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जी-20 सम्मेलन के अतिथियों को मांडू की प्रामाणिक जानकारी मिलेगी, गाइडों को दिया प्रशिक्षण
-मप्र पर्यटन विभाग के दो दिवसीय गाइड उन्मुखीकरण कार्यशाला में गाइडों को किया प्रशिक्षित

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धार, 8 फरवरी। मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा पर्यटन नगरी मांडू में दो दिवसीय गाइड उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ आज बुधवार को पीथमपुर की एसडीएम श्रीमती रोशनी पाटीदार ने किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जी-20 सम्मेलन की तैयारियों के मद्देनजर मांडू व इंदौर गाइडों को अतिथियों को मांडू के गौरवशाली इतिहास की किस तरह जानकारी दी जाए, इस बारे में प्रशिक्षित किया गया। साथ ही यदि विदेशी मेहमान मांडू के वास्तु और धरोहर के इतिहास के बारे में जिज्ञासा रखते हैं तो किस तरह से प्रामाणिकता के साथ में जानकारी रखी जाए, उसके बारे में दिनभर चले सत्र में प्रशिक्षण दिया गया।
मध्य प्रदेश पर्यटन व संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला के मार्गदर्शन में 8 फरवरी को मांडू में प्रशिक्षण की पहल की गई। 09 फरवरी को समापन होगा। शुरुआत में पीथमपुर श्रीमती एसडीएम रोशनी पाटीदार सहित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भोपाल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुर्मी, मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के सहायक संचालक (डीएटीसीसी) श्री धीरेंद्र मिश्रा, सलाहकार डॉ. ओपी मिश्रा, पुरातत्व विभाग के सेवानिवृत्त अधीक्षक श्री जोसेफ मैन्युअल, भोज शोध संस्थान के डायरेक्टर डॉ. दीपेंद्र शर्मा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इंदौर के विज्ञानी अधिकारी श्री दिनेश कुमार वर्मा के द्वारा दीप प्रज्जवलित किया गया।
इस मौके पर पीथमपुर एसडीएम श्रीमती पाटीदार ने कहा कि मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा गाइडों को प्रशिक्षण दिए जाने का कार्य किया जा रहा है, यह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण से जी-20 सम्मेलन के समक्ष जो सूचनाएं रखी जाएगी, उनकी प्रमाणिकता को और भी महत्व मिलेगा। आने वाले समय में यह प्रशिक्षण जारी रहें, इस तरह की उन्होंने अपेक्षा की।
– कार्यक्रम में दूसरे सत्र में सहायक कलेक्टर श्री शुभम प्रजापत ने कहा कि मांडू में गाइडों को आन साइट ले जाकर अभ्यास होना चाहिए। इससे उनको कार्य करने में आसानी होगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में कहा यहां पर गाइडों को बेहतर जानकारी मिली है।
कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला
कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के सहायक संचालक डीएटीसीसी डॉ. धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने किया। डॉ. मिश्रा ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जी-20 सम्मेलन में आने वाले अतिथि मेहमानों के समक्ष किस तरह से चयनित गाइड धरोहरों के बारे में जानकारी देंगे। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने आयोजन के लिए विशेष रूप से पहल की। उन्होंने बताया कि प्रमुख सचिव द्वारा विदेशी मेहमानों के लिए गाइडों को प्रशिक्षित करने के लिए जो पहल की, उससे 14 फरवरी के दौरे को सफलता मिलेगी।
मांडू की साख को ध्यान में रखे
इसके बाद उन्मुखीकरण कार्यशाला के प्रथम सत्र में पुरातत्व विभाग के सेवानिवृत्त अधीक्षक जोसेफ मैन्युअल ने बताया कि जी-20 सम्मेलन में आने वाले विदेशी मेहमानों को किस तरह से मांडू के इमारतों के बारे में जानकारी दी जाए। यदि प्रमाणिक जानकारी नहीं है तो उसे हमारे मेहमानों के समक्ष बिल्कुल नहीं रखा जाए। जो भी जानकारी दी जाना है, उसमें उसके विज्ञान, उसकी वास्तुकला व शैली आदि सभी बारीकियों को समझकर ही जवाब दिया जाए। इससे मांडू जैसी धरोहर के बारे में वे रोमांचित हो और उनको यहां की खूबियों के बारे में जानकारी मिल सके।
-भोज शोध संस्थान के डायरेक्टर डॉ. दीपेंद्र शर्मा ने विशेष रूप से गाइडों द्वारा क्या सावधानी रखी जाए, उस पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि मांडू एक बहुत बड़ा पुरातात्विक धरोहर वाला शहर है। यहां पर अपार संभावनाएं हैं। इन सारी इमारतों की खूबियां बताई जाए तो पर्यटक यहां लंबे समय तक बना रहेगा। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले पर्यटन गाइडों पर भी निर्भर है। इसलिए अपनी और मांडू की साख का विशेष रूप से ध्यान रखें।
दूसरे सत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के भोपाल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुर्मी ने पुरातत्व महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संरक्षण का क्या महत्व है। किस तरह से धरोहरों को सुरक्षित किया जाता है। किस तरह से उनका महत्व पर्यटकों को बताया जा सकता है। इसी सत्र में वैज्ञानिक अधिकारी श्री दिनेश कुमार वर्मा ने बताया कि मांडू सहित देश की जो महत्वपूर्ण धरोहर है, उनको किस तरह से रसायन और विज्ञान के माध्यम से संरक्षित किया जाता है। जो रासायनिक उपचार किया जाता है वह पूर्ण रूप से सुरक्षित है। इससे किसी भी तरह से धरोहर को नुकसान की स्थिति नहीं बनती है। उन्होंने जी-20 सम्मेलन में आए अतिथियों के प्रश्नों का समाधान कैसे हो उसके पर भी प्रकाश डाला। पहले दिन के सबसे महत्वपूर्ण सत्र में मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के सलाहकार वरिष्ठ पुरातत्वविद डाक्टर ओपी मिश्रा ने बताया कि गाइडों को इस बात की जानकारी होना चाहिए कि मांडू का क्या महत्व है। उन्होंने बताया कि मांडू विश्व धरोहर की अस्थाई सूची में शामिल हो चुका है। इसके लिए डोजीयर बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किस तरह से पर्यटन के क्षेत्र में पुरातत्व महत्व को समझा कर लोगों को मांडू से जोड़ा जा सकता है। इसमें गाइड की भूमिका पर उन्होंने विस्तृत सत्र लिया। इस मौके पर मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. रमेश यादव,जिला पुरात्तव, पर्यटन व संस्कृति परिषद के नोडल आफिसर प्रवीण शर्मा सहित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सहायक संरक्षक प्रशांत पाटणकर भी मौजूद रहे।

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