रतलाम!!रतलाम के सातरुंडा में रविवार शाम को हुए भीषण सड़क हादसे ने एक बार फिर रतलाम जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। दैनिक भास्कर की टीम ने जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं का रियलिटी चेक किया तो यहां आने वाले मरीजों के परिजनों ने कई समस्याएं बताई है। हादसे वाले दिन पहले तो घायल मरीजों को लेकर आ रही एंबुलेंस का डीजल सालाखेड़ी के समीप खत्म हो गया । इसके बाद रविवार को जिला अस्पताल की एक्स- रे मशीन भी खराब थी जिसकी वजह से मरीजों का एक्सरे नहीं किया जा सका। रात 9:00 बजे ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना की फटकार के बाद अस्पताल प्रबंधन का ध्यान खराब एक्सरे मशीन की ओर गया। कलेक्टर, एसपी , ग्रामीण विधायक और देर रात में प्रदेश सरकार के मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के दौरे के बाद भी जिला अस्पताल की व्यवस्था जस की तस बनी रही।
किसी बड़ी दुर्घटना के बाद जिला अस्पताल में लाए जाने वाले मरीजों के लिए रतलाम जिला अस्पताल कितना तैयार है । इसका जायजा लेने के लिए दैनिक भास्कर की टीम सोमवार और मंगलवार को रतलाम जिला अस्पताल पहुंची। जहां 24 घंटे पहले हुए सड़क हादसे के बाद बनी स्थिति के बावजूद भी हालात नहीं बदले थे। जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई है। जिला अस्पताल में लाए जाने वाले मरीजों को स्ट्रेचर पर उनके परिजन ही जिला अस्पताल में एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाते हैं। इस दौरान कोई भी वार्ड बॉय नजर नहीं आया। एक्स-रे रूम के बाहर भी मरीजों की भीड़ लगी हुई थी जो एक्स-रे करवाने के लिए घंटों से लाइन में लगे हुए थे। कर्मचारियों से पूछे जाने पर दबी जुबान से मशीन खराब होने की बात कहते नजर आए। वहीं, कुछ कर्मचारी एक्स रे मशीन पूरी तरह ठीक होने और सभी मरीजों का एक्सरे किए जाने का दावा भी करते नजर आए। हालांकि इस दावे की पोल बाहर लाइन में खड़े मरीजों ने खोल दी जिन्होंने बताया कि एक्सरे मशीन खराब होने की वजह से उनका एक्सरे अब तक नहीं हो पाया है। एक्स रे मशीन खराब होने की जानकारी मिलने के बाद रतलाम ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना ने जिला अस्पताल के प्रबंधन पर नाराजगी भी जाहिर की थी।
गंभीर चोट और सर्जरी की जिला अस्पताल में व्यवस्था नहीं, इंदौर करना पड़ता है रेफर
आमतौर पर सड़क हादसों में जिन मरीजों को जिला अस्पताल लाया जाता है, उन्हें हेड इंजरी और गंभीर चोट लगी होती है। ऐसी स्थिति को हैंडल करने के लिए रतलाम जिला अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है और ऐसे में गंभीर मरीज को 150 किलोमीटर दूर इंदौर रेफर किया जाता है। जिसमें अधिकांश मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। रविवार को हुए हादसे में भी तीन मरीजों को इंदौर रेफर किया गया था जिसमें से दो की मौत हो गई। सीटी स्कैन की व्यवस्था भी ना तो जिला अस्पताल में है और ना ही रतलाम मेडिकल कॉलेज में है। जिसके लिए निजी सेंटर पर ही मरीजों का सीटी स्कैन और एमआरआई करवाना पड़ता है।