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झाबुआ

जीवन मे भी सत्संग ही एक चार्जर की तरह है जो प्राणों को सतत चार्ज करता रहता है – घनशयाम बेरागी धुमधाम से मनाया गया श्री सत्यसाई बाबा का 94 वां जन्मोत्सव…..

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झाबुआ से राजेंद्र सोनी की रिपोर्ट

झाबुआ । मानव शरीर की हम प्रतिदिन देखभाल करते है, क्योंकि इसमें प्राण महत्वपूर्ण होता है। शरीर से जब प्राण निकल जावे तो वह ला बन जाता है और शरीर से सांसारिक मोह माया समाप्त हो जाती है। निप्राण शरीर को कोई भी ज्यादा देर तक नही रखतात है। इस तरह शरीर में आत्मा ही महत्वपूर्ण होती है। चाहे कितना भी महंगा मोबाईल क्यो न हो फेस बुक, इंटरनेट, व्हाट्सअप, गुगल सर्च चाहे अपने आप को सबसे अधिक महत्वपूर्ण साबित करते हो किन्तु बिना चार्जर के मोबाईल किसी भी तरह से काम नही कर पाता है । बैटरी डिस्चार्ज होने पर सिर्फ चार्जर जो अलग थलग पडा रहता है, उसका महत्व तभी हम जान पाते है। इसी तरह मानव जीवन मे भी सत्संग ही एक चार्जर की तरह है जो प्राणों को सतत चार्ज करता रहता है । इसके बगैर हम निप्राण जैसे ही रहते है। बच्चों के विकास के लिये, उन्हे संस्कारित करने के लिये सत्संग एक सीढी का काम करता है औ र सत्संग के माध्यम से ही नियमित रूप से चार्ज करना पडता है। सूर्य की किरणें प्राणों को चार्ज करती है, यदि सूर्य का उदय ही न हो तो हम सभी निप्राण जैसे ही बने रहेगें । उक्त सारगर्भित उदबोधन श्री सत्यसाई सेवा समिति झाबुआ द्वारा भगवान श्री सत्यसाई बाबा के 94 वे जन्मोत्सव के अवसर पर सत्यधाम पर साई भक्तों को संबोधित करते हुए गायत्री शक्तिपीठ झाबुआ के प्रमुख घनशयाम बैरागी ने कहीं ।

श्री सत्यसाई बाबा के 94 वें जन्मोत्सव के अवसर पर सिद्धेशवर कालोनी पर आयोजित जन्मोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया । मुख्य वक्ता के रूप में पधारे घनशयाम बैरागी ने कहा कि श्री सत्यसाई बाबा का अवतरण दिवस पूरे विशव 114 देशों में मनाया जा रहा है । बाबा के करोडो अनुयायी उनके बताये सत्य,धर्म,शांति,प्रेम और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए विशव में भाईचारे के साथ मानवता के लिये कार्य कर रहे है। इस भौतिक युग में यदि कोई महापुरुष अवतरित होता है तो करोडो लोगों को अपने सन्देश से जोड देता है।उनका सन्देश हर परिवार में सुधार के साथ ही आध्यात्मिकता के विकास के साथ ही मानव सेवा ही माधव सेवा होता है ।भगवान की आराधना,पूजा करते वक्त हम सिर्फ अपने स्वार्थ की चिजे धन दौलत, सन्तान आदि ही मांगते है। हम भिखारी बन जाते है । जबकि भगवान का सुमिरन यदि अन्तःहृदय से करें तो भगवान को मालुम है कि हमे क्या चाहिये, वह निचित ही हमे प्रदान करता है। हनुमानजी ने लंगा प्रवेश पर जब जब वहां विभिषण को राम नाम उच्चारित करते देखा तो वे प्रभावित हुए और उन्हे राम के लिये काम करने का आव्हान किया | अन्ततः उन्हे लंकापति श्रीराम ने ही बनाया । श्री बैरागी ने आगे कहा कि मानव जीवन मकडी के जालों जैसा बन गया है और उसमे सभी उलझे रहते है । धर्म जब नही था तब भी धर्म का अस्तित्व ास्वरूप से कायम था ।प्रकृति के अनुकुल ही चलना ही धर्म होता है । अग्नि का धर्म जलाया होता है, वह संपर्क में आने वालें का उषमा देती ही है। आज हमारे अधर्म के कारण ही प्रकृर्ति का विनाश हो रहा है । पूजा पाठ करना, दीपक लगाना ही धर्म नही है । महापुरूषों के बताये मार्गपर चलना ही धर्म होता है । श्री शिरडी साई, सत्यसाई बाबा ने ज्ञान एवं आध्यात्म का प्रकाश दिया । जिसके दिल में स्वार्थ होता है , उसे भगवान नही मिलता है ।श्री बैरागी ने पतली डोरी से बंधे हाथी एव चोर गाय का उदाहरण देते हुए कहा कि गुरू स्वयं भगवान का स्वरूप होता है । वह अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है । गुरू को ही ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश कहा गया है । भगवान एक पावर हाउस होता है जो सबका उत्पाद, कर उनमे उर्जा का संचार करता है । इसलिये हमे सिर्फमानव नही बल्कि महा मानव बनना चाहिये हमे देव मानव बनना चाहिये । जिन्हे गुरू मान लिया उसकी सेवा करना चाहिये जिस प्रकार समर्थ रामदास महाराज को सत्यप्रका ने गुरू मान लिया तो उसकी मौत तक टल गई । भगवान पर विशवास करने वाला भी जीवन में निराश नही हो सकता ।
श्री सत्यसाई बाबा के 94 वें जन्मोत्सव के अवसर पर सायंकाल नाम संकीर्तन किये गये । इस अवसर पर सौभाग्यसिंह चौहान ने भी सत्यसाई बाबा के जीवन वृत पर प्रकाश डाला । नाम संकीर्तन में श्रीमती रेखासोनी, ज्योति सोनी, आज्ञा छाबडा, कृणा चौहान, राजेन्द्र सोनी, नगीन पंवार, श्रीमती सारोलकर, विलास सारोलकर, हिमांशु पंवार, सौभाग्यसिंह चौहान आदि ने भजन प्रस्तुत किये । महा मंगल आरती समिति संयोजक कमलेश सोनी ने उतारी, प्रसादी वितरण के बाद जन्मोत्सव का कार्यक्रम समाप्त हुआ ।

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