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झाबुआ

टेंडर प्रक्रिया को लेकर डीपीसी विभाग बना लापरवाह…..

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झाबुआ- जिले में विभागीय अधिकारियों की मनमानी कार्यशैली के कारण जिला प्रशासन और ईमानदार कलेक्टर की छवि धूमिल होने की संभावना बनी हुई है । इनमें विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग , जनजाति कार्य विभाग के अलावा और डीपीसी कार्यालय भी इस लिस्ट में शामिल है । झाबुआ एक आदिवासी जिला है और इस जिले के विकास के लिए करोंडों रूपयें आवंटित किए जाते है । इस कारण जिले में सप्लायर की चहलपहल बनी हुई रहती है । जिले में इन दिनों नियम विरूद्ध हुए टेंडर की चर्चा गलियारों में खुब हो रही है…सूत्र बताते है कि जेम पोर्टल के माध्यम से ड्यूल डेस्क और स्मार्ट क्लास के टेंडर हुए थे । उसमें काफी अनियमितताएं थी । सूत्रों का यह भी कहना है कि इस टेंडर प्रक्रिया में विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने चहेते सप्लायर को कार्य देने के लिए सारे नियम कायदों को ताक में रख दिया था । सुत्रों का तो यह भी कहना है कि अगर टेंडर पार्टल की तकनीकी जांच और प्रक्रिया में जारी निर्देशों को पालन हुआ है या नहीं इसकी जांच की जाए , तो खुलासा होने की संभावना है विशेष रुप से तीन शर्तों का पालन इस प्रक्रिया में हुआ है या नहीं यह जांच का विषय है 1.बिडर का 3 वर्षाे का न्यूनतम टर्नओवर 5 करोड़ होना चाहिए। 2.समान सेवाओ के लिए 3 वर्षों का अनुभव आवश्यक है। ओईएम का न्यूनतम 1 करोड़ का टर्नओवर आवश्यक है इन बिन्दु पर जांच जो जाये तो दुध का दुध और पानी का पानी हो जायेगा। लेकिन फिर भी जब इस टेंडर प्रक्रिया के नियमों को लेकर खबरों का प्रकाशन भी हुआ और संभवत शिकायत कलेक्टर श्रीमती रजनी सिंह को की गई । । सूत्रो के अनुसार तब कलेक्टर मैडम ने संबंधित विभाग के आला अधिकारी को मौखिक रूप से टेंडर प्रक्रिया निरस्त करने की बात कही । लेकिन डीपीसी कार्यालय का यह आला अधिकारी कलेक्टर मैडम के इस तरह के आदेशों के पालन करने में कोई रुचि नहीं दिखाई और ना ही उस प्रक्रिया को लेकर कोई आदेश जारी किया । यदि सूत्रों की बात पर विश्वास किया जाए तो डीपीसी कार्यालय का यह अधिकारी कलेक्टर मैडम की मौखिक आदेशों का पालन करने में भी असमर्थ नजर आ रहा है जो कि जांच का विषय है प्रश्न यह है कि आखिर क्या कारण है कि जब सप्लायर ने निविदा प्रक्रिया की शर्तों को पूरा ही नहीं किया है तो फिर टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने में विभाग के आला अधिकारियों द्वारा क्यों लेटलतीफी की जा रही है यह भी जांच का विषय है….। कही डीपीसी कार्यालय के आला अधिकारी ईमानदार कलेक्टर की छवि को धूमिल करने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं…..?

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