जिनकी बदौलत भाजपा ने पहली बार रतलाम संसदीय क्षेत्र में जीत हासिल की उसी आदिवासी नेता को भूली सरकार
– मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में तीन मेडिकल कॉलेज के नाम तीन दिवंगत भाजपा नेताओं के नाम पर करने की घोषणा की, लेकिन आदिवासी नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया को भूले, कांग्रेस ने उठाया मुद्दा
जिस आदिवासी नेता की बदौलत भाजपा ने आज़ादी के बाद पहली बार रतलाम संसदीय क्षेत्र में जीत हासिल की थी, सरकार ने एक बार फिर उनकी अनदेखी की। मामला मालवा के तीन मेडिकल कॉलेज के नाम भाजपा के तीन दिवंगत नेताओं के नाम से किए जाने से जुड़ा है। इसमें रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र से सात बार संसद रहे कद्दावर आदिवासी नेता और पेसा कानून के जनक स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की पूरी तरह से अनदेखी की गई। जिसे लेकर अब राजनीति गरमा गई है।
खास बात ये हैं कि इसके लिए खुद रतलाम से भाजपा विधायक चेतन काश्यप तीन साल पहले मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 मार्च को नीमच में मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास कार्यक्रम में भाजपा की तीन दिवंगत नेताओं के नाम पर शासकीय मेडिकल कॉलेज के नामकरण किए जाने की घोषणा की थी। इसके मुताबिक नीमच मेडिकल कालेज का नाम पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरेंद्र कुमार सखलेचा, मंदसौर कालेज का नाम पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा और रतलाम मेडिकल कालेज का नाम वरिष्ठ सांसद रहे स्व. लक्ष्मीनारायण पांडेय के नाम पर होगा। जबकि कद्दावर आदिवासी नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया के नाम से रतलाम मेडिकल कॉलेज का नाम किए जाने की मांग लंबे समय से उठती आ रही है। आदिवासी समाज के सभी संगठन इस मुद्दे को उठा चुके हैं तो वहीं रतलाम के आदिवासी समाज द्वारा पूर्व में ज्ञापन भी दिया जा चुका है। इसके बावजूद सरकार ने सुध लेना मुनासिब नहीं समझा।
रतलाम के विधायक चेतन काश्यप ने 2020 में सीएम को लिखा था पत्र-
रतलाम के विधायक चेतन काश्यप ने 9 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर रतलाम के शासकीय मेडिकल कॉलेज का नाम दिलीप सिंह भूरिया मेडिकल कॉलेज किए जाने का अनुरोध किया था। इस पत्र में उन्होंने उल्लेख किया था कि रतलाम लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए अधिसूचित होने से आरंभ से यहां वनवासी नेतृत्व ही संसद में चुनकर भेजा जा रहा है। भाजपा ने आजादी के बाद वर्ष 2014 में रतलाम लोकसभा क्षेत्र में दिलीपसिंह भूरिया के रूप में पहली जीत दर्ज की थी।उन्होंने इस लोकसभा क्षेत्र का वर्ष 1978 से कई वर्षों तक सफल नेतृत्व किया। वहीं वर्ष 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल के दौरान स्वर्गीय भूरिया को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया था।स्वर्गीय भूरिया ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में वनवासी समाज के उत्थान के लिए 3 कानून की प्रस्तावना प्रस्तुत की थी, जिसे बाद में संसद द्वारा लागू किया गया। स्वर्गीय भूरिया के प्रयासों से वनवासी समाज को पूरे देश में वन उपज का अधिकार, वन भूमि के पट्टे और पंचायती राज में ग्राम सभा का अधिकार (पेसा कानून) प्राप्त हुआ। संपूर्ण देश के वनवासी समाज के उत्थान में स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया का अतुलनीय योगदान रहा है। रतलाम संसदीय क्षेत्र के विकास में भी उनकी महती भूमिका रही है। विधायक काश्यप ने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि रतलाम के शासकीय मेडिकल कॉलेज का नामकरण स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया के नाम पर करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि ही नहीं होगी, अपितु वनवासी समाज के प्रति सम्मान प्रकट करने का निमित्त भी बनेगा।
ये भाजपा का दोहरा चरित्र है-
जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश रांका ने कहा स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया इतने बड़े आदिवासी नेता रहे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनका नाम भूल गए।एक तरफ भाजपा खुद को आदिवासी हितैषी बताती है तो दूसरी तरफ इतने बड़े नेता की अनदेखी की गई। स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे हैं तो उनके नाम से ही रतलाम मेडिकल कॉलेज का नाम कर सकते थे। ऐसा न करके भाजपा ने अपना दोहरा चरित्र उजागर किया है।
सरकार की घोषणा का नहीं किया इंतजार, रातों रात कर दिया नामकरण-
झाबुआ में छात्र संगठनों ने सरकार की घोषणा का इंतजार किए बिना ही महीनेभर पहले रातोंरात आदर्श महाविद्यालय का नामकरण स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया के नाम पर कर दिया। इसके लिए बकायदा यहां 19 फरवरी को एक बोर्ड लगा दिया गया। जिस पर स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया का फोटो लगा है और उस पर लिखा है श्री दिलीपसिंह भूरिया आदर्श महाविद्यालय झाबुआ। इस मामले में कॉलेज की तरफ से एक रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई थी। हालांकि बोर्ड अब तक लगा हुआ है। इसे हटाने की हिमाकत किसी ने नहीं की।