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जलस्तर की स्थिति खराब:50 इंच बारिश होने के बाद भी शहर से सटे क्षेत्र में 700 फीट पर आ रहा पानी

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जलस्तर की स्थिति खराब:50 इंच बारिश होने के बाद भी शहर से सटे क्षेत्र में 700 फीट पर आ रहा पानी

रतलाम~~शहर में औसत से ज्यादा बारिश हुई है। इसके बाद शहर से सटे आसपास के क्षेत्रों और गांवों में जल संकट गहराने लगा है। हालात ये हैं कि नलकूप खनन कराने पर 700 फीट पर पानी आ रहा है। यही स्थिति तालाब और डेम से सटे गांवों की भी है। इन गांवों में जल स्तर की स्थिति चिंताजनक है और 600 फीट पर पानी आ रहा है।

ये स्थिति तब है जब शहर में औसत से ज्यादा बारिश हुई है। रतलाम ब्लॉक की औसत बारिश का आंकड़ा 35.6 इंच है। जबकि बारिश 50 इंच हुई है। यानी औसत से कई फीसदी ज्यादा हुई है। बावजूद अभी से ये हालात हो गए हैं और जल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है। यही नहीं कई गांवों में नलकूप भी सूखने लगे हैं। इससे अभी से जल संकट गहराने लगा है। जबकि अभी बारिश में डेढ़ महीना बाकी है।

गांवों में पानी की परेशानी: तालाब और डेम के बाद भी दम तोड़ रहे नलकूप

कनेरी- इस गांव में नलकूप कराने पर 700 फीट में पानी आ रहा है। जबकि यहां जिले का दूसरा सबसे बड़ा कनेरी डेम है जो 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसके बाद भी ये हाल हैं। गांव के विजय पाटीदार व कैलाश गुर्जर बताते हैं कि गांव में डेम तो है ही साथ ही छोटे-छोटे स्टाप डेम भी हैं। इसके बाद भी जल स्तर की स्थिति खराब है और नलकूप खनन पर 700 फीट में पानी आ रहा है। गांव के आसपास 500 से अधिक बोरवेल हैं। इसमें से ज्यादातर सूख गए हैं। जबकि अभी गर्मी की शुरुआत हुई है।

करमदी – यहां सूरजमल जैन तालाब है। फिर भी जल स्तर की स्थिति खराब है। यहां लगे कई ट्यूबवेल सूख चूके हैं। गांव के किसान घनश्याम पाटीदार बताते हैं कि गांव में वाटर लेवल बहुत नीचे चला गया है। बोरवेल कराने पर 650 फीट में पानी आ रहा है। गांव में 900 फीट तक गहरे हैं नलकूप हैं। लेकिन आधे से ज्यादा सूख चुके हैं। तालाब होने के बावजूद जल स्तर के ये हाल हैं।

मथुरी– इस गांव की भी यही स्थिति है। सरपंच रूपचंद बताते हैं कि गांव में बोरवेल की स्थिति ठीक नहीं है। तालाब होने के बाद भी गांव का वाटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है। गांव में कई नलकूप दम तोड़ चूके हैं। बोरवेल में पानी 600 फीट तक पहुंच गया है।

नलकूप खनन कराना रिस्की और खर्च भी ज्यादा हो रहा: चूंकि जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इससे नलकूप खनन कराना रिस्की हो गया है। वहीं महंगा भी पड़ रहा है। क्योंकि 500 फीट तक तो 110 से 120 रुपए प्रति फीट में नलकूप होता है। इसके बाद जैसे-जैसे खनन की गहराई बढ़ती है। राशि भी बढ़ती जाती है। 700 फीट के बाद तो 140 से 150 रुपए प्रति फीट चार्ज लगता है। इसके बाद भी रिस्क। क्योंकि यदि पानी नहीं आया तो अन्य जगह पर नलकूप खनन कराना पड़ेगा। इससे फिर राशि चुकानी पड़ेगी।

अभी से इसलिए जल संकट: पूर्व भू-जल विद और एक्सपर्ट सुधीर बेलसरे ने बताया जल स्तर नीचे जाने की वजह पानी का अतिदोहन होना है। गेहूं की फसल आने के बाद किसानों ने दूसरी फसल लगा दी। इसके बाद फसल को सिंचाई की जरूरत पड़ी। इससे नवंबर में सिंचाई के लिए पानी का खूब इस्तेमाल हुआ। वहीं शहर में पानी के स्त्रोत होते हैं। लेकिन गांवों में पानी के लिए भू-जल का ही इस्तेमाल ज्यादा होता है। इससे यह स्थिति बन रही है और 700 फीट पर पानी चला गया है। अभी मई के साथ जून का आधा महीना बाकी है। इससे आने वाले दिनों में जल संकट और गहरा सकता है।(भास्कर से साभार)

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