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झाबुआ

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत महाविद्यालय में ”स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान” विषय पर कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न हुआ

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झाबुआ – । शहीद चन्द्रशेखर आजाद शासकीय महाविद्यालय झाबुआ परिसर मे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों की योगदान विषय पर संगोष्ठी संपन्न हुई है, जिसमें कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि डॉ. हर्ष जी चौहान अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली, विशेष अतिथि डॉ. रेणु जैन कुलपति, देवी अहिल्या विश्वविद्याल इन्दोर, खेमसिंह जमरा, अध्यक्ष जनभागीदारी समिति झाबुआ, मुख्य वक्ता श्री राजेश जी डावर, उपाध्यक्ष भीमा नायक वनांचल सेवा संस्थान मध्यप्रदेश। कार्यशाला की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. जे.सी. सिन्हा ने की। कार्यशाला में डॉ. सखाराम मुजाल्दे, नोडल अधिकारी देवी अहिल्या विश्वविद्याल इन्दोर भी उपस्थित थे।


मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन डॉ. हर्ष जी चौहान अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली ने कहा कि जनजाति स्वतंत्रता वीरो के साथ इतिहासकारों ने अन्याय किया है। स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का महत्वपूर्ण योगदान होना बताया । लेकिन उस समय के इतिहासकार जो कि अंग्रेज शासन काल में उनके गुलाम बनकर काम करते थे। जिसके कारण कोई महापुरुषों का नाम तक आज जनजाति समाज नहीं जान पा रहा उसका मुख्य कारण है जनजाति नायकों के साथ अन्याय हुआ। उनके शौर्य, त्याग व बलिदान को गुमनामी कर रखना बताया है। उन्होंने अनेक महापुरुषों के नाम से भी स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग की बात की है। महाविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई और इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में राजेश डावर भीमा नायक वनांचल सेवा संस्था के प्रदेश उपाध्यक्ष ने महापुरुषों के अनेक नाम और उनके दायित्व के साथ ही कार्य का उद्बोधन दिया और इतिहास में इन सारे महापुरुषों के नाम अंकित नहीं होने के बारे में सभी को जानकारी से अवगत करवाते हुए कहा है, कि जनजाति समाज के महापुरुष जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। ऐसी कई घटनाएं हुई जो जनजाति समाज को ऊपर नहीं आने देने के चलते उनके नाम इतिहास के पन्नों पर अंकित नहीं है। उनका जीवन परिचय कहीं से कहीं तक उल्लेख नहीं किया गया, इस देश के सारे महापुरुष हम सबके रहे है, लेकिन जिन लोगों ने देश के समाज पर आक्रमण किया है। उन आक्रमणकर्ताओं का नाम और जीवन परिचय इतिहास के पन्नों पर अंकित किया गया। लेकिन हमारे सर्व समाज के योद्धाओं का नाम कहीं से कहीं तक उल्लेख नहीं होना बताया। उसी को लेकर यह कार्यशाला आयोजित की जा रही ताकि हमारे जनजातीयों का इतिहास सामने आ सके। इस अवसर पर समाजसेवी ओम शर्मा, जनभागीदारी समिति सदस्य प्रकाश राठौर, यश पंवार आदि उपस्थित थे । कार्यशाला का संचालन डॉ. गोपाल भूरिया कार्यशाला संयोजक ने किया। आभार प्रशासनिक अधिकारी डॉ. रवीन्द्र सिंह ने व्यक्त किया।

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