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RATLAM

40 हजार लोगों की जांच, सामने आई महज एक मरीज को यह बीमारी~~लगातार प्रयास, जांचें, इलाज और जागरुकता से अब जिले में मलेरिया समाप्ति की तरफ

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40 हजार लोगों की जांच, सामने आई महज एक मरीज को यह बीमारी~~लगातार प्रयास, जांचें, इलाज और जागरुकता से अब जिले में मलेरिया समाप्ति की तरफ

रतलाम. एक जमाना था जब मलेरिया के मरीजों को जान से हाथ धोना पड़़ जाता था। इलाज और जागरुकता के अभाव में लोग घरेलू नुस्के अपनाते और कई लोगों की जान चली जाती लेकिन अब यह स्थिति नहीं है। हम केवल रतलाम जिले की ही बात करे तो सात साल पहले जिस स्थिति में जिले में मलेरिया का प्रकोप बड़े क्षेत्र में था वह अब महज तीन गांवों में सिमटकर रह गया है। इसी साल की बात की जाए तो अब तक हुई जांचों में महज एक केस ही दर्ज किया गया है जबकि पिछले साल इनकी संख्या 10 थी।

आदिवासी बाहुल्य गांव थे प्रभावित
जिले में अन्य विकासखंडों की तुलना में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बाजना और सैलाना 2013-14 से मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं। यह प्रभाव 2019 तक चरम पर रहा। जिले में जितने भी केस आए या प्रभावित गांवों की संख्या आई उनमें स 75 फीसदी इन्हीं दो क्षेत्रों के थे। मरीजों की संख्या भी इन्हीं क्षेत्रों में सबसे ज्यादा रही है। यूं कहे कि जितने मरीज जिले के अन्य विकासखंडों से आते थे उससे दो गुना इन्हीं दो विकासखंडों में पाए जाते थे। जांच की संख्या भी सबसे ज्यादा रही।
ऐसे निपटा मलेरिया से
मलेरिया का प्रकोप जिन क्षेत्रों में सर्वाधिक था वहां सालभर गतिविधियां चलाई गई और बारिश के पहले लोगों को जागरुक किया गया। बारिश का पानी एक जगह लंबे समय तक संग्रहित नहीं होने देने के लिए लोगों को समझाने के साथ ही दवाइयों का लगातार छिड़क़ाव प्रभावित गांवों को टारगेट करके किया गया। इसका असर यह रहा कि अब इन क्षेत्रों में भी मलेरिया खत्म होने की कगार पर है।
यह भी किया विभाग ने
मलेरिया को खत्म करने के लिए जनजागरूकता को बढ़ावा देनेे, मलेरिया प्रतिबंधात्मक उपाय करने, मच्छरदानी की उपयोगिता को बढ़ाने, साफ-सफाई रखने, स्वच्छ जल प्रबंधन, हाई रिस्क ग्रामों में इंसेक्टिसाइड का गुणवत्तापूर्ण छिडक़ाव, सघन लारवा सर्वे अभियान, हाई रिस्क क्षेत्रों में मलेरिया मास कैंपेन, ग्रामीणोंं एवं जनप्रतिनिधियों के साथ एडवोकेसी का पूरा प्लान तैयार कर लागू किया गया।

मादा मच्छर से होता है मलेरिया
मलेरिया अधिकारी डॉ. प्रमोद के अनुसार यह साफ और कई दिनों से एक जगह एकत्रित पानी में मच्छरों के पनपने से होता है। मादा एनोफिलिज इसकी संवाहक होती है। यह अपने जीवन में 400 मीटर के दायरे में विचरण करती है। मलेरिया पीडि़त को काटने के बाद दूसरे को काटती है तो उसे भी मलेरिया हो जाता है। यानि मलेरिया छुआछुत की बीमारी नहीं है। गंदगी के मच्छरों से मलेरिया नहीं होता है।
वर्ष मलेरिया केस जांचें हाईरिस्क गांव/वार्ड
2017 1047 184707 270
2018 663 185306 231
2019 269 179514 159
2020 108 205141 54
2021 38 216101 25
2022 10 217575 11
2023 01 40703 03
बेहतर प्रबंधन और जागरुकताजिले में मलेरिया का प्रकोप 2013 में सबसे ज्यादा था। लगातार प्रयास, बेहतर प्रबंधन और लोगों में जागरुकता से हम इसे शून्य की स्थिति में लाने में लगभग पहुंच गए हैं। यह जिले के लिए अच्छी स्थिति है।
डॉ. प्रमोद, जिला मलेरिया अधिकारी, रतलाम

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