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झाबुआ

वनवासी आश्रम की बैठक मे धन,अन्न एवं लोक संग्रहण पर हुई विशद चर्चा- क्षेत्र सह छात्रावास प्रमुख ने दिया मार्गदर्शन ।

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वनवासी आश्रम की बैठक मे धन,अन्न एवं लोक संग्रहण पर हुई विशद चर्चा-
क्षेत्र सह छात्रावास प्रमुख ने दिया मार्गदर्शन ।

झाबुआ । ’’आदिवासी जनजातियों के उत्थान में योगदान अतुलनीय है। आदिवासी समुदाय के छात्रों को सभ्यता, संस्कृति, शिक्षा और खेल में निपुण बनाकर उनको विकास की मुख्य धारा से जोड़ रहा है। वनवासियों के सर्वांगीण विकास एवं संस्कृति संरक्षण के लिए पिछले 70 वर्षों से अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम लगातार कार्यरत है। इसकी स्थापना वर्ष 1952 में संस्थापक बाला साहब देशपांडे ने की थी। उनकी परिकल्पना को साकार करने के लिए आज भी छात्रावास में आदिवासी भारत की नींव को मजबूती प्रदान की जा रही है। उक्त विचार श्री राणासिंग सोलंकी (क्षेत्र सह छात्रावास प्रमुख) ने 7 अप्रेल को स्थानीय वनवासी आश्रम गोपाल कालोनी में मुख्य अतिथि के रूप में आयोजित बैठक में उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहीं । श्री राणासिंग सोलंकी ने कहा कि वनवासी बच्चों के सुरक्षित भविष्य एवं उनके सतत बौद्धिक विकास के लिये चनवासी आश्रम की भूमिका अहम है तथा बच्चों के लये संचालित किये जारहे आश्रमों के संचालन लिये वित्तिय व्यवस्था भी की जाना हम सभी का नैतिक दायित्व बनता है। उन्होने कहा कि संचालित किये जारहे वनवासी आश्रमों के माध्यम से जहां-जहां पर वनवासी कल्याण आश्रम का प्रवेश होता है, वहां-वहां वनवासी-समाज को तुरंत अनुभव में आता है कि यह हमारी संस्था है, यह हमारे धर्म-संस्कृति की रक्षा में और हमारे हित की चिंता व रक्षा में कार्य करनेवाली संस्था है अतः इसको हम स्वयं पूरा सहयोग देंगे। ऐसी भावना रहने के कारण कल्याण आश्रम का कार्य शीघ्रता से जड़ें पकड़ लेता है। उन्होने अंचल के बंधु-भगिनी भी सहयोग देने के लिए आगे आनेकी बात भी कहीं ।

इस अवसर पर श्री गणपत मुनिया जिला संगठन मंत्री ने कहा कि यह इतना बड़ा कार्य है, परंतु शासन से आर्थिक सहयोग नहीं लेते। जो भी सहयोग उनका है वह नगण्य है। सारा सहयोग समाज से प्राप्त होता है। हम आशा करते हैं कि क्षेत्र में भी हमारा कार्य कुछ ही वर्षों में पहुंच जाएगा। भारत को विकसित, शक्तिशाली और आदर्श राष्ट्र के रूप में विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने में वनवासी समाज भी अपनी समर्थ भूमिका निभाने लगेगा । अतः वनवासी आश्रमों के संचालन के लिये हमे प्रयास कर अधिक से अधिक धन संग्रेण के साथ ही अन्न संग्रहण जैसे प्रकल्पों को हाथ में लेकर इन आश्रमों के संचालन में अपने पुनित दायित्व का निर्वाह करना चाहिये ।
वनवासी आश्रम झाबुआ के नगराध्यक्ष मनोज अरोडा ने भी अपने उदबोधन में कहा कि वनवासी आश्रमों के संचालन के लिये जहां धन संग्रहण एवं अन्न संग्रहण की महती आवश्यकता है वही इसके साथ ही अधिक से अधिक लोगों को इस पुनीत उद्देश्य के साथ कार्य कर रही संस्था के लिये लोगों को जोडना भी जरूरी है। सलिये धन एवं अन्न संग्रहण के साथ ही हमे लोक संग्रहण पर भी ध्यान देना होगा ताकि आश्रमों का संचालन उत्कृष्ट तरिके से करने मे सभी का सहयोग एक अनुकरणीय उदाहण बने।

बैठक में श्री राणा सिंह सोलंकी क्षेत्र सह छात्रावास प्रमुख , श्री गणपत मुनिया जिला संगठन मंत्री , मनोज अरोरा नगर अध्यक्ष, अल्केश मेड़ा युवा प्रमुख, मुकेश मेड़ा जिला संयोजक जनजाति सुरक्षा मंच, दीवान भूरिया सह खेल प्रमुख, छगन गामड़ जनजाति सुरक्षा मंच सह जिला संयोजक,सागर बिलवाल श्रद्धा जागरण प्रमुख, मानसिंह सिंगाड़िया, तोलू गामड़,महेश मुजाल्दे आश्रम अधीक्षक सहित बडी संख्या में वनवासी आश्रम के पदाधिकारीगण एवं कार्यकर्तागण उपस्थित रहे । अन्त में आभार प्रदर्शन अल्केश मेड़ा युवा प्रमुख, ने व्यक्त किया ।
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