोक पुत्र छगनलाल टांक।
विरियाखेड़ी : मैसर्स पार्श्वनाथ डेवलपर्स द्वारा भागीदार पवन पिता पारसमल पिरोदिया, मयंक पुत्र मणिलाल घोटा, राजेश पुत्र मोतीलाल चौहान व अन्य, चंदादेवी पत्नी अशोक कुमार कटारिया, मीना पत्नी राजेश कटारिया।
ग्राम खेतलपुर : द्रौपदी पत्नी जगदीश वर्मा, सुषमा पत्नी राजेंद्र पितलिया, विवेक पुत्र राजेंद्र पितलिया, स्वीटी पत्नी विवेक पितलिया।
सेजावता : तरुण पुत्र शांतिलाल, शरद पुत्र कांतिलाल मूणत, राजेश कुमार पुत्र भीकमसिंह पुंडीर, चंद्रप्रकाश पुत्र जगदीशचंद्र सोनी, गुलाबबाई पत्नी शांतिलाल कोठारी, सरोज पत्नी सतीश कोठारी।
ग्राम बिबड़ौद : ओमप्रकाश पुत्र भंवरलाल, किरण माल्या पत्नी सुनील कुमार, अलका पुत्र सुनील कुमार, मोनिका पत्नी श्रीकांत गर्ग, प्रार्थना सिंह पुत्र अंकुर, शिल्पा सौरभ मूणत।
ग्राम बिबड़ौद : अमित पुत्र सुजानमल जैन, मधुकांता पत्नी अभय कुमार चोपड़ा, मीना पत्नी मुकेश मित्तल, राजेश पुत्र भारतलाल, विशाल पुत्र शांतिलाल जैन।
ग्राम डेलनपुर : विक्रेता मधुकांता पुत्र राधेलाल बैरागी।
ग्राम नंदलई : महावीर पुत्र मन्नाालाल, राजू भाई पुत्र रविंद्र कुमार व्यास, कमलनयन पुत्र रामगोपाल सेठी, नेहा पत्नी रोमी जैन, रौनक पुत्र राजेश मेर, विकास पुत्र जम्मू पिरोदिया।
ग्राम जामथुन : अरविंद पुत्र कांतिलाल कटारिया व ग्राम ईसरथूनी में अंकित पुत्र मांगीलाल वर्मा, निलेश पुत्र भविष्य कुमार जैन की जमीनों पर अवैध काटेज कालोनियां काटी गई हैं, जिन्हें अवैध घोषित किया गया है।
जामथून में चला बुलडोजर
ग्राम जामथून में अवैध कालोनी ध्वस्त की गई
कलेक्टर के निर्देश पर ग्राम जामथून में एक अवैध कालोनी का निर्माण ध्वस्त किया गया। नायब तहसीलदार मनोज चौहान ने बताया कि जामथून स्थित 0.365, 0.500 व 0.425 हेक्टेयर भूमि पर भूमि स्वामी आदित्य पुत्र रघुनंदन तिवारी, सविता पुत्र रघुनंदन, रघुनंदन पुत्र विनोद तिवारी द्वारा पर्याप्त अनुमति के अवैध कालोनी का निर्माण किया गया था। नायब तहसीलदार द्वारा गठित टीम ने मौके पर निर्मित सड़क को जेसीबी द्वारा हटाया।
इस तरह हो रहा आमजन व शासन को नुकसान
1 : आवास का सपना महंगा : शहर से 12 से 15 किमी की दूरी में सभी प्रमुख मार्गों पर काटेज कालोनियां बन चुकी हैं। इनमें भूखंडों की साइज एक बीघा, 10 या 20 हजार वर्गफीट रखी जाती है। छोटे भूखंड नहीं होने से आमजन को बेहद अंदर के क्षेत्रों में भी 1500 से 2000 रुपये वर्गफीट में आवास के लिए भूखंड नहीं मिल पा रहे हैं। विधिवत कालोनी विकसित होने पर छोटे भूखंड मिलने से मध्यमवर्गीय, निम्नवर्गीय परिवार बैंक ऋण आदि से आवास बना सकते हैं।
2 : विकास शुल्क, आश्रय निधि नहीं मिल रही- यदि एक लाख वर्गफीट भूमि पर निगम, ग्राम पंचायत से विधिवत अनुमति लेकर कालोनी विकसित की जाती है तो 50-55 हजार वर्गफीट भूमि ही भूखंड के रूप में मिलती है। इसमें कालोनाइजर के लिए नाली, बिजली, सड़क, उद्यान, पानी की सुविधा देना अनिवार्य होता है। इसके साथ ही नगर निगम में विकास अनुमति, आश्रय निधि, टीएनसीपी शुल्क, बिजली कंपनी में भी तय शुल्क भरना पड़ता है। जो करीब एक करोड़ रुपये होता है। काटेज कालोनी में जमीन का 90 प्रतिशत हिस्सा भूखंड के रूप में उपयोग कर सिर्फ सड़क बना दी जाती है। विकास अनुमति या अन्य कोई शुल्क जमा नहीं किए जाते, जिससे सीधे राजस्व का नुकसान होता है।
अवैध कालोनियों को लेकर कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। जिले में कहीं भी अवैध कालोनी नहीं पनपने देंगे। – नरेंद्र सूर्यवंशी, कलेक्टर