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झाबुआ

अधिकारियों के बंगलों पर कोटवार- चैाकीदार कर रह रहे कपड़े धोने से पोंछा तक का काम ।

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ग्राम सरकार की महत्वपूर्ण कडी कोटवार-चैाकीदारों से बेगार लेने से सरकार की योजनाओं का गा्रमीणों को नही मिल पारहा लाभ ।
झाबुआ । किसी अफसर के बंगले पर घरेलू काम के लिए कितने लोग हो सकते हैं यह अनूमन पुछा जाता है । देखा गया है कि रसूकदार अधिकारी अपने पद प्रभाव का उपयोग या दुरूपयोग करते हुए अपने घरोें पर चतुर्थ श्रेणी से भी कम वेतन या मानदेय पाने वाले गा्रमीण अंचलों में काम करने वाले चैकीदारों या कोटवारों को अपने बंगलों पर अटेच करके उनसे घरू काम करवा रहे है। झाबुआ जिले में शासन के स्पष्ट निर्देश के बाद भी विभागीय सरकारी अधिकारियों के बंगलों पर ऐसे कोटवारों या चैकीदारों को काम करते हुए देखा जासकता है । ये कोटवार जिनकी ड्युटी गा्रमीण अंचलों में पदस्थ रह कर सौपे गये कामो को पूरा करवाने में एक लिंक का काम करते हैफ। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान द्वारा पूरे प्रदेश में लागू की गई लाडली बहिना योजना का हर माता-बहिन जो 60 साल की आयु वर्ग तक की है को योजना का लाभ दिलानें में कोटवारों चैकीदारों की अहम भूमिका है किन्तु ऐसे कोटवारों के ’’साहब लोगों ’’ के बंगलों पर अटेच करके काम लेने से इस योजना का क्रियान्वयन उचित तरिके से नही हो पारहा है ।
कोटवार का अर्थ होता है- “ग्राम चैकीदार का पद धारण करने वाला व्यक्ति”. पुराने जमाने में यह पद आमतौर पर मूल निवासी आदिम जातियों के सदस्यों को दिया जाता था, । ब्रिटिश शासन के तहत कोटवार को एक गांव के पुलिसकर्मी के रूप में बनाए रखा गया, और उनका वेतन दिया गया और आमतौर पर नगद में उनको भुगतान किया जाने लगा। वर्तमान में यह छोटे और मध्यम आकार के किसानों का समुदाय है। कोटवार के कर्तव्य मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 230 के अधीन निर्मित नियम-8 में वर्णित हैं। उन कर्तव्यों का पालन करने के लिए कोटवार संबंधित पदाधिकारियों और ग्रामसभा के प्रति उत्तरदायी होगा। ग्रामसभा कोटवार की सेवाओं का पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण करेगी। गा्रम के इतने महत्वपूर्ण इकाई के रूप में काम करने वाले कोटवार चैाकीदारों से उनकी मुख्य भूमिका छिन कर उन्हे बर्तन झाडू पोंछ, माली जैसे काम अधिकारियों द्वारा करवाये जारहै है। यह अत्यन्त ही दुखद पहलू होकर नवागत कलेक्टर महोदया को इस पर संज्ञान लेते हुए जिले के अधिकारियों जिनके निवास पर कोटवारों- चाौकीदारों की ड्युटी लगी हुई है तथा जिनसे बेगार ली जारही है उन्हे इस बंधुआ मजदुरी से मुक्त करवाने के लिये कदम उठाये ताकि गा्रमीण अंचलों में सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में ये लोग अपनी अहम भूमिक निभा सकें ।

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