मप्र सड़क विकास निगम, लोक निर्माण विभाग, ट्रैफिक व परिवहन विभाग का अमला सड़क हादसों में ब्लैक स्पाट को चिह्नित भी कर चुका है, लेकिन इसे दूरस्त करने की दिशा में ठोस काम नहीं हुआ है।
रतलाम । फोरलेन, टूलेन पर वाहनों की गति तो बढ़ गई, लेकिन तकनीकी खामियों ने हादसों की संख्या भी बढ़ा दी है। मप्र सड़क विकास निगम, लोक निर्माण विभाग, ट्रैफिक व परिवहन विभाग का अमला सड़क हादसों में ब्लैक स्पाट को चिह्नित भी कर चुका है, लेकिन इसे दूरस्त करने की दिशा में ठोस काम नहीं हुआ है। जिले के चार प्रमुख हाइवे पर सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण मार्गों के जोड़ने वाले चौराहों, तिराहों पर दिखी। यहां पर्याप्त चौड़ाई नहीं होने से हादसे होते हैं।
01-रतलाम-लेबड़ फोरलेन
जावरा से लेबड़ तक फोरलेन में जिले के हिस्से में 11 बड़े ब्लैक स्पाट हैं। इसमें जावरा चौपाटी, भीमाखेड़ी फंटा, हसनपालिया, नामली पंचेड़ फंटा, सालाखेड़ी चौराहा, सातरूंडा तिराहा, सेजावता फंटा, पल्दुना फंटा, प्रकाश नगर पुलिया आदि शामिल है। सालाखेड़ी चौराहे पर सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। सड़क मामले में विशेषज्ञ मनोज शर्मा ने बताया कि सालाखेड़ी में इंदौर से आकर रतलाम शहर में जाने के लिए सर्विस लेन है, लेकिन जावरा की ओर से आने पर वाहनों का एल टर्न लेना पड़ता है। इसके चलते इंदौर से सीधे जावरा जाने वाले वाहनों के टकराने की आशंका रहती है। यहां संकेतक व प्रकाश व्यवस्था भी कम है। फोरलेन पर कई जगह लोगों ने मनमाने तरीके से कट लगा दिए हैं, जो हादसों का कारण बनते हैं। सातरूंडा चौराहे को जंक्शन के रूप में चौड़ा करने की तैयारी है, लेकिन अभी काम धीमी गति से हो रहा है।
02-जावरा-आलोट-आगर अंतरप्रांतीय मार्ग
इस मार्ग पर कई घुमावदार मोड़ होने से हादसे होते हैं। आलोट में बायपास मार्ग पर स्पीड ब्रेकर ऐसे बना रखे हैं जिससे निकलने में वाहन का संतुलन बिगड़ जाता है। दशहरा मैदान ताजली चौराहे पर कोई संकेतक नहीं है। आलोट से खजूरी तक मार्ग पर हर वर्षा काल में बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं। इस कारण अभी तक 6 मौतें दुर्घटना में हो चुकी है। खजूरी सोलंकी के समीप मार्ग के आसपास रहवासी क्षेत्र है, लेकिन संकेतक नहीं लगाए गए हैं। सड़क़ सुरक्षा विशेषज्ञ हनी काला ने बताया कि मार्ग पर संकेतक लगाने से वाहन चालकों को सुविधा होती है।
03-रतलाम-बांसवाड़ा अंतरप्रांतीय मार्ग
रतलाम से राजस्थान के बांसवाड़ा तक जाने वाले इस मार्ग पर जिले की सीमा में 43 किमी सड़क का हिस्सा आता है। रतलाम से छह किमी दूर ग्राम बंजली स्थित मेडिकल कालेज के सामने ही इस मार्ग पर सेजावता-बंजली बायपास भी मिलता है। तिराहे पर मार्ग की चौड़ाई कम होने व रोटरी, संकेतक नहीं होने से हादसे होते हैं। बायपास से आने वाले वाहनों को सैलाना, रतलाम के लिए लंबा मोड़ लेना पड़ता है। सालाखेड़ी में सड़क हादसे में अपने बेटे को खो चुके राजू केलवा ने सालाखेड़ी सहित यहां भी अपने खर्च पर सिग्नल लगवाए हैं। इसी मार्ग पर पल्सोड़ा फंटे, धामनोद व सैलाना के समीप बायपास पर ज्यादातर हादसे होते हैं।
04-रतलाम-झाबुआ मार्ग
रतलाम से झाबुआ तक 104 किमी लंबे मार्ग में जिले का 25 किमी का हिस्सा आता है। रानीसिंग में माही नदी पर बना पुल अब जर्जर हो रहा है। पुल पर लगी रेलिंग कई जगह से टूट गई है। मार्ग पर टोल वसूली शुरू होने के बाद मरम्मत की जा रही है, लेकिन मूंदड़ी से रतलाम के बीच सड़क के दोनों छोर कई जगह असमतल हैं। इससे हादसे होते हैं। रतलाम से मार्ग की शुरुआत में ही कई जगह गड्ढे होने से वाहन चालक परेशान होते हैं।(नईदुनिया से साभार)