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RATLAM

भारत की इस ‘कुटिया का विदेशों में जलवा

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रतलाम। देश ही नहीं विदेशों में भी मध्यप्रदेश के रतलाम जिले का एक गांव ‘कुटिया के नाम से प्रसिद्ध है। विश्व प्रसिद्ध इस कुटिया का जलवा होने से मास्को और रूस तक के लोग यहां खिंचे चले आते हैं। हम बात कर रहे है कि जिले की ताल तहसील की, जो तालाब के ऊपर बनी हुई है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या भी यहां जलसंकट की है। विदेशों से लोग यहां पहुंचते हैं तो इसे रूस और मास्को आदि देशों में ‘कुटिया के नाम से पहचाना जाता है। नगर की सबसे बड़ी समस्या जल संकट है जो आज तक नहीं सुधरी।

नाथ संप्रदाय के करवाखेड़ी श्रीशंभूनाथजी का आश्रम

उल्लेखनीय है कि नगर के समीप करवाखेड़ी श्रीशंभूनाथजी का आश्रम है। जिसे कुटिया के नाम से जाना जाता है। नाथ संप्रदाय के साधु संत यहां रहते हैं। इस स्थान पर देश के अलावा विदेश से भी कई भक्त पहुंचते रहते हैं। यहां पर प्रकृतिनाथ व लक्ष्मीनाथ ने आकर नाथ संप्रदाय साधु-संत के साथ नाथ संप्रदाय ने पूजा-पाठ को जाना और समझा। इस स्थान का मास्को और रूस में जाकर नाथ संप्रदाय का प्रचार किया। ताल को देश नहीं विदेश में भी कुटिया की वजह से जाना जाता है। ताल के समीप ग्राम बटवाडिया में श्रीबालाजी हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर है, जो चंबल नदी के समीप स्थित है। यहां पर संत खेमदास ने भी तपस्या की थी।

ऐसे पड़ा नाम तालाब से ताल17000 के लगभग जनसंख्या वाला नगर जिसकी स्थापना सन् 1243 में राजा तरिया भील ने की थी। मान्यता है कि यहां एक बड़ा ताल ‘जलाशय हुआ करता था और उसी को भरकर नगर बसाया गया, जिस से इसका नाम ‘ताल पड़ा। ताल डोडिया प्रमुख द्वारा शासित जौरा रियासत का हिस्सा था। रियासत पर डोडिया कबीले का शासन था, जिसका शीर्षक “रावत” है। आजादी से पहले शासन रावत शंभूसिंह (ताल) के अधीन था।

बागवानी के साथ औषधि खेती की होतीनगर व आसपास के क्षेत्र में उपजाऊ मिट्टी होने से यहां के संतरे और अमरूद दूर-दूर तक जाने पहचाने लगे। वैसे तो किसान सामान्य खेती करते हैं, लेकिन नगर के आसपास के कुछ लोग वैज्ञानिक खेती कर बागवानी की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इसके अलावा औषधिय खेती का भी रकबा बढऩे लगा है। किसान तुलसी, कारमेट, अश्वगंधा आदि कई फसलें लगाकर उत्पादन के साथ ही अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

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70 प्रतिशत कार्य आलोट में होते

चंबल नदी पर फिल्टर प्लांट लगाने के बावजूद भी उसमें केमिकल का पानी आने से पीने योग्य नहीं रहता। ताल पहले तहसील टप्पा हुआ करती थी, 2015 के बाद शिवराजसिंह ने इसे तहसील बनाने की घोषणा की। इसके बाद से यहां तहसील तो बन गई, लेकिन विकासखंड आलोट होने की वजह से 70 प्रतिशत कार्य वहीं जाने पर होते हैं।

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